"जब भी मैं घर से समर कैंप के लिए निकलती थी, मुझे अपने माता-पिता के साथ बहार जाने का अनुभव महसूस होता था", कहा वंडरफुल वर्ल्ड की फाउंडर शिबानी विग ने.
दिल्ली में स्थित शिबानी एक फोजी की पुत्री हैं. इसी कारण वह देश के विभिन्न भागों में रही हुई हैं. उनके इस अनुभव ने उन्हें ट्रावेल्लिंग बहुत पसंद है. उन्हें अलग अलग जगहों की संस्कृति अनुभव करना पसंद है.
ये दिल्ली, अम्बाला, मथुरा, वेलिंगटन, सिकंदराबाद , दीमापुर जैसी जगहों पर रह चुकी हैं. " हम एक जगह बस्ते ही थे, की किसी ओर जगह जाने का सन्देश मिल जाता था. मैं हमेशा एक नए विद्यालय और नए दोस्तों के साथ पढ़ती थी." शिबानी ने एक मुस्कान के साथ कहा.
२२ साल की उम्र में जब शिबानी इन.आई.ऍफ़.टी में पड़ रही थी, तब उन्होंने एम्स्टर्डम में एक साल बिताया. उनके पास ज़्यादा धन नही था परंतु वह वहां की संस्कृति के विषय में जानना चाहती थी. इसलिए वह २१ घंटे की एक बस यात्रा पर निकल गयी. यह शिबानी की पहली एकल यात्रा थी.
"मेरे पास केवल ५ दिन थे-इसलिए मेरी आदि छुट्टी बस में ही बीत गयी. पर मैंने बिना कुछ सोचे अपना सामान बंधा और निकल पड़ी. उस ट्रिप ने मुझे सशक्त बनाया.
उन्होंने हमें अपनी ईरान की ट्रिप के बारें में भी बताया. १२ दिन वहाँ रहने के बाद उनके ईरानी संस्कृति के विषय में विचार बदल गए.
अपनी ईरान ट्रिप के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा की वहाँ की महिलाओं के पास अपने लिए कुछ भी चुनने की आज़ादी नहीं है. " भारत में सोलो ट्रिप्स का विचार भी लोगों को डरा देता है क्योंकि हम इस बात का अनुमान नही लगा सकते की हम किस प्रकार के लोगों से मिलते हैं. पर जिस प्रकार के लोगों से मैं मिली , वह सब बहुत अच्छे थे. मैं सुझाव दूंगी की जबभी आप कहीं जाने के विषय में सोचे तो उस जगह के बारें में ज़रूर पढ़े. वहाँ पर कुछ ऐसी बात नहीं करनी चाहिए जो वहाँ के लोगों को बुरी लगे.
उन्होंने कहा," भारत के अंदर ही हमें लोगों की नज़रों का सामना करना पड़ता है. आपको इन चीज़ों पर ध्यान नही देना चाहिए. कुछ जगहों पर मैं अकेले बाहर निकलने से घबराती हूँ. पर कुछ छोटे ज़िलों में लोग इतने मददगार हैं की मुझे लगता है की शहर में रहने से हमारे दिमाग और मन पर कितना असर पड़ता है.
एक बार वह अंडमान इसलैंड्स गयी. वह उस समय ५ महीने प्रेग्नेंट थी. मैं वहाँ किसी कंपनीय के लिए रिसर्च वर्क करने गयी थी. वहाँ पर कुछ लोगों को लगा की मेरे परिवार ने ऐसे समय पर मुझे छोड़ दिया है. मुझे इस घटना पर बहुत गुस्सा आया.
"जब मैं पहली बार किसी जगह पर जाती हूँ, मैं अपने मैप को भूलकर जहाँ मन करता है वहाँ घूमती हूँ." शिबानी ने वंडरफुल वर्ल्ड २०१३ में शुरू किया था. उन्होंने अन्य महिलाओं को अपने साथ लिया और ट्रिप्स का आयोजन करना शुरू किया.
"मुझे लगता है की प्रत्येक महिला को अपनी खोज अवश्य करनी चाहिए. हमारी सहायता से महिलाएँ ट्रेवल के द्वारा अपने जीवन में रोमांच का मज़ा ले सकती हैं." उनके परिवार को शुरुआत में शिबानी के इस विचार का समर्थन नही किया लेकिन उनके पति ने उनका साथ दिया.
" मैं और मेरे पति एक शाम बैठे हुए थे और हमने तय किया की या तो ये काम अभी करना है या कभी नही. उस शाम "वंडरफुल वर्ल्ड" लांच हुआ. इसकी लॉन्चिंग के कुछ समय बाद मैं प्रेग्नेंट थी पर मैंने तय किया की मैं अपने निर्णय पर अटल रहूंगी. यह मेरे जीवन का सबसे बेहतरीन निर्णय है.
एक स्टार्ट-अप को अक्सर नहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है पर इनकी सबसे बड़ी चुनौती थी लोगों को विश्वास दिलाना की अकेले ट्रेवल करना सम्भव है. शिबानी ने उन महिलाओं के लिए कुछ सुझाव दिए जो अकेले ट्रेवल करना चाहती हैं.