/hindi/media/media_files/KQem2VpI9XGYLnuk51mb.png)
Constitutional Rights
Constitution Day : भारत का संविधान देश के नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जो उनके जीवन को सुरक्षित, समान और स्वतंत्र बनाने के लिए आवश्यक हैं। इन अधिकारों का उद्देश्य समाज में समानता, न्याय और स्वतंत्रता की भावना को बढ़ावा देना है। हालांकि, हमारे समाज में अभी भी महिलाओं को कई सामाजिक और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, महिलाओं के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि उन्हें भारतीय संविधान द्वारा कौन-कौन से अधिकार प्राप्त हैं, जो न केवल उनकी सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि उन्हें अपने जीवन में स्वतंत्रता और बराबरी की दिशा में भी सक्षम बनाते हैं।
महिलाओं के संविधानिक अधिकारों के बारे में जागरूकता हर महिला के लिए आवश्यक है, ताकि वे अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग कर सकें और किसी भी प्रकार के भेदभाव या शोषण के खिलाफ खड़ी हो सकें। इस लेख में हम आपको पांच ऐसे महत्वपूर्ण संविधानिक अधिकारों के बारे में बताएंगे, जिनसे हर महिला को पूरी तरह से अवगत होना चाहिए। ये अधिकार न केवल कानूनी सुरक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि समाज में उनकी स्थिति को मजबूत और सम्मानजनक बनाने में भी सहायक होते हैं।
5 constitutional rights every woman should know
1. समान वेतन का अधिकार
मजदूरी हो या कार्यालय हो, कई जगहों पर देखने को मिलता है कि समान काम के लिए पुरुष और महिला के वेतन में अंतर होता है। महिलाओं को कई बार पुरुषों से कम वेतन दिया जाता है। लेकिन हर महिला को पता होना चाहिए कि समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत, वेतन या मजदूरी में लिंग के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता। समान काम के लिए पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन दिए जाने का प्रावधान है।
2. नाम और पहचान गोपनीय रखने का अधिकार
भारत में जो भी महिलाओं को यौन उत्पीड़न का शिकार होता है उन्हें पता होना चाहिए कि सरकार ने उनको अधिकार दिया है उनकी पहचान गोपनीय रहेगी। महिला अपना स्टेटमेंट को अकेले रिकॉर्ड किसी भी महिला पुलिस कर्मचारी के सामने कर सकती हैं। अगर वह चाहे तो वह अपना शिकायत जिला मंत्री को भी कर सकती है।
3. दहेज लेने पर मिलेगा दंड
अगर शादी से पहले या शादी के बाद लड़के का परिवार दहेज का मांग करता है या दहेज के लिए परेशान करता है तो महिला इसके खिलाफ दहेज प्रथा की शिकायत दर्ज कर सकती है और साथ ही पति एवं पति के परिवार को जुर्माना भी भरना पड़ सकता है|
4. गर्भपात का अधिकार
/hindi/media/post_attachments/c43b8f37-604.webp)
गर्भावस्था के दौरान अगर महिला का मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य खराब होता है तो वह गर्भपात करवा सकती है। कोई भी परिवार वाला महिला को बच्चे पैदा करने के लिए नहीं कह सकता यह महिला का खुद का डिसीजन होगा उसको कब बच्चे पैदा करना है व गर्भपात कराना है या नहीं।
5. तलाक से जुड़ा यह कानून
हर महिला को यह पता होना चाहिए कि अगर वह अपने शादी से खुश नहीं है या मानसिक या सामाजिक उत्पीड़न होता है तो वह चाहे तो तलाक ले सकती है। यदि तलाक से महिला का परिवार ना खुश भी हो तब भी महिला तलाक ले सकती है। यदि पार्टनर तलाक देने से इंकार कर रहा हो तब भी महिला अदालत में इस चीज की अर्जी लगा सकती है और उस पार्टनर से तलाक ले सकती है