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How Do Skin Brightening Treatments Harm Your Skin? आज के समय में हर कोई बेदाग, निखरी और ग्लोइंग त्वचा पाना चाहता है। इसी चाहत में लोग विभिन्न प्रकार के स्किन ब्राइटनिंग ट्रीटमेंट्स का सहारा लेते हैं। ये ट्रीटमेंट त्वचा के कालेपन को दूर करने, दाग-धब्बे हल्के करने और कलर को निखारने का दावा करते हैं। बाजार में हाइड्रोक्विनोन, ग्लूटाथियोन, ब्लीचिंग एजेंट्स और लेजर ट्रीटमेंट जैसी कई तकनीकें उपलब्ध हैं, जिनका लोग तेजी से उपयोग कर रहे हैं। लेकिन इन प्रक्रियाओं के दुष्प्रभाव भी कम नहीं हैं। ये ट्रीटमेंट्स त्वचा की प्राकृतिक संरचना को नुकसान पहुंचा सकते हैं और कई गंभीर स्किन समस्याओं का कारण बनते हैं। आइये जानते हैं कि स्किन ब्राइटनिंग ट्रीटमेंट्स कैसे आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं?
Skin Brightening Treatment कैसे पहुंचाते हैं आपकी त्वचा को नुकसान
त्वचा की प्राकृतिक सुरक्षा पर असर
हमारी त्वचा की एक प्राकृतिक सुरक्षा परत होती है, जो उसे धूल, गंदगी, बैक्टीरिया और सूरज की हानिकारक किरणों से बचाती है। जब हम अधिक केमिकल युक्त स्किन ब्राइटनिंग प्रोडक्ट्स या ट्रीटमेंट्स का उपयोग करते हैं, तो यह सुरक्षा परत कमजोर हो जाती है। हाइड्रोक्विनोन और स्टेरॉयड युक्त क्रीम्स त्वचा की बाहरी परत को पतला कर देती हैं, जिससे यह बाहरी कारकों के प्रति अधिक सेंसिटिव हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप त्वचा में जलन, खुजली, रेडनेस और ड्राईनेस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
रासायनिक तत्वों के दुष्प्रभाव
स्किन ब्राइटनिंग ट्रीटमेंट्स में अक्सर हानिकारक रसायन होते हैं, जो त्वचा को अस्थायी रूप से गोरा बना सकते हैं, लेकिन लंबे समय में यह त्वचा को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं।
हाइड्रोक्विनोन: यह एक ब्लीचिंग एजेंट है, जो त्वचा के मेलेनिन प्रोडक्शन को कम करता है। लेकिन लगातार उपयोग करने से त्वचा संवेदनशील हो जाती है और हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या हो सकती है।
पारा (मरकरी): कुछ ब्लीचिंग क्रीम्स में पारा पाया जाता है, जो शरीर में विषैले तत्वों को जमा कर सकता है। यह लिवर और किडनी पर बुरा प्रभाव डाल सकता है और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर का कारण बन सकता है।
स्टेरॉयड: लंबे समय तक स्टेरॉयड क्रीम्स के उपयोग से त्वचा पतली हो सकती है और रेडनेस, जलन व खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
त्वचा की प्राकृतिक रंगत बिगड़ना
बहुत से लोग स्किन ब्राइटनिंग क्रीम्स और ट्रीटमेंट्स का उपयोग त्वचा का रंग हल्का करने के लिए करते हैं, लेकिन कई मामलों में इसका उल्टा असर होता है। कुछ लोगों में हाइपरपिगमेंटेशन (त्वचा पर गहरे दाग-धब्बे) या त्वचा का असमान रंग हो सकता है। अधिकतर केमिकल युक्त क्रीम्स त्वचा के प्राकृतिक मेलेनिन संतुलन को बिगाड़ देती हैं, जिससे स्किन पैचेस (धब्बे) और असमान टोन हो सकता है।
त्वचा का जल्दी बूढ़ा होना (प्रिमेच्योर एजिंग)
स्किन ब्राइटनिंग ट्रीटमेंट्स का एक और गंभीर दुष्प्रभाव यह है कि ये त्वचा को जल्दी बूढ़ा बना सकते हैं। जब त्वचा की प्राकृतिक सुरक्षा परत कमजोर होती है, तो कोलेजन उत्पादन कम होने लगता है। कोलेजन त्वचा को जवान और लचीला बनाए रखता है, लेकिन जब यह कम होता है, तो झुर्रियां और फाइन लाइंस जल्दी दिखने लगती हैं। इससे त्वचा की लोच (इलास्टिसिटी) कम हो जाती है और व्यक्ति की उम्र अधिक लगने लगती है।
स्किन कैंसर का खतरा
कुछ स्किन ब्राइटनिंग ट्रीटमेंट्स और ब्लीचिंग प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल्स त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। लगातार हाइड्रोक्विनोन और अन्य ब्लीचिंग एजेंट्स का उपयोग करने से त्वचा की कोशिकाएं असामान्य रूप से विकसित होने लगती हैं, जिससे स्किन कैंसर जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।
साइड इफेक्ट्स से कैसे बचें?
अगर आप स्किन ब्राइटनिंग ट्रीटमेंट का उपयोग करना चाहते हैं, तो पहले उसके दुष्प्रभावों के बारे में अच्छी तरह से जानकारी लें। प्राकृतिक तरीकों से त्वचा की देखभाल करना अधिक सुरक्षित और प्रभावी होता है।
संतुलित आहार लें: हरी सब्जियां, फल, नट्स और विटामिन C युक्त आहार त्वचा को प्राकृतिक रूप से चमकदार बनाए रखते हैं।
पर्याप्त पानी पिएं: हाइड्रेटेड त्वचा अधिक हेल्दी और ग्लोइंग होती है।
सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें: सूरज की हानिकारक किरणों से बचने के लिए रोजाना SPF 30+ सनस्क्रीन लगाएं।
प्राकृतिक उपाय अपनाएं: एलोवेरा, हल्दी, नींबू और शहद जैसे प्राकृतिक तत्वों का उपयोग करें, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के त्वचा को चमकदार बनाते हैं।