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What changes are necessary in parenting to protect children from cyberbullying: आज कल के बच्चे जहाँ बड़ी आसानी से इंटरनेट-फ्रेंडली हो रहे हैं, वहीं वे अनजाने में कई प्रकार के दुष्प्रभावों का भी बहुत आसानी से शिकार हो रहे हैं, इसे तकनीकी भाषा में साइबर बुलिंग कहा जाता है। इंटरनेट पर बुलिंग अर्थात् साइबर बुलिंग का अनुभव बेहद खतरनाक है और इससे बच्चों की मनःस्थिति को चोट पहुँचती है। साइबरबुलिंग से बच्चों को मानसिक, भावनात्मक, और शारीरिक रूप से नुकसान पहुँच सकता है। साइबरबुलिंग से बचने के लिए और अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए माता-पिता कई तरह के कदम उठा सकते हैं। उन्हें समय के साथ अब अपने पेरेंटिंग तकनीक को बदलने की ज़रूरत हैआज कल के बच्चे जहाँ बड़ी आसानी से इंटरनेट-फ्रेंडली हो रहे हैं, वहीं वे अनजाने में जिससे वे अपने बच्चों को बाहर के खतरों के बारे में पहले से जागरूक बना सकें।
बच्चों को साइबरबुलिंग से बचाने के लिए पेरेंटिंग में क्या बदलाव ज़रूरी हैं?
1. बच्चों के स्वभाव और व्यवहार में होने वाले बदलावों पर ध्यान दें
अगर वे मूडी या अलग-थलग रहने लगे हैं या उनके ग्रेड गिर रहे हैं अथवा उन्हें स्कूल जाने में डर लगता है या वे कोई टेक्स्ट पढ़ने या ऑनलाइन जाने के बाद परेशान हो जाते हैं– ऐसे किसी भी तरह के बदलाव अगर आप व्यवहार में देखते हैं तो इसके पीछे का कारण पता लगाने की कोशिश करें।
2. साइबरबुलिंग के बारे में खुल कर बच्चों से बात करें
बच्चों से नियमित रूप से अनौपचारिक बातचीत करें और उन्हें भरोसा दिलाएं कि आप उनका समर्थन करते हैं। उन्हें बचपन में आपके साथ हुए किसी अनुभव के बारे में बताएं जिससे वो आपके साथ अपनी परेशानी साझा करने में सहज महसूस करें। उन्हें इस बात का भरोसा दिलाएं कि वे हमेशा आपकी मदद ले सकते हैं।
3. अपने बच्चे को यकीन दिलाएं कि इसका शिकार होना उनकी गलती नहीं
साइबरबुलिंग का शिकार हुए बच्चे यह सोच सकते हैं कि उनसे कोई गलती हो गई है। ऐसे में वो यह बात किसी से साझा करने में हिचकेंगे जिससे मुसीबत बढ़ सकती है। उन्हें डरने से मना करें। उन्हें यकीन दिलाएं कि यह उनकी गलती नहीं और यह कि आप हर हाल में उनके साथ हैं।
4. अपने बच्चों की ऑनलाइन दुनिया का हिस्सा बनें
अपने बच्चों को सोशल मीडिया साइट्स पर “मित्र” बनने या “फॉलो” करने के लिए कहें, लेकिन अपने बच्चे की प्रोफ़ाइल पर कुछ भी टिप्पणी या पोस्ट करके इस विशेषाधिकार का दुरुपयोग न करें। केवल बच्चों द्वारा देखी जाने वाली साइट्स की जाँच करें, और इस बात से अवगत रहें कि वे अपना समय ऑनलाइन कैसे बिताते हैं।
5. जितनी जल्दी हो सके तकनीक सीमाएं निर्धारित करें
जैसे ही बच्चे इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग करने में सक्षम हो जाते हैं, तकनीक के उपयोग पर उचित प्रतिबंध और अनुमतियां लगाएं। उचित सीमाएं निर्धारित करने से बच्चे बाद में अपने कंप्यूटर और फ़ोन से बहुत ज़्यादा जुड़ने से बच सकते हैं, और उन्हें अपनी डिजिटल पहचान से अलग एक स्वस्थ आत्म-बोध विकसित करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।