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यह एक समय है जब सरकार और संगठन साथ मिलकर काम कर रहे हैं। क्यों संगठनों को अपने कर्मचारियों को कार्यस्थल पर लचीलापन देना चाहिए - इसका जवाब यह है कि इससे कार्यस्थल पर महिलाओं की संख्या बढ़ेगी। कर्मचारी अपने काम और परिवार को संतुलित करें, इसलिए कंपनियों को कई तरीके खोजने चाहिए। एक स्टडी के दौरान केवल 45% महिलाओं ने कहा की उनके मैनेजर्स यह जरूरत ध्यान में रखते हैं। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार दोनों महिला और पुरुष असमर्थ महसूस करते हैं।
स्टडी से पता चलता है कि 40% कमचारियों के बच्चे घर पर हैं और उनमें से 17% को अपने साथी से कोई लाभ नहीं मिलता। इसलिये कार्यस्थल पर लचीलापन होना बेहद ज़रूरी है।
यह एक सिद्ध तथ्य है कि महिलाऐं अपने दिन के कार्यों के अलावा ज्यादा से ज्यादा घर की जिम्मेदारियां संभालती हैं। लेकिन, कार्यस्थल पर लचीलापन, अगर हो तो यह सारी समस्याएं खत्म हो सकती हैं।
कुछ कंपनियां कार्यस्थल पर लचीलापन प्रदान करती हैं। पार्ट-टाइम काम करना और दूरभाष इनमें से ही कुछ हैं। लेकिन, कुछ ही कंपनियां इन चुनौतियों का सामना करती हैं। जैसे, ऑन-साइट चाइल्डकैअर अब धीरे-धीरे प्रचलित हो रहा है। लेकिन यह असामान्य है। यह सिद्ध तत्व है कि जिन कर्मचारियों को यह आश्वासन होता है कि उनके बच्चों का ध्यान रखा जा रहा है, वे कार्यक्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
हाल ही में शीदपीपल के साथ बात करते हुए प्रसिद्व अर्थशास्त्री डॉ. शमीका रवी ने कहा - "कोई भी मातृत्व लाभ महिलाओं को श्रम बाजार से मुक्त कर देगा। फर्म्स रोजगार के समय ऐसी लागतों को कम कर देती हैं। इसलिए वे अतिरक्त लागतों को दूर करने के लिए पुरुष कर्मचारियों के साथ महिला कर्मचारियों का स्थानापन्न करेंगे। पितृत्व को अनिवार्य बनाकर - कोई विकृति नहीं है"।
ब्रूकिंग्स इंडिया के डायरेक्टर ऑफ़ रिसर्च और प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रवि ने कहा कि कानून में लैंगिक समानता के लिए बदलाव लाने में लम्बा रास्ता तय होगा।
यह सच है कि महिलाएं सफलता की सीडी पर चढ़ रहीं हैं लेकिन उसके लिए कार्यस्थल पर समानता और न्याय की ज़रूरत है।
एक अध्यन के दौरान पता चला कि अगर कार्यस्थल पर लचीलापन हो तो संघठनो को कई लाभ होते हैं। यह कुछ कदम हैं जिनके कारण कार्यस्थल पर लचीलापन आना संभव है।
फर्म्स को यह ज़रूर पता होना चाहिए कि उनके कर्मचारी कौन हैं, कहां से आये हैं, कैसे काम संभालते हैं, और कैसा अनुभव करते हैं। उन पर नज़र रखें कि किस वक़्त उन्हें कहां होना चाहिए और वह किस तरह से काम कर रहे हैं।
अपने लक्ष्यों को पहचाने। क्यूंकि कंपनी और कर्मचारियों का एक ही लक्ष्य होना चाहिए। इसलिए लक्ष्य बनाएं कि कैसे उनसे कार्येक्षेत्र में उत्पादकता हो सकती है। साथ ही, ज़रूरतों को पहचानकर अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक ब्लू प्रिंट भी बना लें।
एक महत्वपूर्ण कारक ब्रैक्सों का प्रोत्साहन करना है। यह सिद्ध है कि ब्रेक्स बेहतर अनुकूलनशीलता और लचीलपन लाते हैं। कर्मचारियों को खुद को आराम देने का समय मिलता है और वे खुद को रिचार्ज भी कर लेते हैं। वे अन्य कर्मचारियों से भी मिलने का अवसर प्राप्त करते हैं।
रिसर्च करना और बाकी संघठनो का निरीक्षण करना अच्छा विचार है। अन्य सफल व्यवसायों को देखिये और उन्हीं के अनुसार अपने कार्यक्षेत्र में परिवर्तन लाईये। इसमें कुछ सवालों का जवाब देना और सुझावों को लागू करना शामिल है। कर्मचारियों के व्यव्हार, तकनीक का इस्तमाल आदि के लिए एक प्लान का होना ज़रूरी है।
