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किशोरावस्था में बच्चों करे लिए सबसे बड़ा चैलेंज होता है अच्छे दोस्त बनाना। इस उम्र में बच्चे के अंदर सेल्फ अवरेनेस बढ़ने लगती है जो बहुत जल्दी सेल्फ-डाउट में तब्दील हो जाता है। सेल्फ डाउट के कारण ही बच्चे अपने हमउम्र के लोगों से वेलिडेशन ढूंढने कि कोशिश करते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता है की कब वो एक टॉक्सिक फ्रेंडशिप का हिस्सा बन गए हैं। इसलिए अपने बच्चे को ऐसे समस्या से बचाने के लिए सबसे पहले ये ज़रूरी है की आप उसके फ्रेंड्स और कंपनी पर ध्यान दें। जानिए बच्चे के टॉक्सिक फ्रेंडशिप में होने के ये 5 साइंस:
अगर बच्चों के लिए आपके बनाए हुए रूल्स ज़्यादा सख्त नहीं है तो बच्चों को इसे फॉलो करने में ज़्यादा मुश्किलें भी नहीं आती है। इसलिए अगर आपका बच्चा किसी दोस्त के इन्फ्लुएंस में आकर आपके बनाये हुए नियम का उलंघन करता है या फिर उसके लिए आपसे बदतमीज़ी करता है तो समझ जाइये की वो एक टॉक्सिक फ्रेंडशिप का शिकार है।
ईर्ष्या एक कॉमन ह्यूमन रिएक्शन है जो हम सबको कभी न कभी महसूस होती ही है। लेकिन अगर आपको अपने बच्चे का कोई ऐसा दोस्त मिले जो उसके अचीवमेंट्स, उसके सामान और उसके हर छोटे-बड़े बात पर उसे टोकता है तो समझ जाइए की उसको आपके बच्चे से ईर्ष्या है। ऐसे लोगों से अपने बच्चे को दूर रखने की कोशिश करें।
कुछ बच्चे बहुत तेज़-मिजाज़ होते हैं और इस वजह से वो अपने आस-पास के लोगों पर अपनी फ़्रस्ट्रेशन निकालते रहते हैं। अगर आपके बच्चे का भी कोई ऐसा दोस्त है जो उसको इस तरह से तंग करता है तो तुरंत सावधान हो जाए। अगर सही समय पर आप एक्शन लेंगे तो अपने बच्चे को मेन्टल और फिजिकल हेल्थ को आप बहुत जल्दी संभाल पाएंगे।
आजकल के समय में बच्चों में "पॉपुलर" होने की होड़ लगी रहती है। इसलिए अगर आपके बच्चे का भी कोई ऐसा दोस्त है जो खुद को पॉपुलर समझता हो तो ऐसे में आपके बच्चे का सोशल एक्सक्लूशन हो सकता है। टॉक्सिक फ्रेंड्स कई बार अपने दूसरे दोस्तों को इंटेंशनली भी कुछ जगह से दूर रखते हैं ताकि बच्चों में ये भावना बढ़े की उनसे कुछ मिस हो गया है। अगर आपका बच्चा इनसब से गुज़रे तो उसके दोस्तों पर ध्यान दें।
एक टॉक्सिक फ्रेंड को पहचानने का सबसे पहला साइन है ये देखना की वो आपके बच्चे से कैसे बात करता है और उसे कैसे ट्रीट करता है। अगर आपका बच्चा किसी दोस्त के कारण लगातार क्रिटिसिज्म का शिकार हो रहा है या फिर उसकी इंसल्ट हो रही है तो उसका मेन्टल हेल्थ बिगड़ सकता है। टॉक्सिक फ्रेंड्स आपके बच्चे के लो पॉइंट्स को सबसे पहले ट्रिगर करते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान सबसे पहले रखिये।
1. आपके बच्चे को रूल तोड़ने के लिए उकसाना
अगर बच्चों के लिए आपके बनाए हुए रूल्स ज़्यादा सख्त नहीं है तो बच्चों को इसे फॉलो करने में ज़्यादा मुश्किलें भी नहीं आती है। इसलिए अगर आपका बच्चा किसी दोस्त के इन्फ्लुएंस में आकर आपके बनाये हुए नियम का उलंघन करता है या फिर उसके लिए आपसे बदतमीज़ी करता है तो समझ जाइये की वो एक टॉक्सिक फ्रेंडशिप का शिकार है।
2. आपके बच्चे से ईर्ष्या करना
ईर्ष्या एक कॉमन ह्यूमन रिएक्शन है जो हम सबको कभी न कभी महसूस होती ही है। लेकिन अगर आपको अपने बच्चे का कोई ऐसा दोस्त मिले जो उसके अचीवमेंट्स, उसके सामान और उसके हर छोटे-बड़े बात पर उसे टोकता है तो समझ जाइए की उसको आपके बच्चे से ईर्ष्या है। ऐसे लोगों से अपने बच्चे को दूर रखने की कोशिश करें।
3. बच्चे के ऊपर फ़्रस्ट्रेशन निकलना
कुछ बच्चे बहुत तेज़-मिजाज़ होते हैं और इस वजह से वो अपने आस-पास के लोगों पर अपनी फ़्रस्ट्रेशन निकालते रहते हैं। अगर आपके बच्चे का भी कोई ऐसा दोस्त है जो उसको इस तरह से तंग करता है तो तुरंत सावधान हो जाए। अगर सही समय पर आप एक्शन लेंगे तो अपने बच्चे को मेन्टल और फिजिकल हेल्थ को आप बहुत जल्दी संभाल पाएंगे।
4. सोशली एक्सक्लूड करना
आजकल के समय में बच्चों में "पॉपुलर" होने की होड़ लगी रहती है। इसलिए अगर आपके बच्चे का भी कोई ऐसा दोस्त है जो खुद को पॉपुलर समझता हो तो ऐसे में आपके बच्चे का सोशल एक्सक्लूशन हो सकता है। टॉक्सिक फ्रेंड्स कई बार अपने दूसरे दोस्तों को इंटेंशनली भी कुछ जगह से दूर रखते हैं ताकि बच्चों में ये भावना बढ़े की उनसे कुछ मिस हो गया है। अगर आपका बच्चा इनसब से गुज़रे तो उसके दोस्तों पर ध्यान दें।
5. बच्चे की इंसल्ट करना
एक टॉक्सिक फ्रेंड को पहचानने का सबसे पहला साइन है ये देखना की वो आपके बच्चे से कैसे बात करता है और उसे कैसे ट्रीट करता है। अगर आपका बच्चा किसी दोस्त के कारण लगातार क्रिटिसिज्म का शिकार हो रहा है या फिर उसकी इंसल्ट हो रही है तो उसका मेन्टल हेल्थ बिगड़ सकता है। टॉक्सिक फ्रेंड्स आपके बच्चे के लो पॉइंट्स को सबसे पहले ट्रिगर करते हैं। इसलिए इस बात का ध्यान सबसे पहले रखिये।