10 Rules Related To Chhath Puja: सनातन धर्म में छठ पूजा का अपना एक खास महत्व व नियम है। यह पर्व काफी कठिन माना जाता है, जिसमें 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है। इस महापर्व पर छठी मैया व सूर्य देव की पूजा की जाती है। छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक माह के चतुर्थी दिन नहाय खाय से शुरू होते हुए छठा दिन समाप्त होता है। यह पूजा महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी रखते हैं। इस आस्था के पर्व में व्रती व घर के सभी सदस्यों को कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता हैं, ताकि व्रत भंग ना हो पाएं।
छठ पूजा से जुड़ें 10 नियम
1. नए चूल्हे का इस्तेमाल
छठ पूजा काफी कठिन व्रत होता है, जिसमें नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी हैं। छठ पूजा में ठेकुआ बनाने का विधान है, जिसके लिए नए चूल्हे का इस्तेमाल करना चाहिए। इस दिन भूलकर भी आप पुराने चूल्हे का इस्तेमाल न करें और ध्यान रहें कि छठ पूजा में इस्तेमाल किया हुआ चूल्हा को दोबारा इस्तेमाल न करें।
2. साफ-सफाई का ध्यान रखें
इस पर्व में साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। इसमें छठ पूजा से जुड़ी कोई भी सामग्री बनाने से पहले आसपास की जगह को अच्छी तरह से साफ कर लें, क्योंकि इसमें पवित्रता का ध्यान रखना जरूरी होता है।
3. सात्विक भोजन
छठ पूजा के दौरान व्रती के साथ-साथ घर के सभी सदस्य को भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इस दौरान घर में लहसुन, प्याज व मांस मछली का सेवन करना पूरी तरह से वर्जित होता है। साथ ही प्रसाद बनाते वक्त नमक भी नहीं छूना चाहिए।
4. प्रसाद बनाते समय शुद्धता रखें
छठ पर्व में छठी मैया को समर्पित प्रसाद का काफी महत्व है। ऐसा माना जाता है कि प्रसाद बनाते वक्त थोड़ी सी भी भूल छठी मैया बर्दाश्त नहीं करती। इस दौरान प्रसाद बनाने के लिए प्रयोग में आने वाले अनाज भी धोकर व घर पर पीसकर ही बनाए जाते हैं, क्योंकि इसमें शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। साथ ही ध्यान रखा जाता है कि चिड़िया अनाज को झूठा ना कर दें।
5. प्राकृतिक चीजों का ही प्रयोग
पूजा के लिए प्राकृतिक चीजों से बनी सामग्री का इस्तेमाल होता है। इसमें बांस से बने सूप व टोकरी का इस्तेमाल शुद्ह माना जाता है। इस दौरान किसी भी प्रकार के स्टील व शीशे के बर्तन का पूजा में इस्तेमाल करना अशुद्धता का प्रतीक माना गया है।
6. बिस्तर पर सोना वर्जित
इस दौरान व्रती महिलाओं को चार दिन तक बिस्तर पर सोना वर्जित होता है। ऐसे में हर व्रती को जमीन पर चटाई बिछाकर ही सोना चाहिए, जो छठ पूजा में शुद्ध माना गया है।
7. अपशब्द का प्रयोग ना करें
चार दिनों तक व्रती महिलाओं को ध्यान रखना चाहिए कि वे झूठी बातें, काम, क्रोध या किसी भी प्रकार का लोभ ना करें। इस दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी होता है। साथ ही आप कठोर या अपशब्द बोलने से भी बचें।
8. तांबे के बर्तन से अर्घ्य
इस पूजा का अपना खास महत्व व नियम है। इसमें सुबह या शाम के समय अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे का ही प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि ऐसी मान्यता है की तांबे के बर्तन से अर्घ्य देने से सूर्य देव की कृपा बनी रहती है।
9. नए वस्त्र ही पहनें
छठ पूजा में हर व्रती चाहे महिला हो या पुरुष उन्हें चार दिनों तक नए वस्त्र ही धारण करने का विधान है। ऐसे में महिलाएं पूजन वक्त साड़ी व पुरुष धोती पहन सकते हैं।
10. प्रसाद बनाते समय ना करें झूठा
छठ पूजा का प्रसाद बहुत पवित्र होता है। ऐसे में इसे बनाते समय जरुर ध्यान रखें कि गलती से भी प्रसाद किसी भी तरह से झूठ ना हो। साथ ही इसे बनाने से पहले कुछ भी ना खाएं।