5 Reasons Why there are less Indian Players in Olympics: भारत दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या और सबसे अधिक युवा आबादी वाला देश है। तो ओलंपिक में भारत के इतने कम खिलाड़ी क्यों हैं? इस 2024 के पेरिस ओलंपिक समर गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों की संख्या केवल 117 है। चीन जिसकी आबादी भारत से कम होने के बावजूद भी पेरिस ओलंपिक में 388 खिलाड़ी हैं, अमेरिका के 592, ब्रिटेन के 327 और इटली के 402 खिलाड़ी हैं। आखिर ऐसा क्यों है, आइए जानते हैं।
जानें 5 कारण क्यों Olympic में कम हैं भारतीय खिलाड़ी
1. स्कूल्स में खेल शिक्षा की कमी
बचपन से ही खेल और दूसरी ऐक्टिविटी में जब बच्चे भाग लेते हैं तो उन्हें अपना इंटरेस्ट पता लगता है, पर भारतीय स्कूल्स में अक्सर एक एक्सपर्ट स्पोर्ट्स टीचर की कमी देखी जाती है। गवर्नमेंट स्कूल्स में तो खासकर स्पोर्ट्स से रिलेटेड ऐक्टिविटी बहुत कम होती हैं और प्राइवेट स्कूल्स जहां ये फैसिलिटीज देते हैं तो उनकी फीस बहुत अधिक होने के कारण एक सामान्य वर्ग का परिवार इसे अफोर्ड नहीं कर पाता। बेसिक लेवल पर होने वाले ये काम भारत को बड़े स्तर से प्रभावित करतें हैं।
2. कम इनवेस्टमेंट और फन्डिंग
अक्सर देखा जाता है कि बड़े उद्योगपति हों या इन्वेस्टर्स अपने पैसे को खेल के क्षेत्र में कम लगाते हैं और एक खिलाड़ी के हर उपकरण और इक्स्पेन्स उन्हें खुद मैनेज करने पड़ते हैं। कई बार पैसे की कमी, इनवेस्टमेंट और फन्डिंग न होने के कारण वो अपने गेम को छोड़ देते हैं क्योंकि सबको ही जीवन में एक धन संचय के साधन की आवश्यकता होती है और ऐसे ही हम कई अच्छे खिलाड़ी खो देते हैं।
3. इक्स्पेन्सिव स्पोर्ट्स एजुकेशन
भारत में बहुत से बेहतरीन स्पोर्ट्स स्कूल हैं पर उनकी फीस इतनी अधिक होती है कि कोई सामान्य वर्ग का परिवार उसे अफोर्ड नहीं कर पाता। इसी कारण से स्पोर्ट्स शिक्षा बहुत कम ही लोग ले पाते हैं।
4. भ्रष्टाचार
कई बार खिलाड़ियों को खेल में भाग लेने या खेल शिक्षा प्राप्त करने में भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है और यह उनके मनोबल को कम करता है। कई बार खिलाड़ियों को मांगी हुई रक़म भी देनी पड़ती है। इसी तरह कई बार वो Nepotism के शिकार भी हो जाते हैं। उनमें टैलेंट होते हुए भी उनकी जगह किसी और को दे दी जाती है, कहीं न कहीं यह खिलाड़ियों के मन में देश को लेकर एक अलग छवि बना देते हैं।
5. खेल के साथ पक्षपात
हमारे देश में क्रिकेट के अलावा जनता बाकी गेम्स पर कभी ध्यान ही नहीं देती। यह गलत नहीं है कि जनता को क्रिकेट अधिक पसंद है पर यह जरूर गलत है कि क्या बाकी खेल हमारे लिए जरूरी नहीं? क्या उन खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाना जरूरी नहीं? जनता किसी खिलाड़ी को आत्मविश्वास और ऊर्जा से भर देती है और यह खिलाड़ी के गेम पर साफ दिखाई देता है। अगर हमारा देश हर खेल को उतनी ही उत्सुकता के साथ देखे तो खिलाड़ियों के परफॉर्मेंस में पॉजिटिव अंतर देखने को मिलता है।