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भारत की सबसे बड़ी ख़ासियत है उसकी विविधता। यहाँ विभिन्न क्षेत्रों, धर्मों और संस्कृतियों के लोग बेहद आसानी से अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं। इसी परंपरा की वजह से संयुक्त परिवार (Joint Family) का चलन शुरू से ही प्रचलित रहा है।
Joint Family vs Nuclear Family: बच्चों की परवरिश में किसका प्रभाव अधिक मज़बूत है?
हालाँकि, बदलती जीवनशैली और व्यक्तिगत सीमाओं के कारण लोग अब एकल (Nuclear) परिवारों को प्राथमिकता देने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर, इन दोनों तरह के परिवारों का बच्चों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। तो आइए जानें कि बच्चों की परवरिश के लिहाज़ से किस परिवार का प्रभाव अधिक सकारात्मक होता है।
1. संयुक्त परिवार में बच्चों की परवरिश
संयुक्त परिवारों में बच्चे विभिन्न पीढ़ियों के साथ रहते हैं। उन्हें दादा-दादी, नाना-नानी की कहानियाँ, माता-पिता का मार्गदर्शन और भाई-बहनों की दोस्ती, सबका साथ मिलता है। हमेशा कोई सुनने-समझने वाला पास होता है। बच्चे रिश्तों को देखकर बहुत कुछ सीखते हैं। उन्हें भावनात्मक सुरक्षा भी मिलती है, क्योंकि हर वक्त उनकी देखभाल के लिए कोई न कोई मौजूद रहता है।
संयुक्त परिवार की चुनौतियाँ
लेकिन इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। बच्चे बेहद संवेदनशील होते हैं, और हर पीढ़ी अपनी सोच के आधार पर उन्हें परखती है, जिससे उनके आत्मविश्वास पर प्रभाव पड़ सकता है। साथ ही, उनके निजी जीवन पर लगातार नज़र रहने की वजह से वे तनाव महसूस कर सकते हैं, जिसका मनोवैज्ञानिक असर भी पड़ सकता है।
2. एकल परिवार में बच्चों की परवरिश
एकल परिवार में बच्चे अपेक्षाकृत अधिक स्वाधीन होते हैं। वे मुख्य रूप से माता-पिता के साथ रहते हैं और स्वयं छोटे-बड़े कामों को संभालना जल्दी सीख जाते हैं। समस्याओं को सुलझाने की क्षमता उनमें अधिक विकसित होती है। अगर माता-पिता उचित स्वतंत्रता दें, तो ये बच्चे कई क्षेत्रों में आगे बढ़ सकते हैं और उनका आत्मविश्वास मज़बूत होता है। इसके साथ ही, उनके निजी जीवन में अनावश्यक दखल कम होता है।
एकल परिवार की चुनौतियाँ
हालाँकि, एकल परिवार में बच्चे अकेलेपन का शिकार हो सकते हैं। अगर माता-पिता व्यस्तता के कारण बच्चों को पर्याप्त समय न दें, तो इसका सीधा असर उनकी भावनाओं पर पड़ता है। कई बार उन्हें सही और गलत समझाने वाला कोई तुरंत उपलब्ध नहीं होता। इसके कारण बच्चे सामाजिक मेलजोल में हिचकिचा सकते हैं।
कौन सा परिवार बेहतर है?
इसका कोई निश्चित जवाब नहीं है कि कौन सा परिवार "बेहतर" या "खराब" है। असल में ज़रूरी यह है कि बच्चों की परवरिश कैसे की जा रही है, उन्हें कितनी भावनात्मक सुरक्षा मिल रही है, और उनके लिए परिवार में स्वस्थ सीमाएँ कितनी मजबूत हैं। हर परिवार, चाहे संयुक्त हो या एकल, अपने अंदर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव रखता है। महत्वपूर्ण यह है कि बच्चे के भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए एक संतुलित माहौल तैयार किया जाए।
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