सोशल मीडिया पर स्थापित Beauty Standards से अगर आप भी प्रभावित होती हैं तो जाने ये बातें

ज्यादातर “परफेक्ट बॉडी” और “फ्लॉलेस स्किन” के पीछे घंटों की मेकअप, पोज़िंग, फोटोशूट, और एंगल प्लानिंग छुपी होती है — जिसे एक सेकेंड की रील में दिखाया जाता है। यही भ्रम महिलाओं में self-doubt और body shame की भावना पैदा करता है।

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Kirti Sirohi
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Know These Things If You Also Get Influenced By The Beauty Standards Of Women On Social Media: महिलाओं के लिए हमारे समाज ने हमेशा से खूबसूरती और सुंदरता के कुछ पैमाने तय किए हुए हैं और अक्सर हमें उन पैमानों के हिसाब से नापा जाता है और बताने की कोशिश की जाती है कि हम क्यों शादी के लायक नहीं हैं, एक अच्छी, सुशील और सुन्दर महिला होने का दर्ज नहीं पा सकते या और भी ऐसा कुछ। समाज के बनाए ये कुछ बेतुके नियम कम नहीं थे कि आधुनिक समाज में सोशल मीडिया और viral influencer और उनके अजीब तरह के ब्यूटी स्टैंडर्ड्स ने महिलाओं के लिए इन सुंदरता के नियमों में कुछ और इजाफा कर दिया।

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सुबह उठते ही सबसे पहले हम अपने फोन को चेक करते हैं और इंस्टाग्राम, यूट्यूब शॉर्ट्स, पिंटरेस्ट या फिर फेसबुक की नई नोटिफिकेशन या अपने पसंदीदा इन्फ्लूएंसर की reel अपडेट चेक करते हैं। वहां हमें खूबसूरत स्किन, ग्लोइंग फेस, परफेक्ट बॉडी और ट्रेंडी कपड़े पहनी हुई लड़कियां दिखती हैं और “खूबसूरती” की हमारी वो परिभाषा सिर्फ थीं तक सीमित रह जाती है। छोटी-छोटी बच्चियों पढ़ने की किताबों की जगह महंगी मेकअप किट की डिमांड करती हैं और बड़ी महिलाएं अपने आप से ही असंतुष्ट रहने लगती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सोशल मीडिया पर जो आप देख रही हैं उसमें पीछे क्या झूठ या हकीकत है और फिल्टर की उस दुनिया में क्या कोई असली चेहरा है भी या नहीं?

क्या है Beauty Standards का असली मतलब?

आज के समय में “खूबसूरत दिखना” यानी खुद को समाज के द्वारा महिलाओं के लिए निर्धारित किए खास सांचे में फिट करने बराबर है। यहां अगर आपके एक महिला हैं तो आपकी गोरी त्वचा, पतला शरीर, शार्प ब्यूटी फीचर्स, हाई फैशन कपड़े और एक दमदार मेकअप होना बहुत जरूरी है। लेकिन सच्चाई ये है कि ये सुंदरता के स्टैंडर्ड्स न तो नेचुरल ही हैं और न ही सभी के लिए एक समान हैं। और जो लोग इनपर भरोसा करते हैं उन्हें यह जानना चाहिए कि हर महिला की त्वचा, शरीर, उम्र, रंग और लाइफस्टाइल बिल्कुल अलग होती है। लेकिन इसके बाद भी हम सब एक जैसे दिखने की कोशिश में खुद की असली खूबसूरती को खोये जा रहे हैं और इंसानी खूबसूरती को छोड़कर बाहरी और दिखावटी चीजों की तरह कदम बढ़ा रहे हैं।

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सोशल मीडिया पर फिल्टर और एडिटिंग का खेल

सोशल मीडिया पर रियल-टाइम अपडेट फीचर कब लोगों को रिझाने और फिल्टर और एडिटिंग टूल्स की मदद से सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट करने का जरिए बन गईं पता ही नहीं चल पाया और धीरे धीरे उनमें रियलिटी बिल्कुल खत्म होने लगी है। कई बार तो यह तस्वीरें इतनी एडिट की जाती हैं कि वह इंसान खुद भी खुद को पहचान न पाए और जब यह चीज़ जब एक आम लड़की देखती है तो उसे लगता है कि वो पीछे रह गई है या वो सुंदर नहीं है। 

