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पांच वजहें क्यों बच्चों को फेमिनिस्ट पिता की ज़रूरत है

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Swati Bundela
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नए ज़माने के पिता हमें खुश होने की एक बहुत बड़ी वजह दे रहे हैं। वो जेंडर में समानता होने की ज़रूरत समझते हैं और इसलिए फेमिनिज्म को आवाज़ को बुलंद करते हैं। यह देख कर दिल को बहुत सुकून मिलता है कि फेमिनिस्ट पिता अपने बच्चों को ट्रेनिंग देने पर इतना फोकस कर रहे हैं।
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आगे पढ़े ये जानने के लिए कि क्यों हमें ऐसे और फेमिनिस्ट पिताओं की बहुत जरूरत है। 
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रोल मॉडल सेट करना
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बच्चों को रोल मॉडल की ज़रूरत होती है जिनसे वो सीख सकें। बेटियां अपने पिता के व्यवहार को बहुत ही नजदीकी से देखती और जांचती हैं ताकि उन्हें उनके पिता का महिलाओं के प्रति नजरिए के बारे में पता चल सके। ये नजरिया उनके खुद के सेल्फ-इमेज के विकसित होने में बहुत ज़रूरी रोल अदा करता है।
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जेंडर स्टेरियोटाइपिंग से मुंह मोड़ना
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फेमिनिस्ट पिताओं जानते हैं कि अपने बच्चों को जेंडर स्टेरियोटाइपिंग के लिए फोर्स करना बुरी पेरेंटिंग है। जेंडर स्टेरियोटाइपिंग उनके सेल्फ-इमेज को बहुत कुछ करने से रोक कर बुरी तरह घायल कर सकते हैं। वह उन्हें वैसा इंसान बनने से रोक कर जैसा वो बनना चाहते हैं, उनके इमोशनल विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
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समानता के कॉन्सेप्ट को दोहराना
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समानता के बारे में सीखा देना ही काफी नहीं। फेमिनिस्ट पिता अपने बच्चों के नज़रिए को सही दिशा में बढ़ाने के लिए लगातार काम करते हैं। अपने बेटे को अपने कपड़े खुद साफ करने को कहना और बेटी को बाथरूम में बल्ब लगाने को कहना कुछ कमाल के तरीके हैं जिनसे आप अपने बच्चों को ये सीखा सकें की 'डिवीजन ऑफ लेबर' का आइडिया असलियत में सच नहीं है।

उन टॉपिक्स पर बात करना जो ज़रूरी हैं

फेमिनिस्ट पिता बहुत समझदारी के साथ मीडिया का इस्तेमाल कर जेंडर डिस्क्रिमिनेशन और स्टेरियोटाइपिंग के टॉपिक्स की बात कर सकते हैं। फिल्में देखना जिनमें महिलाओं को किसी तरीके से दिखाया गया हो और उसके बाद एक हेल्थी डिस्कशन करना जहां बच्चे अपनी सोच को बता सकें। बच्चों को हर दिन न्यूजपेपर पढ़ने के लिए एनकरेज करना और उसमें उन न्यूज को हाईलाइट करने के लिए कहना जो उन्हें लगता हो कि सोसायटी में गलत हो रहा है।

जेंडर से जुड़े हिंसा को रोकना

औरतों के साथ हिंसा करने वाला हर इंसान कभी ना कभी बच्चा था। और यही वो समय होगा जब फेमिनिस्ट पिता के कदम यूज बच्चे को बड़ा होकर वैसा बनने से रोकेंगे। अपने बच्चों को उनके इमोशंस और सोच को एक्सप्रेस करने का मौका देना अच्छे परेंटिंग की निशानी है। अपने बेटों की मदद करे मस्क्यूलिनिटी के गलत विचारों से निकलने में।
पेरेंटिंग
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