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क्या है सर्वे का उद्देश्य?
कुल 3500 महिलाओं पर हुए इस सर्वे में देश की मेंस्टुअल हेल्थ और हाइजीन से जुड़ी बहुत सी बातें सामने आई है। पीरियड्स से जुड़े स्टिग्मा और इसकी ग्राउंड रियलिटी जानने के लिए हुए इस सर्वे में बहुत सारी अचंभित करने वाली बातें सामने आई है। इसमें सभी 35 राज्य और केंद्रीय शाषित प्रदेश को शामिल किया गया था। इस सर्वे में 14 से लेकर 55 साल तक की मेंस्ट्रुटिंग पॉपुलेशन ने हिस्सा लिया।
अभी भी है पीरियड्स एक टैबू
रिपोर्ट्स के मुताबिक 34 साल की उम्र से अधिक केवल 44 प्रतिशत महिलाओं को मेंस्ट्रुएशन हाइजीन प्रोडक्ट्स लेने में कम्फर्टेबल महसूस होता है। ये आकड़ा 34 की उम्र से नीचे में कुल 74 प्रतिशत का है। मेंस्ट्रुएशन को लेकर आज भी इतना टैबू है की करीब 35 प्रतिशत महिलाओं को आज भी पीरियड्स के समय धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लेने नहीं दिया जाता है। इसके बीच एक अच्छी बात ये है की 34 की उम्र से कम कुल 76 प्रतिशत महिलाओं को पीरियड्स के समय दूसरे लोगों के ओपिनियन के हिसाब से अनप्योर नहीं लगता है।
पीरियड क्रैम्प्स एक बहुत बड़ी समस्या है
सर्वे के हिसाब से कुल 64 प्रतिशत महिलाओं ने बताया की उन्हें पीरियड्स के दौरान बहुत क्रिटिकल क्रैम्प्स होते हैं। इस रिपोर्ट को देखते हुए डॉक्टर्स का मानना है की जहाँ एक तरफ आज भी मेंस्ट्रुएशन को लेकर देश में हालत कुछ ठीक नहीं हैं पर युवा वर्ग की परिस्थिति को देखते हुए लोगों को राहत महसूस हो सकती है। डॉक्टर्स मान रहे हैं की इस रिपोर्ट के बाद भी अब लोगों की आँखें खुलेंगी और पीरियड स्टीग्मा से जुड़े सवालों को का अब वो सामना करेंगे।
मेंस्ट्रुअल फैसिलिटीज पर पड़ा है प्रकाश
सर्वे में ये बात भी सामने आई है की बहुत सारी ग्रामीण और शहरी महिलाओं को आज भी गलत मेंस्ट्रुअल प्रैक्टिस से होने वाले खतरे के बारे में नहीं पता है। इस दुविधा से निकलने का एक ही तरीका है और वो है सही एजुकेशन जिसके बाद ही उन्हें सही चोइसस लेने की समझ आएगी। जब तक महिलाएं खुद नहीं समझेंगी वो अपने पीरियड फसिलिटीएएस में सुधार नहीं ला पाएंगी।