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Period Education: इन 5 तरीकों से प्रिपेयर करें अपनी बेटी को मेनार्च के लिए

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Swati Bundela
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मेनार्च का मतलब है मेंस्ट्रुएशन का ऑनसेट। आम तौर पर मेंस्ट्रुएशन स्टार्ट होने के उम्र होती है 12 साल है। लेकिन ये बिलकुल पॉसिबल है पीरियड्स 8 साल की उम्र में ही स्टार्ट हो जाए। इसलिए ये बहुत ज़रूरी है आप अपनी बेटी को मेनार्च के लिए प्रिपेयर करें और अर्ली इयर्स में ही उसे इस बारे में अच्छे से समझाएं। अगर आप इस डिस्कशन में लेट करेंगे तो हो सकता है की आपकी बेटी एक बार में सारे इंफॉर्मेशंस को ठीक तरीके से ना ले पाए। इन 5 तरीकों से प्रिपेयर करें अपनी बेटी को मेनार्च के लिए:

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1. जल्दी स्टार्ट करें



जितना जल्दी आप अपने बच्चे से प्यूबर्टी रिलेटेड बॉडी चेंजेस के बारे में बात करेंगे उतना आप दोनों के लिए ये कन्वर्सेशन आसान होगा। अपने बच्चे के साथ कन्वर्सेशन सेशंस प्लान आउट करें और उन्हें प्यूबर्टी और पीरियड्स से जुड़ी साड़ी बातें धीरे-धीरे बताएं। अगर आपके बच्चे के मन में कोई सवाल है तो उसे भी अनदेखा ना करें और उन्हें सवाल पूछने के लिए और प्रोत्साहित करें। उन्हें प्यूबर्टी से जुड़ी किसी भी तरह की एंग्जायटी से बचाने का सबसे सही तरीका है जल्दी बात स्टार्ट करना।

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2. डॉक्टर की सलाह लें



अगर आपको पीरियड्स से जुड़ी किसी बात को शेयर कैसे करें समझ में नहीं आ रहा है तो आप डॉक्टर या फिर किसी एक्सपर्ट की सलाह ले सकते हैं। अपनी बेटी को समझाएं की मेंस्ट्रुएशन एक्चुअली क्या है और इसका बायोलॉजिकल प्रोसेस समझने की भी कोशिश करें। उसे ये भी बताये की ये कब से स्टार्ट होगा ताकि अगर उसे आपकी गैरमौजूदगी में पीरियड्स स्टार्ट भी हो तो उसे किसी तरह की परेशानी न हो। आप किसी डॉक्टरकी मदद लेना चाहें तो ज़रूर लें।

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3. पीरियड प्रोडक्ट्स के बारे में बताएं



अपनी बेटी को अर्ली इयर्स में ही समझाएं की पीरियड प्रोडक्ट्स क्या होते हैं। पैड्स, टेम्पोंस, मेंस्ट्रुअल कप्स वगेरा के बारे में उसे जानकारी होगी तो उसकी असहजता अपनेआप कम हो जाएगी। सिर्फ एहि नहीं उसे बताएं की मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स क्या होते हैं, क्यों होते हैं और इससे कैसे रिलीफ पाया जा सकता है।

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4. हर कोई डिफरेंट होता है



एक उम्र तक पहुँचाने के बाद हो सकता है की आपकी बेटी को ऐसा लगे की उसके पियर ग्रुप के मकाबले उसको पीरियड्स लेट या जल्दी आये हैं। ऐसे सिचुएशन में उसे संभालना बहुत ज़रूरी है। इसलिए अपने बच्चों में बचपन से ये बात इंस्टॉल करें की हर कोई डिफरेंट होता है और हर किसी का शरीर भी डिफरेंट होता है इसलिए हर किसी के लिए नेचुरल प्रोसेसेज अलग टाइम पर स्टार्ट हो सकते हैं।
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5. पॉसिटिविटी बनाए रखें



ना सिर्फ बेटियों को बल्कि बेटों को भी पीरियड एजुकेशन ज़रूर दें जिस कारण आपके घर का माहौल पॉजिटिव रहेग। प्यूबर्टी रिलेटेड चेंजेस हर किसी के लिए एक्सेप्ट करना मुश्किल हो सकता है इसलिए अपने बच्चों को समय दें और उन्हें सब कुछ को देखने का पॉजिटिव एप्रोच सिखाएं। जब आपके घर में इस बारे में कुछ नेगेटिव नहीं रहेगा तो आपकी बेटी को घर से बाहर भी कभी पीरियड्स के कारण शर्मिंदगी महसूस नहीं होगी।
सोसाइटी पेरेंटिंग
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