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राजश्री देशपांडे बताती हैं अपने सेक्रेड गेम्स के अनुभव और ट्रॉल्स का सामना करने के बारे में

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Swati Bundela
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सेक्रेड गेम्स, भारत की पहली मूल नेटफ्लिक्स श्रृंखला अपने पहले एपिसोड से ही चर्चा का विषय बन गई है. इसे बहुत पसंद किया जा रहा है. इसका सीजन 2 जल्द ही शुरु होने वाला है. हमने राजश्री देशपांडे से बात की, जिन्होंने वेब-सीरीज़ में सुभद्रा, गैंगस्टर गायतोंडे की पत्नी की भूमिका निभाई और उन्हें इसके लिए सराहना मिल रही है. उन्होंने अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन की कुछ बातें साझा की.

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अभिनय चुनना



राजश्री देशपांडे एक एडवरटाइजिंग की छात्रा रही हैं और उन्होंने फिल्म निर्देशन का भी कोर्स किया है. अभिनेत्री बनने की अपनी पसंद के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, "मैं बचपन से नृत्य और मिमिक्री करती रही हूं. अभिनय मुझे खुशी देता है. मैंने कभी पेशे के रूप में अभिनय को नहीं देखा है; यह मेरे लिए एक जुनून है. मैंने कभी नहीं सोचा कि यह कभी भी पेशे में बदल सकता है. मुझे बचपन से बताया गया है कि मुझे पढ़ना है और बाद में काम करना है. यह एक प्रोटोकॉल है जिसका हम वर्षों से पालन कर रहे हैं. समय अब बदल रहा हैं, लेकिन वास्तव में मुझे किसी ने नही बताया कि आप करियर के रूप में इसे चुन सकते है."

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"शुरुआत में, मैंने अपना जुनून को अलग रखा और एक विज्ञापन कंपनी शुरू की. लेकिन एक समय आया, जब मैंने विज्ञापन छोड़ दिया और अपने सपनों के पीछे चल पड़ी. मैं मुंबई शिफ्ट हो गई और फिर अभिनय करने का मौका मुझे मिल गया."

आलोचना ने मुझे वास्तव में किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया है. मुझे वह पसंद है जो मैं करती हूं, मुझे गर्व है और मैं स्वेच्छा से चीजें करती हूं - राजश्री देशपांडे

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सेक्रेड गेम्स की दुनिया



उन्होंने सेक्रेड गेम्स को कैसे चुना, इस बारे में बात करते हुए राजश्री ने कहा, "मैंने सुभद्रा की भूमिका के लिए ऑडिशन किया और अंत में टीम द्वारा चुनी गई. वे किसी की तलाश में थे, और शायद मैं चरित्र के उपयुक्त पाई गई. मैंने इसे शायद इसमें शामिल लोगों की वजह से इसे चुना. मैंने किताब और इसकी कहानी के बारे में सुना था, हालांकि मैंने इसे कभी नही पढ़ा. मुझे कलाकार, लेखक,  निर्देशक आदि के बारे में पता चला. मुझे सब कुछ सही लगा और मुझे इसमें थोड़ा सा संदेह भी नहीं था कि मुझे यह करना चाहिए या नहीं. मैंने इस अवसर का फायदा उठाया."
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अपने रोल के विषय पर उन्होंने कहा, "यह रोल कई चरणों में चलता है. सुभद्रा की शुरुआत एक सीधी साधी महिला के तौर पर होती है, लेकिन धीरे-धीरे वह एक मजबूत महिला में बदल जाती है. वह गायतोंडे के जीवन में एक परिवर्तन लाने वाली बन जाती है, जो लगातार मार्गदर्शन और उसका समर्थन करती है.”

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मेरे लिए फेमिनिस्म का मतलब समानता है. हमें लिंग, जाति, स्थिति, धर्म से ऊपर उठना है. यह मनुष्यों के रूप में एक दूसरे को सम्मान और स्वीकार करने के बारे में है - राजश्री देशपांडे



"वहां कई सुभद्रा हैं और कुछ मेरे करीब भी हैं. मैं उनकी जिंदगी और उनके संघर्षों को जानती हूं. मैंने उन्हें विभिन्न परिस्थितियों से लड़ने और मजबूत होते देखा है. न केवल सुभद्रा, सभी पात्र जिन्हें मैंने आज तक किया सभी में, मैं अपने आप को पाती हूं. "

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अपनी सफलता के बारे में बात करते हुये, उन्होंने कहा, "अब तक जो प्यार और प्रशंसा प्राप्त हुई है वह मुझे मजबूत और ज़मीन पर बनायें रखी है. यह बहुत अच्छा है, मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं. लेकिन वह उस व्यक्ति को नहीं बदलूंगी जो मैं हूं; मैं अभी भी वही राजर्षी हूं जो मैं पहले थी.  हालांकि, आगे एक लंबा पथ है, अभी भी बहुत कुछ किया जाना है और हासिल करना है."

