/hindi/media/media_files/GajIrZb7bMKVabUpzmma.png)
How To Talk To Your Child While Respecting Their Privacy: डिजिटल युग है, बच्चों से लेकर बड़ों तक सबको प्राइवेसी चाहिए। लेकिन आज की डिजिटल दुनिया में माता पिता होने के नाते आपको अपने बच्चे के मानसिक और भावनात्मक स्थिति को समझना जरूरी हो गया है। लेकिन इसके बीच में उनकी प्राइवेसी आ जाती है जो कहीं ज्यादा अहम हो गई है। एक पैरेंट के रूप में यह जरूरी है कि आप अपने बच्चों से बात करें। अगर आप अपने बच्चे को अक्सर टोकते है या उनका फोन चेक करते है या वो किससे क्या बातचीत कर रहे इसपे नजर रखते है तो आपके बच्चे को लग सकता है कि आप उनपर भरोसा नहीं करते और धीरे धीरे आपके बच्चे इस बात को मन पे बिठा कर आपसे दूर होने लगते है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्चे के प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए उनसे बात करे, उनकी मेंटल स्टेट समझे कि वो क्या सोचते है और क्या करते है। आइए जानते है आप ये कैसे कर सकते है?
बच्चे की प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए कैसे करें उनसे बात
1. डर को कम करने की कोशिश करे
बच्चों के साथ ऐसा माहौल बनाएं जहां वे खुलकर बात कर सकें। उन्हें ये न लगे कि वे हर बात पर जज किए जाएंगे। उनपर किसी बात का दबाव न बनाए। अगर आप उनपर ज्यादा रोक टोक करते है या उनपर किसी बात को लेकर दबाव बनाते है तो अक्सर बच्चे डर जाते है और बातें छुपाने लगते है। इससे बचे।
2. बच्चों को स्पेस दे
हर बच्चे को अकेले समय की जरूरत होती है। जब वे तैयार हों, तब बातचीत की शुरुआत करें। उन्हें उनकी स्पेस दे, जिसमें वो अपनी पसंदीदा एक्टिविटीज कर सके।
3. डिजिटल प्राइवेसी को दे रिस्पेक्ट
उनका मोबाइल या डायरी बिना अनुमति चेक न करें। ऐसा करने से उनका आपसे भरोसा उठ सकता है। आप उनसे उनके ऑनलाइन दोस्तो के बारे में पूछ सकती है या उनकी स्टोरी या स्टेटस पर रिप्लाई करें, इससे यदि कोई चिंता है, तो पहले बात करें, और साथ सुलझाने की कोशिश करे।
4. उनके लिए उदाहरण बने
खुद के जीवन में प्राइवेसी को इंपॉर्टेंस दें। इससे बच्चा सीखेगा कि कैसे उसे दूसरों की सीमाओं का सम्मान करना चाहिए। बच्चों से कैसे बात करनी है इसका दायरा तय रखे। अगर आप अपने बातों के बीच में चिल्लाते है तो बच्चा भी ये कर सकता है। बच्चे के लिए खुद को उदाहरण की तरह पेश करे।
5. ओपन कम्युनिकेशन करे
रोज के बातचीत का समय तय करें, जैसे रात का खाने के साथ या सुबह नाश्ते के टेबल पे। ऐसे में ओपन कम्युनिकेशन रखे ताकि आपका बच्चा भी खुल कर आपको बातें बता सके और कन्वर्सेशन सही रहे। बेवजह ऐसी बातें न करे जो आपके बच्चे को असहज के दे।