भारतीय प्रधान समाज में जो महिलाएं अबॉर्शन कराने का फैसला लेती हैं उन्हें निर्णय और बुरा समझा जाता है। लेकिन अबॉर्शन कोई बुरी चीज नहीं है। बल्कि यह तो एक बच्चे को प्रतिकूल वातावरण में जन्म लेने से बचाने का एक रास्ता है। प्रेगनेंसी एक महिला की इच्छा और उसकी शारीरिक हेल्थ पर निर्भर करती है।
अगर कोई महिला गलती से प्रेग्नेंट हो जाती है तो इसकी सजा हम तय नहीं कर सकते हैं। एक बच्चे की जिम्मेदारी को जिंदगी भर उठाना बहुत मुश्किल काम होता है। इसलिए एक महिला को इसकी जिम्मेदारी बहुत सोच समझकर उठाने की जरूरत होती है। अगर वह प्रेगनेंसी या उस बच्चे के लिए तैयार नहीं है तो अबॉर्शन कराना कोई गलत रास्ता नहीं है। अबॉर्शन का फैसला लेने के कारण किसी महिला को जज करना बहुत गलत है।
क्यों है अबॉर्शन सही?
1. महिला की चॉइस
चॉइस का मतलब चॉइस होता है। आप किसी की चॉइस को गलत या सही करार नहीं सकते। एक बच्ची को जन्म देना है या फिर अबॉर्शन कराना है यह एक महिला की चॉइस है क्योंकि इसके कारण महिला की शारीरिक हेल्थ और जिंदगी प्रभावित होगी। अपनी हेल्थ के बारे में सोचना गलत नहीं है। इसलिए आप किसी महिला को अबॉर्शन कराने की वजह से जज नहीं कर सकते।
2. महिला की हैल्थ है जरूरी
प्रेगनेंसी से ज्यादा जरूरी महिला की हेल्थ होती है। अगर कोई महिला इतनी स्वस्थ नहीं है कि वह एक बच्चे को 9 महीने पेट में रखकर जन्म दे सके तो इससे बेहतर है कि वह अबॉर्शन करा ले। किसी भी महिला की हेल्थ उसकी बच्चे से ज्यादा जरूरी है जो अभी तक इस दुनिया में आया भी नहीं। इसलिए हेल्थ को ध्यान में रखकर लिया गया अबॉर्शन का फैसला बिल्कुल गलत नहीं है।
3. प्रीमेच्योर प्रेगनेंसी का हल
सेक्स एजुकेशन की कमी होने के कारण प्रीमेच्योर प्रेगनेंसी के केस काफी बढ़ रहे हैं। ऐसे में अबॉर्शन को बुरा मान कर अबॉर्शन ना कराना और एक बच्चे की उम्र में एक बच्चे को जन्म देकर उसे पालना अन्याय होगा। बच्चे जब छोटे होते हैं तो उनसे गलतियां हो जाती हैं। लेकिन आप उन्हें जिंदगी भर के लिए बच्चा संभालने की जिम्मेदारी देकर इतनी बड़ी सजा नहीं दे सकते।
4. बच्चों को अच्छा वातावरण मिल सके
अगर किसी पेरेंट की इतनी गुंजाइश नहीं है कि वह एक बच्चे को अच्छे से पाल सके और उसकी जरूरतों को पूरा कर सकें तो अबॉर्शन ही बेहतर है। अबॉर्शन ज्यादा बुरा है या किसी बच्चे का गरीबी या प्रतिकूल वातावरण में बड़ा होना? मुझे लगता है कि अगर किसी की एक बच्चे को पालने की गुंजाइश नहीं है तो अबॉर्शन कराना गलत नहीं है।
5. एक बच्चा बड़ी जिम्मेदारी है
भारतीय समाज पुरुष प्रधान समाज है जिसकी सोच बहुत छोटी है। यह समाज महिलाओं को पढ़ाई और करियर छोड़कर उन्हे बच्चे करने के लिए मजबूर करता है। आत्मनिर्भर ना होने की वजह से महिलाएं अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए अपने पति का अत्याचार सहती है। इसलिए महिलाओं को यह समझ होनी चाहिए कि अगर वह अपने बच्चे को अकेले नहीं संभाल सकती हैं तो वह अबॉर्शन करने का फैसला भी ले सकती हैं।