समानता का अधिकार, स्वंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार और धर्म चुनने का अधिकार आदि इन मौलिक अधिकारों के बारे में सभी ने स्कूलों मे पढ़ा ही होगा। जो लोग स्कूल नहीं गए होंगे उन्होंने भी इन अधिकारों के बारे में अपनी नई पीढ़ी और आस पास के पढ़े लिखे लोगों से तो सुना ही होगा।
जैसा कि आप में से अधिकतर लोग जानते ही होंगे कि हमारा संविधान यानी भारतीय संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को कुछ बुनियादी अधिकार देता है जिससे भारत के नागरिक यह सुनिश्चित कर सके कि वह बिना भेदभाव और शोषण के जीवन जी सके। ठीक उसी तरह, भारत में विवाहित महिलाओं के लिए भी कुछ ऐसे ही अधिकार बनाए गए हैं जो विवाहित महिलाओं को सम्मान और उनकी इच्छानुसार उन्हें जीवन जीने और उन्हें ओपरेस होने से रोकने में सहायता करते है और उनकी भलाई भी सुनिश्चित करते हैं। यहाँ कुछ कानून है जो विवाह के बाद महिलाओं के अधिकारों की महत्वत्ता बताते हैं।
Married Women Rights -
1. स्वाभिमान और मर्यादा से जीने का अधिकार
सिर्फ भारत में ही नहीं दुनिया के किसी भी देश, क्षेत्र, और धर्म से संबंधित होने के बावजूद विश्व की प्रत्येक विवाहित महिला को, गरिमा, आत्मसम्मान और स्वाभिमान के साथ जीने का अधिकार है। इस अधिकार के अनुसार प्रत्येक विवाहित महिला को अपने पति और ससुराल वालों के समान जीवन शैली अपनाने और जीवन जीने का अधिकार है और मानसिक और शारीरिक यातना से मुक्त होना भी उसका कानूनी अधिकार है।
2. पति द्वारा रखरखाव/ भरण पोषण का अधिकार
एक विवाहित महिला को अपने पति से उचित जीवन स्तर और बुनियादी सुविधाओं का दावा करने का अधिकार है। हालांकि लाभ का दावा पति की आर्थिक स्थिति और संसाधनों को ध्यान में रख कर ही किया गया हो तभी मान्य होगा।
3. माता- पिता के घर का अधिकार
पहले भारत में, विवाहित या अविवाहित महिलाओं का अपने माता-पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता था। लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही है। 2005 में संपत्ति के अधिकार को संशोधित किया गया था। नए अधिनियम में कहा गया है कि प्रत्येक बेटी चाहे विवाहित हो या अविवाहित, अपने पिता की संपत्ति पर अपने भाई के समान ही अधिकार है। अब बेटी भी पिता की संपत्ति की उत्तराधिकारी होगी।
4. स्त्रीधन का अधिकार
स्त्रीधन का सीधा अर्थ एक महिला को विवाह समारोहों में और बच्चों के जन्म के दौरान मिलने वाले सभी उपहारों से है। इस अधिकार के अंतर्गत महिला के पास अपने पति से अलग होने के बाद भी इन सभी वस्तुओं का स्वामित्व होता है। इसमें सभी चल, अचल संपत्ति, उपहार आदि शामिल होते हैं जो कि महिला को पति से अलग होने बाद उसको भविष्य में फाइनेंसियल सुरक्षा प्रदान करती है।
5. वैवाहिक घर मे रहने का अधिकार
प्रत्येक विवाहित महिला को विवाह के बाद अपने पति के घर में रहने का पूरा अधिकार होता है चाहे वह घर उसके पति का निजी घर हो, संयुक्त परिवार का घर हो , पुश्तैनी घर हो या किराये का घर हो।