5 कारण जिनसे आपकी पल्स ऑक्सीमीटर रीडिंग पर फर्क पड़ता है

Swati Bundela
10 May 2021
5 कारण जिनसे आपकी पल्स ऑक्सीमीटर रीडिंग पर फर्क पड़ता है

पल्स ऑक्सीमीटर रीडिंग - ये ऑक्सीमीटर एक छोटा सा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होता है। इसके बीच में ऊँगली फसायी जाती है और रेटिंग देखी जाती है। इस में दो रेटिंग आती हैं एक ऑक्सीजन की और एक पल्स की। एक नार्मल ऑक्सीजन लेवल 95 से ऊपर होना चाहिए। अगर आपकी ऑक्सीजन लेवल इस से कम होती है तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास अस्पताल में चले जाना चाहिए।

5 कारण जिन से आपकी पल्स ऑक्सीमीटर पर फर्क पड़ता है -


1. नेल पोलिश और नकली नाख़ून


ऑक्सीमीटर की एक लाइट होती है जो ऊँगली के अंदर से जाकर ऑक्सीजन लेवल नापती है। अगर आपके नाख़ून में नेल पोलिश और नकली नाख़ून लगे हैं तो आपका ऑक्सीजन लेवल गलत आ सकता है।

2. मेहँदी


हाँथ में मेहँदी के होने से भी आपकी ऑक्सीजन रीडिंग बदल सकती है इसलिए कुछ समय तक न लगाएं।

3. हिल ढुलना


जब आप ऑक्सीमीटर से आपका ऑक्सीजन लेवल नाप रहे हैं उस वक़्त थोड़ा सा भी हिलने ढुलने से रीडिंग में बदलाव आ सकता है इसलिए एकदम शांत बैठें।

4. सही दिशा में नाख़ून


अगर आपको सही रीडिंग चाहिए है तो आपके नाखून हमेशा ऊपर की तरफ ही होना चाहिए।

5. ठन्डे या गीले हाँथ


अगर आपके हाँथ ठन्डे होते हैं या फिर गीले होते हैं तो इस से आपकी रीडिंग में काफी फर्क आ सकता है। इसलिए इन बातों का ध्यान रखें जब ऑक्सीमीटर इस्तेमाल कर रहे हो।

कोरोना की दूसरी लहर हमारे सर पर है ऐसे में न जाने कितने ही लोग ऑक्सीजन की कमी से और मेडिकल बेड की कमी से मर रहे हैं। कोरोना वायरस की बीमारी में अधिकतर लोग सांस लेने में दिक्कत महसूस करते हैं। इसलिए लोगों को हर फैमिली में इस कोरोना के मुश्किल वक़्त में पल्स ऑक्सीमीटर रखना चाहिए।

कोरोना की तीसरी लहर आने को है और दूसरी लहर ने पहले से ही बहुत भूकंप मचाकर रखा है। ऐसे में कई लोगों को घर घर कोरोना हो रहा है। कई लोग तो ऐसे भी हैं जो होम क्वारंटाइन में ही ठीक हो जाते हैं।

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