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Menstrual Cup Guide: मेंस्ट्रुअल कप को कौन से कारक करते हैं प्रभावित?

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Menstrual Cup

पीरियड्स के दौरान पैड का इस्तेमाल करने से ऐसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है जो मेंस्ट्रूअल कप के उपयोग से नहीं होती है। मेंस्ट्रूअल कप एक नया विकल्प जरूर है लेकिन यह दूसरे विकल्पों से बेहतर और पुनः उपयोग के लायक है।हर किसी की बॉडी अलग-अलग प्रकार की होती है और उसका साइज भी अलग होता है। इसलिए मेंस्ट्रूअल कप को खरीदने से पहले आपको इसका साइज चेक करना चाहिए।

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मेंस्ट्रुअल कप के साइज

मेंस्ट्रूअल कप के अधिकतर केवल 2 साइज ही बाजार में मिलते हैं। साइज 1 या A और साइज 2 या B। लेकिन मेंस्ट्रूअल कप के स्टैंडर्ड साइज नहीं है जो देश के स्तर पर मिलते हो। यह अलग-अलग ब्रांड के अनुसार अलग-अलग साइज के मिलते हैं। कुछ बड़े ब्रांड टीन एजर से लेकर वयस्क महिलाओं तक के साइज को मध्य नजर रखते हुए मेंस्ट्रूअल कप के साइज बनाते हैं। जबकि कुछ ब्रांड केवल एक या दो साइज ही बेचते हैं।

छोटे साइज के मेंस्ट्रूअल कप खासतौर पर 30 की उम्र से कम महिलाओं के लिए बनाए जाते हैं क्योंकि उनका सर्विक्स छोटा होता है और प्रेगनेंसी से ना गुजरने के कारण उनका साइज़ भी स्थिर होता है। जबकी ज्यादातर महिलाएं जो 30 की उम्र पार कर जाती है प्रेगनेंसी से गुजर चुकी होती है और एक बच्चे को जन्म भी दे चुकी होती हैं। बच्चे को जन्म देने के कारण उनके सरविक्स का साइज बड़ा हो जाता है और इसलिए उन्हें बड़े साइज के मेंस्ट्रूअल कप की जरूरत होती है।

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मेंस्ट्रूअल कप की साइज का इस बात से कोई संबंध नहीं है कि वह कितना खून अपने अंदर स्टोर कर सकता है। पर कुछ निर्माता इस बात को ध्यान में रखकर भी मेंस्ट्रूअल कप का निर्माण करते हैं।

मेंस्ट्रुअल कप के साइज को प्राभावित करने वाले कारक

मेंस्ट्रूअल कप का साइज केवल महिला के सरविक्स के साइज पर निर्भर नहीं करता है बल्कि इसके अलावा भी अनेक ऐसे कारक हैं जो इसे प्रभावित करते हैं। जैसे -

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1. उम्र

सभी ब्रांड उम्र के आधार पर अलग तरह के मेंस्ट्रूअल कप साइज नहीं बनाते हैं। लेकिन कुछ निर्माणकर्ता इसे ध्यान में रखकर निर्माण करते हैं और वेबसाइट पर भी यह लिखा देखने को मिल सकता है क्योंकि यह पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों की टाईटनेस को प्रभावित करता है।

आमतौर पर छोटे साइज 30 से कम उम्र की महिलाओं के लिए होता है और बड़ा साइज 30 से अधिक उम्र वाली महिलाओं के लिए। अब तो उन छोटी लड़कियों के लिए भी अलग साइज आ गए हैं जो पहली बार पीरियड का अनुभव कर रही होती है।

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2. बच्चे को जन्म देना

प्रेग्नेंसी और बच्चे को जन्म देना मेंस्ट्रुअल कप के साइज को तय करने मे एक बड़ा रोल निभाते हैं। 9 महीने तक बच्चे को पेट में रखने के बाद उसे जन्म देने से पेल्विक फ्लोर मांसपेशिया खींच जाती है और उनका साइज़ में बदलाव आ जाता है। इसके कारण मेंस्ट्रुअल कप के साइज भी बदल जाते है। जो महिलाएं किसी बच्चे को जन्म नही देती है उनके लिए छोटे साइज बनाए जाते हैं।

3. सर्विक्स की लंबाई

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सर्विक्स की लंबाई भी मेंस्ट्रुअल कप के साइज को प्रभावित करती है। सर्विक्स वजाइनल canal होता है जिसकी लंबाई अगर अधिक हो तो बड़े साइज का मेंस्ट्रुअल कप चाहिए होता है और अगर कम हो तो छोटे साइज का। 

आप पीरियड आने से एक दिन पहले अपने वजाइना में उंगली डालकर इसकी लंबाई चेक कर सकते हैं। अगर आपकी पूरी उंगली अंदर पहुंचने पर सर्विक्स तक पहुंचती है तो लंबाई ज्यादा है और अगर उंगली के ज्वाइंट तक ही यह रुक जाती है तो लंबाई छोटी है।

4. फिटनेस

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प्रेग्नेंसी या बच्चे को जन्म देने से पेल्विक फ्लोर मसपेशियां कमज़ोर हो सकती हैं। पर एक्सरसाइज़ करने से यह अपनी पुरानी शेप मे आ जायेगी। अगर आप एक्टिव रहते हैं तो आपकी फिटनेस अच्छी होगी और आपके सर्विक्स का साइज भी बड़ा नहीं होगा। इसलिए आपकी फिटनेस मेंस्ट्रुअल कप के साइज को तय करने में अहम भूमिका निभाती है।

5. पीरियड फ्लो

हालांकि सभी निर्माता मेंस्ट्रूअल कप पीरियड फ्लो के आधार पर नही बनाते लेकिन यह एक महत्वपूर्ण कारक है। अगर आपको दिन में हल्की ब्लीडिंग होती है और केवल एक से दो पैड की ज़रूरत पड़ती है तो आपके लिए छोटे साइज का मेंस्ट्रुअल कप उपयुक्त है। मगर जब आपकी हैवी ब्लीडिंग होती है और आपको 2 से 3 पैड की ज़रूरत पड़ती है तो आपके लिए बड़ा साइज उपयुक्त है।

6. कप की लंबाई

अगर आपके कप की लंबाई सर्विक्स या वजाइनल कैनाल की लंबाई से अधिक या कम होगी तो यह उसमे फिट नहीं होगा। इससे आपको असुविधाजनक महसूस होगा। इसके लिए ज़रूरी है कि आप सही साइज का मेंस्ट्रुअल कप खरीदे और खरीदने से पहले अपने सर्विक्स की लंबाई नाप ले

मेंस्ट्रुअल कप
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