अनावश्यक आलोचना को संभालना

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राजश्री पिछले कुछ समय से बोल्ड और मजबूत पात्रों को स्क्रीन पर चित्रित कर रही हैं और उन्हें समाज के एक वर्ग द्वारा काम की पसंद के लिए ट्रोल भी किया जा रहा है.  इसके बारे में बोलते हुए, उन्होंने कहा, "आलोचना ने मुझे वास्तव में किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया है. मुझे वह पसंद है जो मैं करती हूं, मुझे गर्व है और मैं स्वेच्छा से चीजें करती हूं. लोगों का काम बोलना है, आप सभी को खुश नहीं कर सकते हैं. कुछ ट्रोल जानबूझकर ऐसा करते हैं. कंप्यूटर स्क्रीन के पीछे बैठकर, वे दुनिया के लिए अज्ञात हैं. मैं उन्हें स्पष्ट रूप से अनदेखा करती हूं, मैं जो समाज के लिए करती हूं वह अधिक महत्वपूर्ण है. मैं एक बदलाव के लिए काम कर रही हूं, और मैं वह करती रहूंगी जो मुझे सही लगता है."



उन्होंने कहा, “हर कहानी अलग है, मैं एक समान भूमिका निभा सकती हूं, लेकिन जिस तरह से मैं इसे अदा करती हूं वह अलग होना चाहिए. प्रत्येक चरित्र के साथ, मुझे अलग दिखना होगा और उसे उचित ठहराना होगा. तो, यही वह जगह है जहां मेरा पूरा ध्यान निहित है. मुझे मिलने वाली अनावश्यक आलोचनाओं पर में ध्यान नहीं देती हूं. आप उनकी मानसिकता और दृष्टिकोण को बदल नहीं सकते हैं, आपको वही करते रहना है जो आप सही मानती है. "

सामाजिक कार्य



राजश्री, सिटीजंन फार टूमोरो की सदस्य है. यह एक गैर सरकारी संगठन है जो प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ काम कर रहा है. महाराष्ट्र में हाल ही में प्लास्टिक प्रतिबंध के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, " कानून फिर बदल सकता है, लेकिन यह उन लोगों का रवैया है जिसे बदलाव की आवश्यकता है. चीजों को बदलने की ज़िम्मेदारी हमारी है. यदि दृष्टिकोण वही रहेगा तो कानून कुछ ज्यादा नहीं कर पाएगा. बल और भय नहीं है जो आपको कुछ करने के लिए ख़ुद ही प्रेरित होना पड़ेगा. आपको अपने और समाज दोनों में बदलाव लाने के लिए तैयार रहना चाहिए.

विभिन्न प्लेटफार्मों का हिस्सा होने पर



राजश्री थिएटर कलाकार रही हैं, उन्होंने बॉलीवुड के साथ दक्षिण में फिल्में की हैं और वहां पर वह डिजिटल स्पेस का हिस्सा भी रही हैं. डिजिटल माध्यम के बारे में अपने विचार बताते हुये उन्होंने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में डिजिटल प्लेटफार्म निश्चित रूप से आगे है. सभी माध्यम अच्छे हैं. मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से किसी भी माध्यम से कोई फर्क नहीं पड़ता. फर्क पड़ता है कंटेट से. जब तक हमारे पास दर्शकों को बताने के लिए एक मजबूत कहानी है, तब तक हर चीजें सर्वश्रेष्ठ है. जब डिजिटल स्पेस की बात आती है, तो इसकी पहुंच व्यापक होती है और चित्रण के मामलें में अत्यधिक स्वतंत्रता भी प्रदान की जाती है. लेकिन देखा जायें तो कंटेट ही सबसे बड़ी चीज़ होती है. "

फेमिनिस्म पर



"मेरे लिए फेमिनिस्म का मतलब समानता है. हमें लिंग, जाति, स्थिति, धर्म से ऊपर उठना है. यदि आप किसी चीज़ के लायक हैं, तो आपको वह मिलनी चाहिये किसी भी सूरत में. मैं ऐसा सोचती हूं कि अगर मैं एक औरत के लिये खड़ी हो रही हूं तो मैं जरुरत पड़ने पर मर्द के लिये भी खड़ी होगी. मैं व्यक्तिगत रूप से खुद पर विश्वास करती हूं. यह मनुष्यों के रूप में एक दूसरे को सम्मान और स्वीकार करने के बारे में है. "
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