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1. हर डिमांड को पूरा करना
बच्चों की कई तरह की डिमांड होती रहती है पर ये ज़रूरी नहीं है की उनमें से सब रीज़नबल हो। इसलिए अगर आप अपने बच्चे की हर डिमांड को तुरंत पूरा करने लगते हैं तो एक बार इसके बारे में ज़रूर सोचिएगा। अगर आपका बच्चा आपसे ज़रूरत से ज़्यादा एक्सपेक्ट कर रहा है तो ये सही नहीं है और इस बारे में आप उससे जितनी जल्दी बात करें उतना अच्छा रहेगा।
2. बच्चे में फेलियर का डर रहना
ओवर-पेरेंटिंग का सबसे बड़ा साइन है अपने बच्चे को कोई भी नया काम करने से पहले कई तरह के इंस्ट्रक्शंस देना। ऐसा करने से हो सकता है कि आपको लगे की आप अपने बच्चे को किसी अनहोनी से बचा रहे हैं लेकिन ऐसे में उसके अंदर फेलियर का डर भी बैठ सकता है। जब आप बच्चे को कई सारे इंस्ट्रक्शंस देते हैं तो आपकी उससे एक्सपेक्टेशंस भी बढ़ जाती है और इसी कारण बच्चे को फेल होने का डर ज़्यादा सताने लगता है।
3. बच्चे के लिए हमेशा डिसिशन लेना
एक उम्र तक ही बच्चों के हर काम पर पेरेंट्स का पूरी तरह डिसिशन लेना सही होता है। इसलिए अगर बच्चा अपनी बढ़ती उम्र में खुद के लिए एक छोटी सी चीज़ डिसाईड नहीं कर पा रहा है तो समझ जाए की ये आपके ओवर-पेरेंटिंग का नतीजा है। ऐसे में बच्चे को खुद के लिए डिसिशन लेने दें और अगर इस काम में उन्हें फेलियर मिले तो उन पर डिसअपॉइंटमेंट व्यक्त करने के बदले उन्हें इससे सीखने को कहें।
4. बच्चों से ज़्यादा एक्सपेक्टेशन रखना
बच्चे से ज़रूरत से ज़्यादा एक्सपेक्ट करने का मतलब है उन्हें ओवर-पैरेंट करना। इसका परिणाम ये होता है की जब वो आपके एक्सपेक्टेशंस पर खड़े नहीं उतरते हैं तो आप उनपर अपना आपा भी खो सकते हैं। इसलिए बच्चों को हर काम में अपना बेस्ट देने के लिए कहें और उनके हर छोटे-बड़े अचीवमेंट को सेलिब्रेट करने की कोशिश करें।
5. बच्चों के लिए सब कुछ खुद से करना
अगर आपका बच्चा किसी काम को करने में ज़रूरत से ज़्यादा समय लगाता है तो ये कभी-कभी थोड़ा फ़्रस्ट्रेटिंग हो सकता है। लेकिन ऐसे में आप बच्चे का वो काम अगर खुद से करने लगेंगे तो वो इसे कभी नहीं सीखेगा और हो सकता है कि इस कारण उसे आगे प्रोब्लेम्स फेस करने पड़े। इसलिए बच्चों के काम खुद करने के बजाए उन्हें इससे करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते रहें।