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बंगाल: ’युद्ध ना चाहने’ के लिए शहीद की विधवा को ट्रोल किया जा रहा है

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Swati Bundela
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पाकिस्तान समर्थित एक आतंकी हमले में एक पखवाड़े से भी कम समय में उसके पति की जान चली गई। अब इस युवा हावड़ा विधवा को ट्रोलिंग के साथ संघर्ष करना पड़ रहा है - अपने हमवतन लोगो से - जिन्होंने उनकी सोच को पसंद नहीं किया है

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मीता संतरा के लिए, जिनके पति, बबलू संतरा, 40 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले में मारे गए 14  सीआरपीएफ जवानों में से एक थे, सोशल मीडिया पर गलत व्यव्हार दुःख का कारण बन गया है। उन्हें  विभिन्न वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर ट्रोल किया गया और "कायर और आत्म-केंद्रित" होने जैसे ताने भी दिए गए।



हालांकि कुछ पोस्ट बहुत अपमानजनक थी, हावड़ा के बौरिया की एक अंग्रेजी शिक्षक मीता - दबाव में आने के लिए तैयार नहीं हैं।शुरुआत में उनके चारों ओर, उन्हें ताने देने वाले कोलकता के लोग चारो और थे । गृहिणियों से लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों, छात्रों और यहां तक ​​कि प्रमुख बुद्धिजीवियों तक, कई ने शिक्षक के युद्ध-विरोधी रुख की सराहना की है।
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अभी, मैं सोशल मीडिया साइट्स को देखने की स्थिति में नहीं हूं। लेकिन अभी भी मैंने युद्ध के बारे में जो कहा है, मैं उसके साथ खड़ी रहूंगी। लोगों की अपनी राय है; यह व्यक्ति की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। मैं अलग नहीं हूं, ”उन्होंने टीओआई से कहा।

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यह बताते हुए कि वह युद्ध के खिलाफ क्यों है, मीता ने कहा कि युद्ध के मैदान में हर मौत अंततः काफी सारे परिवार एक मुश्किल डोर से गुज़रते है । "एक शिक्षक और इतिहास के एक छात्र के रूप में, मुझे पता है कि युद्ध कोई स्थायी समाधान नहीं ला सकता है। एक पत्नी अपने पति को खो देती है, एक माँ अपने बेटे को खो देती है, एक बेटी अपने पिता को खो देती है, ”उन्होंने कहा। युद्ध सिर्फ तबाही लाता है।



हर किसीकी अपनी सोच और अपनी विचारधाराएं है। एक शहीद की पत्नी होने के नाते मीता भी एक मुश्किल डोर से गुज़र रही है। ज़ाहिर है की वो नहीं चाहती की किसी और को यह दर्द महसूस करना पड़े परन्तु वह नहीं जानती की जवाब देना भी जरूरी होता है, बाकी अब सब कुछ सरकार और दो देश के बीच आपसी समझदारी आगे की कार्रवाई के लिए ज़िम्मेदार है।
#फेमिनिज्म
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