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1. पीरियड्स के लिए
पीरियड्स एक लड़की के लाइफ का सबसे नेचुरल प्रोसेस है जिस पर उसका कोई ज़ोर नहीं है। लेकिन अफ़सोस की बात तो ये है की हमारी सोसाइटी आज भी पीरियड एड्यूकेटेड नहीं है और इस कारण एक लड़की को आज भी पीरियड्स के लिए शेम किया जाता है। इस पीरियड शेमिंग के कारण ना जाने आज भी कितनी लड़कियां इस नेचुरल प्रोसेस से नफरत करती हैं और इस कारण अपने पीरियड हाइजीन पर भी अच्छे से ध्यान नहीं रखती हैं।
2. सेक्स पसंद या नापसंद करने के लिए
हमारी सोसाइटी को आज भी ये बात समझ में नहीं आती है की एक लड़की को सेक्स पसंद या नापसंद हो सकता है। अगर कोई लड़की सेक्स पसंद करती है तो उसे तुरंत बेशर्म का टैग दे दिया जाता है। वहीं अगर कोई लड़की सेक्स पसंद नहीं करती है तो उसे इस बात के लिए शेम किया जाता है की उसकी शादी कैसे होगी और वो अपने पति को खुश कैसे रख पाएगी। सेक्स को लेकर एक लड़की के स्टैंड पर इस सोसाइटी का हमेशा ही डबल स्टैण्डर्ड रहा है।
3. मिसोगायनी के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए
मिसोगायनी का मतलब है महिलाओं और लड़कियों के लिए हैट्रेड और कंटेम्प्ट रखना। ये सोच उन मर्दों के द्वारा फॉलो किया जाता है जो महिलाओं का स्टेटस हमेशा खुद से कम रखना चाहते हैं। मिसोगायनी बहुत ही गलत सोच है और अगर इसके खिलाफ महिलाएं आवाज़ उठाती हैं तो उन्हें इसके लिए भी शेम किया जाता है।
4. एबॉर्शन
मदरहुड एक चॉइस है और इसका डिसिशन लेना सिर्फ एक महिला का अधिकार है। आज हमारा कानून भी यही कहता है की एबॉर्शन के लिए एक बालिग लड़की को अपने अलावा और किसी के परमिशन की ज़रूरत नहीं है। मगर फिर भी हमारी सोसाइटी आज भी इतनी ज़्यादा दकियानूसी है की वो किसी के एबॉर्शन को जल्दी हज़म नहीं कर पाते हैं। सोसाइटी के अनुसार एक बच्चे को दुनिया में लेकर उसकी ज़रूरतों को पूरा ना कर पाना सही है लेकिन एबॉर्शन करवाना गलत है।
5. सेक्सुअल असॉल्ट, हरैसमेंट या वोइलेंस रिपोर्ट करने के लिए
एक लड़की के लाइफ में अगर कभी उसके सेक्सुअल असॉल्ट, हरैसमेंट या वोइलेंस हुआ हो तो उससे खुद को संभल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसके बाद भी अगर कोई लड़की हिमायत जुटाकर अपने खिलाफ हुए अन्याय के बारे में रिपोर्ट करने का फैसला लेती है तो इस सोसाइटी को उससे भी प्रॉब्लम है। सोसाइटी की नज़र में अगर वो ऐसा करे तो उसके परिवार की नाक कट जाएगी जबकि उस लड़की की इसमें कोई गलती नहीं रहती है।