जानिए Parents के Favouritism और Comparison का बच्चे पर क्या असर पड़ता है?

Parents का Favouritism बच्चों को बराबरी नहीं, हीन भावना सिखाता है। जो उनके आत्मविश्वास से लेकर आपसी रिश्तों तक को कमजोर बना सकता है और उनकी पूरी ज़िंदगी पर असर डाल सकता है।

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Deepika Aartthiya
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किसी भी परिवार में चाहे एक बच्चा हो या दो, लेकिन हर बच्चा यही चाहता है कि उसके परिवार के सभी सदस्य खास तौर उसके माता-पिता उसे बराबर प्यार और सम्मान दें। लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता है। पेरेंट्स अनजाने में ही सही मगर अपने बच्चों के बीच तुलना (Comparison) करने लगते हैं या किसी एक बच्चे को ज़्यादा attention देने लगते हैं। ये छोटी-सी आदत बच्चों के मन पर बहुत गहरा असर छोड़ सकती है।

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जानिए Parents के Favouritism और Comparison का बच्चे पर क्या असर पड़ता है?

1. बच्चे के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास पर असर

एक ही परिवार के एक बच्चे की तुलना जब दूसरे से की जाती है तो वो खुद को कमतर समझने लगता है। इस तरह से धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास टूटने लगता है और वो अपनी ही क्षमताओ पर शक करने लगता है। कभी-कभी बच्चा ओवरथिंक करने लगता है और डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है।

2. भाई-बहनों के रिश्तों में दरार

जब Parents अपने दो बच्चों में से किसी एक को ज़्यादा अटेंशन देने लगते है या उनकी आपस में तुलना करने लगते है। तो जिस बच्चे पर कम ध्यान दिया जाता है वो दूसरे बच्चे को हीन भावना से देखने लगता है। बार-बार ऐसा होने पर वो अपने ही भाई या बहन से नफ़रत करने लगता है। जिससे रिश्तों में कड़वाहट आ जाती है और परिवार का माहौल बिगड़ जाता है।

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3. मानसिक दबाव और चिंता

हर समय तुलना झेलने वाला बच्चा खुद को हमेशा दूसरों से बेहतर दिखाने की दौड़ में लगा रहता है। ऐसा करने से उस पर अनचाहा दबाव आता है। इससे तनाव, चिंता और कभी-कभी गुस्से की समस्या भी बढ़ सकती है।

4. पर्सनेलिटी डेवलपमेंट में रुकावट

तुलना अक्सर बच्चे के पर्सनेलिटी डेवलपमेंट पर भी बुरा असर डालती है। जब बच्चे को हमेशा उसकी कमियों के आधार पर ही आंका जाता है, तो वो अपनी असली पहचान और प्रतिभा को छिपाने लगता है। वो सिर्फ दूसरों जैसा बनने की कोशिश करता है और अपनी Originality भी खो देता है।

5. बच्चा खुद को कम आँकने लगता है

जब माता-पिता ही अपने बच्चों में तुलना करके एक बच्चे को कम आंकने लगते हैं, तो बच्चा भी खुद को दूसरों से कम समझने लगता है। लगातार होने वाले Comparison  की वजह से बच्चे को ऐसा लगने लगता है कि वो कभी भी अपने माता-पिता को खुश नहीं कर पाएगा। सही समय पर ध्यान ना देने से यह भावना उसके पूरे जीवन में आत्मसम्मान की कमी और नकारात्मक सोच पैदा कर सकती है।

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