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फोटोग्राफर गरिमा दीक्षित बताती हैं सैनिकों की पत्नियाँ क्यों होती हैं साहसी

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Swati Bundela
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फोटोग्राफर गरिमा दीक्षित ने हाल ही में तस्वीरों की एक अद्भुत श्रृंखला शूट की है और बताया है कि सेना में रहने वाले व्यक्ति किस तरह के संबंध अपने जीवन में रहने वाली महिलाओं के साथ रखते है. सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरों को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है. SheThePeople.Tv ने गारिमा
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दीक्षित से बातचीत की और जाना उनकी फोटोग्राफी के बारे में, एक सेना अधिकारी की पत्नी के रूप में जीवन और अन्य बातें.



गारिमा ने हमें बताया ,"मैं तस्वीरों में चित्रित भावनाओं से बहुत अच्छी तरह से संबंध स्थापित कर सकती हूं. मेरे पति और बेटी के बीच एक विशेष संबंध है और मेरी बेटी अपने पिता को हर समय अपने आसपास चाहती है. लेकिन उनके लिये कर्तव्य सबसे पहले आता है और उन्हें लंबे अवधि के लिए बाहर जाना पड़ता है. "
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उन्होंने उस बारें में भी बात की जब उनके पति उदास थे क्योंकि वह अपनी बेटी के पहले और दूसरे जन्मदिन में नही आ पायें थे. असल में, देश की रक्षा करने वाले अपने परिवार से दूर किस तरह से अपने कर्तव्य पूरे करते है, इस बात ने गरिमा को सोचने पर मजबूर कर दिया.

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उन्होंने फोटोग्राफी के बारे में बात करते हुये कहा, “मैंने सोचा कि तस्वीरों की एक श्रृंखला क्यों न करें जहां मैं दिखा सकता हूं कि हमारे सेना के पुरुष पहले मनुष्य हैं और किसी के बेटे, पिता और पति भी हैं."



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एक सेना के अधिकारी की पत्नी के रूप में जीवन



सेना के अधिकारी की पत्नी के रूप में जीवन के बारे में बात करते हुए, वह कहती हैं कि सेना के पुरुषों की पत्नियां बहुत साहसी होती हैं.



उन्होंने बताया, "ऐसे समय होते हैं जब आपका पति आपसे दूर होता है और आप अकेले सब कार्य करते हैं, बच्चों का काम करते हैं, अपना काम और अन्य सभी कार्यों को स्वयं ही करते हैं. आप उन्हें मुस्कुराते हुये ही देखते हैं - उस वक़्त भी जब वह भावनाओं के भंवर में फंसी होती है और उस वक़्त जब उसका पति किसी सीमा पर या विशेष अभियान में होता है.”

फोटोग्राफी की जर्नी



गरिमा अपनी बेटी के जन्म के बाद फोटोग्राफी में आ गई. वह पोस्ट पार्टम डिप्रेशन से पीड़ित थी इसकी वजह से वह अपनी बेटी के साथ बहुत ज्यादा समय नही बिता सकती थी. यही वह समय था जब उन्होंने कैमरा उठाया और अपनी बेटी की फोटो लेने लगी, जिसने उन्हें अपने डिप्रेशन से निपटने में भी मदद की.



उन्होंने ख़ुलासा किया, "एक बार जब मैंने फेसबुक मम्मी ग्रुप पर अपनी बेटी के पहले जन्मदिन की तस्वीरें पोस्ट की, तो लोगों ने इसे इतना पसंद किया कि मुझे बहुत सारी माँओं के पास से अनुरोध आने लगे की मैं उनकी बच्ची की फोटो लू. वह फोटोग्राफी की दुनिया में मेरी यात्रा की शुरुआत थी. "



गरिमा के लिए, अपनी बेटी और अन्य बच्चों की तस्वीरें क्लिक करना ताज़ी हवा की सांस की तरह है, यह उसे सकारात्मकता से भरता है और उसकी मुस्कुराहट सुनिश्चित करती है कि मैं हर दिन एक नई चुनौती और साहस के लिए तैयार हूं.

"फोटोग्राफी सिर्फ मेरा जुनून नहीं है, यह मेरे लिए जीवन है. मेरा दिन यह सोचने से शुरू होता है कि आज मैं क्या अलग कर सकती हूं. मैं हमेशा से रचनात्मक रही हूं, इसलिए फोटोग्राफी सिर्फ मेरे व्यक्तित्व और आत्मा का का ही एक अंश है

है,"- गरिमा दीक्षित



फोटोग्राफी में सोशल मीडिया की भूमिका



अपनी फोटोग्राफी यात्रा में सोशल मीडिया ने जो रोल निभाया है, उसके बारे में बात करते हुये उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी अपने सपने में भी उम्मीद नहीं की थी कि उनकी तस्वीरें लाखों लोगों तक पहुंच जाएगी.



उन्होंने कहा,"आज की दुनिया में, इसमें कोई संदेह नहीं है कि सोशल मीडिया आपको मार्केटिंग उत्पादों से लेकर नेटवर्किंग तक - अपनी ब्रांड छवि स्थापित करने में बड़ा अह्म रोल अदा कर रही है. आज की महिला तकनीक की जानकार है और यदि वे सही रणनीतियों का उपयोग करके सही तरीके से उपयोग की जाती हैं, तो वे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से अपने सपने को सच कर सकते हैं. इसने सकारात्मक रूप से मेरे लिए काम किया है. "
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