क्या महिला खिलाड़ियों को पुरुषों के समान अवसर और पहचान मिलती है

यह एक बहुत बड़ा सवाल है कि क्या महिला खिलाड़ियों को पुरुषों के समान अवसर और पहचान मिलती है? महिलाएं भले ही विदेशों तक देश न नाम रोशन कर रही हों खेलों में लेकिन कहीं न कहीं आज भी उन्हें वह पहचान नहीं मिल रही जो पुरुषों को मिलती है।(Image Credit-Vogue India)

लिंग के आधार पर वेतन अंतर

कई खेलों में लिंग के आधार पर वेतन में काफी अंतर है। जहां पुरुष खिलाड़ी महिला खिलाड़ियों की तुलना में अधिक कमाते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि यह बड़े स्तर के खेलों में मौजूद है।(Image Credit-The Times of india)

मीडिया कवरेज

पुरुष खेलों को अक्सर महिला खेलों की तुलना में अधिक मीडिया कवरेज और ध्यान मिलता है। इसके साथ ही महिला खिलाड़ियोंके लिए कम मीडिया कवरेज और कम कार्यक्रम होते हैं।(Image Credit-Fitternity)

सुविधाओं और संसाधन

महिलाओं की तुलना में पुरुष खिलाड़ियोंके पास सुविधाओं, प्रशिक्षण संसाधनों और कोचिंग सहायता तक बेहतर पहुंच होती है। यह असमानता महिला खिलाड़ियों के विकास और प्रदर्शन को प्रभावित करती है।(Image Credit-The New York Times)

विज्ञापन

अगर बात विज्ञापनों की की जाए तो अक्सर पुरुष खिलाड़ियों को ज्यादातर विज्ञापनों में जगह मिलती है और महिलाओं में कुछ ही ऐसी खिलाड़ी होती है जिन्हें विज्ञापनों में काम करने का मौका मिलता है। विज्ञापन पुरुष खिलाड़ियों से भरे पड़े हैं। (Image Credit-Wikipedia)

स्पांसरशिप

पुरुष खिलाडियों को स्पांसर करने के लिए बड़े बड़े लोग आगे आते हैं लेकिन महिलाओं के साथ इस चीज में भी काफी ज्यादा भेदभाव देखा गया है। महिला खिलाड़ियों के लिए स्पांसरशिप मिलना भी बहुत ही कठिन है। लोग सिर्फ महिला है यही देखकर उन्हें स्पांसर करने आगे नहीं आते।(Image Credit-Kreedon)

भागीदारी और प्रतिनिधित्व

कुछ खेलों में महिलाओं की भागीदारी और प्रतिनिधित्व ऐतिहासिक रूप से कम रहा है। जैसे- महिला मुक्केबाजी को 2012 तक ओलंपिक में शामिल नहीं किया गया था और महिलाओं की स्की जंपिंग को 2014 में जोड़ा गया था।(Image Credit-The Times of india)

पहचान और रोल मॉडल

ज्यादातर युवा पुरुष खिलाड़ियों से प्रेरित होते हैं उन्हें ही अपना रोल मॉडल मानते हैं। जबकि उसी तरह देश के लिए खेलने वाली और मैडल लाने वाली महिला खिलाडी को वह पहचान नहीं मिलती है।(Image Credit-The Times of india)