Women Taboos: भारतीय महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली 5 टैबोस। भारत में एक महिला होना आसान नहीं,अब आप ये सोचेंगे की मैंने ये किस बुनियाद पर यह कह दिया? क्या मुझे मेरे देश से प्रेम नहीं? या मैं मेरे देश का नाम विश्व स्तर पर खराब करना चाहती हूँ? एक महिला होने के नाते बच्चें से युवा होने तक जो भी इस समाज में देखा,समझा और सुना उस बुनियाद पर ये बात लिखी हैं। अपने जीवन के हर उम्र के पड़ाव में कई टैबोस का सामना किया हैं और भारत में अनेक महिलाएं इसका सामना आज भी कर रहीं हैं। उनमें से कुछ टैबोस जिसका सामना हर एक महिला करती हैं इस आर्टिकल में मैंने उसका आगे जिक्र किया हैं।
Taboos : भारतीय महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली 5 वर्जना
1 . पीरियड्स
जब एक लड़की को पीरियड्स होता हैं तो भारत के कई घरों में उनको अलग से कमरे में कैद कर देते हैं। न उनका छुआ खाते हैं, न उनके उपयोग किये वस्तु को छुते हैं । उनके नहाने-खाने का भी इंतेजाम अलग से घर के किसी कोने में किया जाता हैं। उन्हें घर के किचन या मंदिर में भी प्रवेश करने की इजाझद नहीं दी जाती हैं। उनसे दुरी तो कुछ इस प्रकार बनाते हैं जैसे कोई छुआ छुत की बीमारी से ग्रसित हैं।
2 . पुरुष के नेतृतव में रहना या उनके हिसाब से चलना
भारत में अगर एक महिला जहाज भी उड़ा ले पर ये समाज उसको भी निचा दिखने में तनिक भी नहीं चुकेगा।अगर किसी घर में पुरुष नहीं हैं तो मानते हैं की अब उस घर को कौन चलाएगा या अब उस घर की महिलायों की सुरक्षा कौन करेगा ? समाज को ये क्यों नहीं समझ आता की जो महिला ने पुरुषों को जन्म दिया उन्हें क्यों सुरक्षा के लिए एक पुरुष चाहिए? क्यों हमेशा एक महिला को बार - बार समाज के सामने अपनी काबिलियत सिद्ध करना पड़ता हैं ? एक महिला अपने आप में ही बहुत काबिल हैं उसे किसके हिसाब से चलने की कोई जरुरत नहीं और पुरुषों से रक्षा के लिए उसे कोई पुरुष की सहायेता की भी जरुरत नहीं।
3 .रेप
NCRB की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार महिलओं के खिलाफ अपराधों में 4 % की बढ़ोतरी हुई हैं जिसमे रेप,घरेलु हिंसा आदि शामिल हैं। अगर किसी महिला के साथ दुष्कर्म हो जाता हैं तो सबसे पहले उसके खुद का परिवार उसे इज्ज़त और शर्म के मरे छुपाना चाहेगा और यदि पुलिस तक बात जाती भी हैं तो कई केस में महिला की शादी उसी रेपिस्ट से करवा दी जाती हैं क्यों? जिसने उसके साथ पहले ही दुष्कर्म किया हैं उसके हाथों महिला की पूरी जिंदगी सौप दी जाती हैं। एक पुरुष हमेशा से अपनी मर्दानंगी साबित करने और खुद को बेहतर दिखने ऐसे घटनाओं को अंजाम देता हैं और समाज फिरसे एक महिला के ऊपर उंगली उठाने में एक बार नहीं सोचती।
4. डिवोर्स
अगर किसी महिला ने अपने ख़ुशी और एक टॉक्सिक शादी से बाहर आने का फैसला किया तो ये भी समाज के खिचे हुए लक्ष्मण रेखा के खिलाफ हैं। समाज को ये भी नहीं भाता फिर हर कोई उस महिला को इस नजर से देखेगा की उसमे ही कोई कमी होगी तभी पति ने छोड़ दिया आदि। एक महिला को ये समाज हमेशा से अपने शर्तो पे नाचाना चाहता हैं।
5 . एक विधवा औरत बदकिस्मत हैं
अगर भारत में किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती हैं तो उसे उसकी किस्मत पर कोसा जाता हैं। कई बार उन्हें किसी कार्यक्रम में भी नहीं ले जाया जाता हैं। कई जगह तो अपने पति की मृत्यु के बाद एक महिला को अपने सर के बाल पूरी तरह से कटवाने भी पड़ते हैं।