अमेरिका की हेडलाइंस में मंकीपॉक्स अपनी जगह बनाता जा रहा है। कुछ दिन पहले ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी मंकीपॉक्स को एक महामारी घोषित करने की आशंका जताई। अमेरिका के हर पांच व्यक्तियों में से एक व्यक्ति मंकीपॉक्स का शिकार हो रहा है। इसके मुताबिक अमेरिका के 20% लोग मंकीपॉक्स से पीड़ित हैं।
यह वायरस कोई नया वायरस नहीं है और इसके लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है। लेकिन कई लोगों को विश्वास नहीं है कि इसकी व्यक्ति सच में है या नहीं। यह बीमारी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इसलिए इससे जुड़े छोटे और कॉमन सवाल लोगों के दिमाग में बहुत सारे हैं। ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब आज हम आपको देंगे।
1. मंकीपॉक्स क्या है
मंकीपॉक्स कोरोना के तरह ही एक वायरल इंफेक्शन है जो वायरस से फैलता है। यह स्मॉलपॉक्स वायरस की फैमिली से ताल्लुक रखता है। यह बीमारी वक्त के साथ धीरे-धीरे अपने आप खत्म होती है। ऐसा हो सकता है कि आप इस बीमारी के बारे में पहली बार सुन रहे हो लेकिन यह बीमारी नई नहीं है। इसके लक्षण बुखार शरीर में दर्द थकान रेस आदि हो सकते हैं।
2. यह कैसे फैलता है?
यह सवाल आप में से बहुत से लोगों के मन में होगा। कुछ लोगों को यह लगता है कि यह आदमियों को ज्यादा होता है लेकिन ऐसा नहीं है। इसका सेक्स से कोई लेना देना नहीं है। यह बच्चों से लेकर बूढ़े तक किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह स्किन के कांटेक्ट में आने से फैलती है।
3. क्या यह STI है?
सवाल का जवाब है नहीं। यह बीमारी सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन नहीं है। लोगों को यह गलतफहमी है कि मंकीपॉक्स सेक्सुअल कॉन्टैक्ट के कारण फैलती है। हां, यह भी एक फैक्टर हो सकता है लेकिन मुख्य तौर पर यह स्किन कॉन्टैक्ट से फैलती है। स्किन कांटेक्ट में गले लगाना, चुम्मी करना, आदि शामिल हो सकता है।
4. यह जानलेवा है?
अधिकतर लोगों के मन में सबसे पहले यही सवाल आता है कि क्या यह बीमारी जानलेवा है। नहीं यह जानलेवा बीमारी नहीं है। मंकीपॉक्स के जिस प्रकार से अभी लोग जूझ रहे हैं वह पश्चिम अफ्रीका का टाइप है। जिन बच्चों को इसकी वैक्सीन नही लगी है, उनके लिए यह जानलेवा हो सकता है।
5. क्या यह ठीक हो सकती है?
किसी बीमारी के आने से पहले ही उसके इलाज के बारे में सोचना शुरु कर देते हैं। तो यह तो काफी फैल चुकी है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि क्या यह इंफेक्शन ठीक हो सकता है या नहीं। यह बीमारी धीरे-धीरे अपने आप खत्म होने लगती है। दो से चार हफ्तों के अंदर यह आमतौर पर ठीक हो जाती है। लेकिन जिन बच्चों की तबीयत पहले से खराब हो उनके लिए यह खतरनाक हो सकती है।