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Law And Her: शादी से पहले जान लें ये 6 कानूनी जानकारियाँ

शादी एक खूबसूरत बंधन है, जिसमें दो लोग जिंदगी भर साथ चलने का वादा करते हैं। लेकिन प्यार और विश्वास के साथ-साथ शादी को मजबूत बनाने के लिए कुछ कानूनी पहलुओं को भी समझना जरूरी है।

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Vaishali Garg
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Law And Her

6 Essential Laws for a Happy and Secure Married Life: शादी! एक शब्द जो सुनते ही चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। सपनों का महल, प्यार का वादा, खुशियों से भरा भविष्य - ये वो तस्वीरें हैं जो अक्सर शादी के बारे में हमारे जेहन में बनती हैं। लेकिन शादी सिर्फ खूबसूरत सपनों और प्यार की कहानी नहीं है। यह एक कानूनी और सामाजिक बंधन भी है।

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जी हाँ, शादी के साथ आते हैं कुछ ऐसे अधिकार और ज़िम्मेदारियां जिन्हें समझना बेहद ज़रूरी है। आज के बदलते दौर में जहां महिलाएं सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, वहीं उनके वैवाहिक जीवन में भी बदलाव आ रहा है। अब शादी सिर्फ एक सामाजिक बंधन नहीं बल्कि समानता और साझेदारी पर आधारित रिश्ता है।

लेकिन क्या शादी के इस बदलते स्वरूप को कानून भी मान्यता दे रहा है? क्या हम कानूनी दायरे में भी पति-पत्नी के बीच समानता ला पाए हैं? ये ऐसे सवाल हैं जिन पर गौर करना ज़रूरी है। आइए जानते हैं शादी से पहले जानने वाले कुछ महत्वपूर्ण कानूनों के बारे में:

शादी से पहले जान लें ये 6 कानूनी जानकारियाँ

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1. हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act, 1955): यह अधिनियम हिंदू धर्म को मानने वाले व्यक्तियों के विवाह को नियंत्रित करता है। इसमें शादी की न्यूनतम उम्र (18 वर्ष महिला के लिए, 21 वर्ष पुरुष के लिए), सहमति की आवश्यकता, विवाह के विभिन्न रूपों (सांप्रदायिक, विशेष, आदि) और विवाह को रद्द करने के आधारों आदि का उल्लेख है।

2. घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम (Domestic Violence Protection Act, 2005): यह कानून घरेलू हिंसा से महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें दहेज प्रथा को दंडनीय अपराध माना गया है। शारीरिक, मानसिक, यौनिक, भावनात्मक या आर्थिक किसी भी प्रकार का उत्पीड़न इस कानून के अंतर्गत आता है।

3. दहेज निषेध अधिनियम (Dowry Prohibition Act, 1961): यह कानून दहेज की मांग, प्रताड़ना और दहेज हत्या को रोकने के लिए बनाया गया है। शादी के समय या शादी के बाद दहेज की मांग करना या लेना दंडनीय अपराध है।

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4. उत्तराधिकार अधिनियम (Indian Succession Act, 1925): यह कानून संपत्ति के उत्तराधिकार को नियंत्रित करता है। विवाह के बाद पति-पत्नी एक-दूसरे की संपत्ति में कानूनी हकदार बन जाते हैं।

5. भरण-पोषण का अधिकार (Maintenance Right): पत्नी को अपने पति से उचित भरण-पोषण पाने का अधिकार है। साथ ही, बच्चों का भी अपने माता-पिता से भरण-पोषण पाने का अधिकार है।

6. संयुक्त संपत्ति का अधिकार (Joint Property Rights): पति-पत्नी द्वारा संयुक्त रूप से खरीदी गई संपत्ति दोनों की साझी मानी जाती है। 

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इन कानूनों की जानकारी रखना भले ही प्यार को कम न करे, लेकिन यह दांपत्य जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में सहायक ज़रूर होगा। साथ ही, यह एक-दूसरे के अधिकारों और सम्मान को बनाए रखने में भी मदद करता है। 

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