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हर बच्चे के जीवन में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं। इस पान्डेमिक के समय में तो इस तरह के केसेस और बढ़ गए हैं जहाँ बच्चों को मार्गदर्शन की सख्त ज़रूरत है। बच्चे अपने एकेडेमिक्स, आइसोलेशन और दोस्तों से दूर रहने के कारण कुछ ज़्यादा ही मूडी और इमोशनल हो सकते हैं। काई बार इन इमोशंस के चलते आपके बच्चे लाइफ में स्ट्रगल भी कर सकते हैं। ऐसे में ये बहुत ज़रूरी है की आप अपने बच्चे को थेरेपी सेशंस पर ले जाएं। जानिए बच्चे को थेरेपी पर ले जाने के लिए ये 5 साइंस:
जब कोई बच्चा मेन्टल हेल्थ के प्रोब्लेम्स से डील कर रहा होता है तो उसको घर के बाहर भी कई तरह के प्रोब्लेम्स का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ये बहुत ज़रूरी है की आप अपने बच्चे का घर में, स्कूल में और यहाँ तक की प्लेग्राउंड के बेहेवियर को ऑब्ज़र्व करें और अगर कुछ गलत दिखे तो तुरंत थेरेपिस्ट की मदद लें।
अगर आपका बच्चा अचानक से अपने दोस्तों से खुद को आइसोलेट कर ले तो ये सही नहीं है। अपने बच्चे के उसके दोस्तों के सामने वाले बेहेवियर को हर वक़्त ऑब्ज़र्व करें। सोशल आइसोलेशन कई बार डिप्रेशन और एंग्जायटी का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। इसलिए अपने बच्चे को सोशली आइसोलेट ना होने दें।
हर बच्चे के जीवन में एक ऐसा समय आता जब वो पहले से ज़्यादा खाने लगते हैं या फिर ज़्यादा सोने लगते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चे के नॉर्मल दिनचर्या में कुछ ज़्यादा ही बदलाव देख रहे हैं तो ये खतरे की घंटी हो सकती है। अपने बच्चे को 2 हफ्ते तक अच्छे से ऑब्ज़र्व करें और फिर जैसी भी उसकी कंडीशन हो इस बात को लेकर डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चों का थोड़ा-बहुत घबराना या डरना नॉर्मल है। लेकिन अगर उनको कॉन्स्टैन्टली हर बात पर घबराहट होने लगे और इस कारण उन्हें स्कूल जाने में दिक्कत हो, घर से निकलने में मुश्किल हो या फिर उनके डेवलपमेंट में किसी तरह की बढ़ा आये तो फिर आपको सतर्क होने की ज़रूरत है।
जब हमारा मेन्टल हेल्थ ठीक न हो तो हमें कई तरह के सुसाइडल थॉट्स आ सकते हैं। ऐसा बच्चों के साथ भी हो सकता है। इसलिए अगर आपका बच्चा अपने बाल खींचे की कोशिश करे, अपने स्किन में अपने नाखून को यूज़ करे या फिर किसी और तरीके से खुद को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश करे तो समझ जाइए की उसको कोई न कोई बात ज़रूर परेशान कर रही है। ऐसे में तुरंत थेरपिस्ट के पास जाएं।
1. घर से बाहर के इश्यूज बढ़ जाना
जब कोई बच्चा मेन्टल हेल्थ के प्रोब्लेम्स से डील कर रहा होता है तो उसको घर के बाहर भी कई तरह के प्रोब्लेम्स का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ये बहुत ज़रूरी है की आप अपने बच्चे का घर में, स्कूल में और यहाँ तक की प्लेग्राउंड के बेहेवियर को ऑब्ज़र्व करें और अगर कुछ गलत दिखे तो तुरंत थेरेपिस्ट की मदद लें।
2. सोशल आइसोलेशन
अगर आपका बच्चा अचानक से अपने दोस्तों से खुद को आइसोलेट कर ले तो ये सही नहीं है। अपने बच्चे के उसके दोस्तों के सामने वाले बेहेवियर को हर वक़्त ऑब्ज़र्व करें। सोशल आइसोलेशन कई बार डिप्रेशन और एंग्जायटी का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। इसलिए अपने बच्चे को सोशली आइसोलेट ना होने दें।
3. दिनचर्या में बदलाव आना
हर बच्चे के जीवन में एक ऐसा समय आता जब वो पहले से ज़्यादा खाने लगते हैं या फिर ज़्यादा सोने लगते हैं। लेकिन अगर आप अपने बच्चे के नॉर्मल दिनचर्या में कुछ ज़्यादा ही बदलाव देख रहे हैं तो ये खतरे की घंटी हो सकती है। अपने बच्चे को 2 हफ्ते तक अच्छे से ऑब्ज़र्व करें और फिर जैसी भी उसकी कंडीशन हो इस बात को लेकर डॉक्टर से संपर्क करें।
4. ज़रूरत से ज़्यादा डर या घबराहट
बच्चों का थोड़ा-बहुत घबराना या डरना नॉर्मल है। लेकिन अगर उनको कॉन्स्टैन्टली हर बात पर घबराहट होने लगे और इस कारण उन्हें स्कूल जाने में दिक्कत हो, घर से निकलने में मुश्किल हो या फिर उनके डेवलपमेंट में किसी तरह की बढ़ा आये तो फिर आपको सतर्क होने की ज़रूरत है।
5. खुद को चोट पहुंचाने की कोशिश करें
जब हमारा मेन्टल हेल्थ ठीक न हो तो हमें कई तरह के सुसाइडल थॉट्स आ सकते हैं। ऐसा बच्चों के साथ भी हो सकता है। इसलिए अगर आपका बच्चा अपने बाल खींचे की कोशिश करे, अपने स्किन में अपने नाखून को यूज़ करे या फिर किसी और तरीके से खुद को नुक्सान पहुंचाने की कोशिश करे तो समझ जाइए की उसको कोई न कोई बात ज़रूर परेशान कर रही है। ऐसे में तुरंत थेरपिस्ट के पास जाएं।