फेक ब्यूटी ट्रेंड्स और मेंटल हेल्थ

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सोशल मीडिया पर खूबसूरती और परफेक्शन की नकली परिभाषाएं कई लड़कियों और महिलाओं को मानसिक रूप से तोड़ देती हैं और उनका आत्मविश्वास भी कमजोर करती हैं। इंस्टाग्राम पर लाइक, कमेंट और फॉलोवर्स पाने की होड़ में जब एक लड़की अपनी फोटो डालती है और बदले में अटेंशन नहीं पाती तो वे सोचती हैं कि अगर वे वैसी नहीं दिखतीं, उनके फॉलोवर नहीं बढ़ते, ज्यादा लाइक नहीं आते तो वे सुंदर नहीं हैं। इससे मनोबल की कमी, डिप्रेशन और यहां तक कि सर्जरी करवाने तक के विचार आने लगते हैं। ब्यूटी को बाहरी तौर पर नापने की यह मानसिकता धीरे-धीरे महिलाओं की असली ताकत, उनकी अच्छी सोच, शिक्षा, आत्मनिर्भरता और भावनाओं को कमजोर करती है। 

खुद को स्वीकार करना ही असली सुंदरता है

एक प्रभावी फेमिनिस्ट लेखिका बेल हूक्स कहा था, “Loving ourselves as women makes us dangerous in a world that profits from our self-doubt.” यानी जब एक महिला खुद से प्यार करने लगती है तो वह समाज की उस सोच के लिए खतरा बन जाती है जो उसके आत्म-संदेह से प्रॉफिट कमाते हैं। इसलिए हमें समझना चाहिए कि खूबसूरती कोई बाहरी चीज नहीं बल्कि ये आपके आत्मविश्वास (confidence), आत्म-स्वीकृति (self-acceptance) और सोचने के तरीके में झलकती है। अगर आप अपने शरीर, अपने रंग, अपने बालों और अपनी मुस्कान को बिना शर्त अपनाती हैं तो आप दुनिया की सबसे सुंदर और सशक्त महिला बन जाती हैं।

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Digital D करें और खुद को समय दें

सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताना काफी नकारात्मक हो सकता है। इंस्टाग्राम, फेसबुक या यूट्यूब, ये कुछ ऐसे प्लेटफॉर्म हैं जहां लोग खुद को सबसे ज्यादा खुश, सुंदर, रिश्तों के इर्दगिर्द रहने वाला दिखाकर, असल जिंदगी में बेहद अकेले होते हैं। इसलिए अगर आपको लगता है कि इंस्टाग्राम या अन्य ऐप्स आपके आत्मविश्वास को कम कर रहे हैं या आपको गलत तरह से प्रभावित कर रहे हैं तो एक डिजिटल डिटॉक्स जरूर करें। खाली वक्त में mindfulness प्रैक्टिस करें, पेंटिंग, कुकिंग, अपने दोस्तों और करीबियों के साथ समय बिताए, उनसे बातचीत करें औरअपने आपको आइने में देखें और कहें खुद को affirmations बोलें, जैसे कि मैं जैसी हूं, वैसी ही सुंदर हूं! मेरी स्किन, मेरी स्ट्रेंथ है! मेरी स्माइल बहुत प्यारी है, किसी फिल्टर की मुझे जरूरत नहीं है।

रील्स नहीं, रियल बनिए

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दुनिया में कोई भी महिला “परफेक्ट” नहीं होती, और यही उसकी असल खूबसूरती है। सोशल मीडिया की दुनिया आपको चाहे जो दिखाए, लेकिन खुद से प्यार करना सबसे ज़रूरी है। अपने चेहरे की रेखाओं, शरीर की बनावट और आत्मा की सुंदरता को पहचानिए — क्योंकि आप जैसी हैं, वैसी ही सबसे खास हैं।

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