स्टडी से पता चलता है कि 40% कमचारियों के बच्चे घर पर हैं और उनमें से 17% को अपने साथी से कोई लाभ नहीं मिलता। इसलिये कार्यस्थल पर लचीलापन होना बेहद ज़रूरी है।
यह एक सिद्ध तथ्य है कि महिलाऐं अपने दिन के कार्यों के अलावा ज्यादा से ज्यादा घर की जिम्मेदारियां संभालती हैं। लेकिन, कार्यस्थल पर लचीलापन, अगर हो तो यह सारी समस्याएं खत्म हो सकती हैं।
यह मानना कि चाइल्डकैअर की ज़िम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की है - इससे हम आगे प्रगति नहीं कर पाएंगे।
कुछ कंपनियां कार्यस्थल पर लचीलापन प्रदान करती हैं। पार्ट-टाइम काम करना और दूरभाष इनमें से ही कुछ हैं। लेकिन, कुछ ही कंपनियां इन चुनौतियों का सामना करती हैं। जैसे, ऑन-साइट चाइल्डकैअर अब धीरे-धीरे प्रचलित हो रहा है। लेकिन यह असामान्य है। यह सिद्ध तत्व है कि जिन कर्मचारियों को यह आश्वासन होता है कि उनके बच्चों का ध्यान रखा जा रहा है, वे कार्यक्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
बिज़नेस और वित्तीय सेवाएं इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं ताकि काम-क़ाज़ी माता-पिता इसका लाभ उठा सकें।
हाल ही में शीदपीपल के साथ बात करते हुए प्रसिद्व अर्थशास्त्री डॉ. शमीका रवी ने कहा - "कोई भी मातृत्व लाभ महिलाओं को श्रम बाजार से मुक्त कर देगा। फर्म्स रोजगार के समय ऐसी लागतों को कम कर देती हैं। इसलिए वे अतिरक्त लागतों को दूर करने के लिए पुरुष कर्मचारियों के साथ महिला कर्मचारियों का स्थानापन्न करेंगे। पितृत्व को अनिवार्य बनाकर - कोई विकृति नहीं है"।
ब्रूकिंग्स इंडिया के डायरेक्टर ऑफ़ रिसर्च और प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रवि ने कहा कि कानून में लैंगिक समानता के लिए बदलाव लाने में लम्बा रास्ता तय होगा।
यह सच है कि महिलाएं सफलता की सीडी पर चढ़ रहीं हैं लेकिन उसके लिए कार्यस्थल पर समानता और न्याय की ज़रूरत है।
एक अध्यन के दौरान पता चला कि अगर कार्यस्थल पर लचीलापन हो तो संघठनो को कई लाभ होते हैं। यह कुछ कदम हैं जिनके कारण कार्यस्थल पर लचीलापन आना संभव है।
अपने कर्मचारियों को अच्छी तरह से पहचानें - कार्यस्थल पर लचीलापन लाएं
फर्म्स को यह ज़रूर पता होना चाहिए कि उनके कर्मचारी कौन हैं, कहां से आये हैं, कैसे काम संभालते हैं, और कैसा अनुभव करते हैं। उन पर नज़र रखें कि किस वक़्त उन्हें कहां होना चाहिए और वह किस तरह से काम कर रहे हैं।
स्थिरता की दिशा में साथ काम करें
अपने लक्ष्यों को पहचाने। क्यूंकि कंपनी और कर्मचारियों का एक ही लक्ष्य होना चाहिए। इसलिए लक्ष्य बनाएं कि कैसे उनसे कार्येक्षेत्र में उत्पादकता हो सकती है। साथ ही, ज़रूरतों को पहचानकर अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक ब्लू प्रिंट भी बना लें।
ब्रेक्सों का प्रोत्साहन करें
एक महत्वपूर्ण कारक ब्रैक्सों का प्रोत्साहन करना है। यह सिद्ध है कि ब्रेक्स बेहतर अनुकूलनशीलता और लचीलपन लाते हैं। कर्मचारियों को खुद को आराम देने का समय मिलता है और वे खुद को रिचार्ज भी कर लेते हैं। वे अन्य कर्मचारियों से भी मिलने का अवसर प्राप्त करते हैं।
परिवर्तन करें और उसे स्थापित करें
रिसर्च करना और बाकी संघठनो का निरीक्षण करना अच्छा विचार है। अन्य सफल व्यवसायों को देखिये और उन्हीं के अनुसार अपने कार्यक्षेत्र में परिवर्तन लाईये। इसमें कुछ सवालों का जवाब देना और सुझावों को लागू करना शामिल है। कर्मचारियों के व्यव्हार, तकनीक का इस्तमाल आदि के लिए एक प्लान का होना ज़रूरी है।