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How Parents Can Reduce Social Media Pressure on Children: वर्तमान युग तकनीक और इंटरनेट का युग है जहाँ सोशल मीडिया ने समाज के हर वर्ग विशेष रूप से बच्चों और किशोरों के जीवन में गहरी पैठ बना ली है। फेसबुक इंस्टाग्राम यूट्यूब स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बच्चे घंटों समय बिताते हैं। हालांकि यह माध्यम ज्ञान और रचनात्मकता के नए अवसर प्रदान करता है परंतु साथ ही यह बच्चों पर मानसिक सामाजिक और भावनात्मक दबाव भी बनाता है। सोशल मीडिया पर दिखावा तुलना ट्रोलिंग और लोकप्रियता की दौड़ बच्चों के आत्म सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकती है। ऐसे में माता पिता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है कि वे बच्चों को इस दबाव से कैसे बाहर निकालें और उन्हें संतुलित सुरक्षित और स्वस्थ डिजिटल जीवन जीने की दिशा में कैसे मार्गदर्शन करें।
बच्चों में सोशल मीडिया के दबाव को कैसे कम कर सकते हैं पेरेंट्स
1. बच्चों के साथ खुला संवाद बनाए रखें
माता पिता को चाहिए कि वे बच्चों के साथ ऐसा वातावरण बनाएं जहाँ वे अपने अनुभव बिना डर या झिझक के साझा कर सकें। सोशल मीडिया पर बच्चे किन लोगों से संपर्क में हैं क्या देख रहे हैं किन समस्याओं से जूझ रहे हैं इन सभी पहलुओं पर माता पिता को सहज रूप से बात करनी चाहिए। जब माता पिता बच्चों की बातें ध्यान से सुनते हैं और उन्हें बिना डाँटे समझाते हैं तो बच्चे भी उन्हें अपने डिजिटल जीवन का हिस्सा बना लेते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि यदि बच्चे को कभी साइबर बुलिंग ट्रोलिंग या नकारात्मक तुलना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़े तो वह अकेला महसूस न करे
2.सोशल मीडिया के उपयोग के लिए स्पष्ट नियम बनाएं
बच्चों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के नियम तय करना बहुत जरूरी है। जैसे स्क्रीन टाइम की सीमा तय करना सोते समय या भोजन के दौरान मोबाइल का प्रयोग न करना और पढ़ाई के समय ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूरी बनाए रखना। ये सीमाएं बच्चों को संतुलन सिखाती हैं।
3. सोशल मीडिया पर दिखावे और सच्चाई में फर्क सिखाना
आज की दुनिया में सोशल मीडिया एक ऐसा मंच बन चुका है जहाँ लोग अपनी ज़िंदगी का केवल सुंदर और संपन्न हिस्सा दिखाते हैं। तस्वीरों को फिल्टर करना उपलब्धियों को बढ़ा चढ़ाकर पेश करना आम बात हो गई है। ऐसे में बच्चे सोचने लगते हैं कि उनका जीवन दूसरों से कम है जिससे उनमें हीनभावना और असंतोष जन्म लेता है। पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों को इस डिजिटल भ्रम की सच्चाई से अवगत कराएं। उन्हें यह समझाना जरूरी है कि असली ज़िंदगी परफेक्ट नहीं होती और हर व्यक्ति की ज़िंदगी में चुनौतियाँ होती हैं चाहे वे सोशल मीडिया पर दिखें या नहीं।
4. बच्चों की आत्म प्रतिष्ठा और आत्म विश्वास को मज़बूत करें
जब बच्चे खुद को समझते हैं स्वीकारते हैं और अपनी विशेषताओं पर गर्व करते हैं तो वे बाहरी दबावों से कम प्रभावित होते हैं। माता पिता को बच्चों की क्षमताओं की पहचान करनी चाहिए और उनकी प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए, चाहे वह पढ़ाई हो खेल संगीत कला या कोई और रुचि। सोशल मीडिया पर मिलने वाले लाइक्स और कमेंट्स से कहीं अधिक जरूरी है कि बच्चा खुद को अंदर से मूल्यवान महसूस करे। जब बच्चा आंतरिक रूप से आत्मविश्वासी होता है तो वह दूसरों से तुलना करने की आवश्यकता नहीं महसूस करता।
5. रचनात्मक और ऑफलाइन गतिविधियों में भागीदारी बढ़ाएं
सोशल मीडिया का प्रभाव तब कम होता है जब बच्चों के पास और भी दिलचस्प उपयोगी और आनंददायक विकल्प मौजूद हों। माता-पिता को बच्चों को खेल कूद पेंटिंग संगीत डांस पढ़ाई किताबें पढ़ना परिवार के साथ समय बिताना और प्रकृति से जुड़ाव जैसी गतिविधियों की ओर प्रेरित करना चाहिए। परिवार के साथ समय बिताना सप्ताहांत में आउटिंग करना या कोई नया स्किल सीखना बच्चों को सोशल मीडिया के दबाव से दूर रखता है और एक संतुलित जीवनशैली विकसित करने में सहायक होता है।