5 Reasons Why Only Girls Are Taught Household Chores: आपने अक्सर सुना होगा कि अगर घर में बेटी है तो आपके घर के काम आसान हो जाते होंगे। जिस भी घर में बेटी पैदा होती है उससे एक अपेक्षा होती है कि वह घर का काम जानती हों एवं दिलचस्पी लेकर करती हो। परंतु यह बात गौरतलब है कि हमेशा लड़कियों को ही घर के काम क्यों सिखाए जाते हैं। इसके निम्नलिखित पांच कारण हो सकते हैं-
5 कारण क्यों सिर्फ लड़कियों को घर के काम सिखाए जाते हैं
1. पुरुष प्रधान सोच
आज महिलाएं हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चलती है। ऊंचे-ऊंचे पदों पर कार्यरत भी है, फिर भी कुछ लोगों का यह मानना है कि स्त्री केवल घर के कामकाज के लिए ही बनी है। परिवार का ध्यान रखना, खाना बनाना और समय पर अपने परिवार की हर सेवा करना ही स्त्री धर्म है। खुद की परवाह किए बगैर बाकियों की चिंता करना ही कुछ लोग सही समझते हैं। अभी भी जहां पर ऐसी मानसिकता वाले लोग हैं उन्हें बदलाव की सख्त जरूरत है।
2. मीडिया
हमारे आसपास की मीडिया जैसे की फिल्में एवं विज्ञापन भी समाज पर काफी प्रभाव डालते हैं। केवल दो प्रतिशत ही ऐसी फिल्में या विज्ञापन है जिसमें पुरुष घर के काम करते हुए दिखते हैं जैसे कि खाना बनाना, कपड़े धोना, घर साफ करना इत्यादि। अक्सर फिल्मों में यह भी दिखाया जाता है कि भले ही पति और पत्नी दोनों ही वर्किंग हो लेकिन घर के काम केवल स्त्रियां ही करती हैं।
3. स्त्री कर्तव्य
समाज में अक्सर गलत धारणाएं प्रचलित हो जाती हैं। जैसे कि स्त्री का कर्तव्य है घर के सारे काम करना, यदि वह अपने सेहत का ख्याल करती है तो उसे स्वार्थी समझा जाता है। यदि कोई लड़की घर के कामों में दिलचस्पी नहीं रखती हो तो यह बहुत ही शर्मनाक बात समझी जाती है।
4. शिक्षा की कमी
बहुत सारे जगहों पर अभी भी शिक्षा का अभाव है। स्त्रियों को ज्यादा शिक्षित नहीं किया जाता ना ही उन्हें शिक्षा के योग्य समझा जाता है। इसी कारणवश उन्हें घर के काम करने के लिए मजबूर कर दिया जाता है। अंत में तो स्त्री की शादी ही होनी है यह सोचकर उसे बचपन से ही घर के काम सिखाए जाते हैं ताकि कल होकर समाज उन पर उंगली ना उठाए।
5. लड़कों में सहानुभूति का पाठ ना होना
बचपन से ही ज्यादातर लड़कों को घर का काम नहीं सिखाया जाता। उनमें मिलकर काम करने की भावना नहीं होती। यदि घर में लड़की है तो उसे अपने पापा और भाई के लिए खाना परोसने को बोला जाता है परंतु यदि लड़का है तो उसे कभी भी अपनी दीदी एवं मां के लिए खाना परोसने नहीं बोला जाता। वह इसी विचारधारा को आगे बढाते हैं और अपनी पत्नी एवं बेटी से भी यही उम्मीद रखते हैं।
सूचना : इस आलेख को केवल संपादित किया गया है। मौलिक लेखन श्रुति का है।