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Vaccine Myths : क्या आप भी इन वैक्सीन के मिथकों पर विश्वास करते हैं ?

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Swati Bundela
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कोरोनावायरस के डर से लोग वैक्सीन लगाने के लिए बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहें हैं। इसके कारण मामलों में भी गिरावट देखने को मिल रही हैं। इसी बीच वैक्सीन को लेकर भी कई मिथ्स सामने आए हैं। लोग चीजों से जुड़ी मिथ्या को फैलाने में देर नहीं करते हैं और लोग विश्वास भी कर लेते हैं। लेकिन वैक्सीन हमारे स्वास्थ से जुड़ा हुआ है इसलिए जरूरी है कि इससे जुड़ी मिथकों पर विश्वास करने से पहले इसकी सच्चाई जान लें।

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वैक्सीन से जुड़ी 4 मिथ्स और उसके तथ्य





1. वैक्सीन का पंजीकरण

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मिथ्या - वैक्सीनेशन के लिए पूर्व पंजीकरण और अपॉइंटमेंट बुक करना आवश्यक है।



सच्चाई -
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वैक्सीन के लिए पूर्व पंजीकरण करना जरूरी नहीं है। जो भी व्यक्ति 18 साल या उससे ज्यादा का है वो वैक्सीनेशन सेंटर में जाकर स्लॉट के मुताबिक उसी वक्त पंजीकरण कर वैक्सीन लें सकता है।



2. ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण

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मिथ्या - ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण के लिए कोई सुविधा नहीं है।



सच्चाई - ग्रामीण क्षेत्रों में कई तरह से टीकाकरण का पंजीकरण किया जा सकता है। जैसे कि को-विन पर सीएससी के माध्यम से पंजीकरण, साइट पर पंजीकरण के लिए सुविधाकर्ता (स्वास्थ्य कार्यकर्ता या आशा) और बगल के टीकाकरण केंद्रों पर सीधे टीकाकरण और 1075 हेल्पलाइन के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं।
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3. AEFI के मामले



मिथ्या - मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लेक्चर लगाने के बाद कई लोगों में
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AEFI के मामले देखे जा रहे हैं जिसके कारण लोगों की मौत भी हो रही है।



सच्चाई - ये रिपोर्ट मामले की अधूरी और सीमित समझ पर आधारित हैं। टीकाकरण के बाद किसी भी व्यक्ति के मौत का करण टीकाकरण नहीं माना जा सकता है। क्योंकि अभी तक एईएफओ समितियों द्वारा इस मामले की जांच नहीं की गई है।
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4. वैक्सीनेशन के कारण मौत



मिथ्या - रिपोर्ट में और ऐसा कई लोग मान रहें हैं कि वैक्सीन लगाने से लोगों की मौत हो रही है।



सच्चाई - देश में टीकाकरण के बाद होने वाली मौतों की संख्या 23.5 करोड़ खुराकों में से केवल 0.0002 प्रतिशत है। को विकसित होने वाले मृत्यु के दर 1 प्रतिशत से अधिक है और टीकाकरण इन मौतों को रोक सकता हैं।
सेहत
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