Advertisment

Acid Attack Survivors In India: इन्होंने नहीं हारी हिम्मत, बनी प्रेरणा

तेजाब से बदसूरत हुई जिंदगी को हमारा समाज सर उठाकर जीने की इजाजत नहीं देता। तेजाब की कुछ बूंदे उन लड़कियों को जिंदगी भर का दाग दे जाती हैं। जानिए इन एसिड अटैक सर्वाइवर की कहानी इस ब्लॉग में-

author-image
Aastha Dhillon
New Update
Acid attack survivors

Acid Attack Survivors

Acid Attack Survivors In India: इन्होंने नहीं हारी हिम्मत, बनी प्रेरणा

Advertisment

दुनियाभर में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के आंकड़े कम नहीं हैं। आज भी कई माता पिता अपनी बेटियों को घर से बाहर भेजने से डरते हैं कि कहीं उनकी बेटी किसी अनहोनी या किसी अपराध का शिकार न बन जाए। छेड़छाड़, महिला उत्पीड़न, बहू को जलाना, बलात्कार, एसिड अटैक आदि कई ऐसे दिल दहला देने वाले अपराध है, जिनके आंकड़े डरा देने वाले हैं। स्कूल, कॉलेज या ऑफिस जाने वाली लड़कियों के साथ छेड़छाड़ होना आम बात है। वहीं कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिसमें लड़कियों के ऊपर राह चलते मनचले तेजाब डालकर निकल जाते हैं।

एसिड अटैक गंभीर क्रूरता

किसी को मौत के घाट उतार देने से उसकी पूरी जिंदगी खत्म की जा सकती है, उसका हाथ पांव काट देने से उसको अपंग किया जा सकता है लेकिन अगर किसी पर तेजाब डाल दिया जाए तो वह इंसान ना मर पाता है ना ही जी पाता है। तेजाब से बदसूरत हुई जिंदगी को हमारा समाज सर उठाकर जीने की इजाजत नहीं देता। यही वजह है कि हम इस बार अपने सोशल इश्यू ब्लॉग के द्वारा एसिड अटैक के बारे में लोगों को जागरुक कर रहे हैं। तेजाब की कुछ बूंदे उन लड़कियों को जिंदगी भर का दाग दे जाती हैं।

Advertisment

एसिड अटैक का असर

हड्डियां वक्त से पहले कमजोर पड़ जाती हैं। कई बार सर्जरी कराने से प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है। तेजाब से जले हुए इंसान का इलाज बहुत महंगा होता है और कई बार सर्जरी कराने के बाद भी पीडि़त का विकृत चेहरा या बदन पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता है। समाज में भी ऐसी हिंसा की शिकार लड़कियों के प्रति उतनी संवेदनशीलता नजर नहीं आती जितनी हिंसा की अन्य अभिव्यक्ति के प्रति दिखाई देती है‌।

एसिड अटैक सर्वाइवर

Advertisment

कई एसिड सर्वाइवर हैं, जो इस प्रताड़ना को झेल नहीं पाती तो कई ऐसी साहसी लड़कियां भी हैं, जो अपने खिलाफ हुए इस अपराध के लिए लड़ती हैं। डरती नहीं, मुंह छुपातीं नहीं, आंखों में आंखें डाल सबका सामना करती हैं। ऐसी ही कुछ एसिड अटैक सर्वाइवर हैं, सोनाली मुखर्जी, लक्ष्मी अगरवालइन्होंने एसिड अटैक को अपने ऊपर हावी ना होने देकर समाज को एक कड़ा जवाब दिया।

इन्होंने समाज में जुड़ी हर धारणा एवं मिथ को दूर करा व उनका डटकर सामना किया, अभी यह एक आम महिला की तरह अपना जीवन यापन कर रही है। इनकी ये कहानियां जानकर या सुनकर हमें प्रेरणा मिलती हैं हम जीवन की किसी भी परिस्थिति से बड़े हैं। हाल ही में लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी पर एक मूवी भी बनी है जिसमें उनका किरदार दीपिका पादुकोण ने निभाया है। इन सभी चीजों के बावजूद यह जानना बहुत जरूरी है की हमारे देश में यह घिनौना काम क्यों होता है एवं इसके खिलाफ क्या नियम हैं।

एसिड अटैक के खिलाफ कानून

Advertisment

एसिड या तेजाब से हमला होने की सूरत में भारत में कोई सशक्त कानून नहीं है, यूं तो ऐसे अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 329, 322 और 325 के तहत दर्ज होते हैं। लेकिन इसके अलावा पीडि़तों के इलाज, पुनर्वास और काउंसलिंग के लिए भी सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि ऐसे हादसों में पीडि़त को अपूरणीय क्षति उठानी पड़ती है। इन हादसों का मन-मस्तिष्क पर लंबे समय तक विपरीत प्रभाव बना रहता है।

अंत में हमें एसिड अटैक की क्रूरता को समझना होगा एवं इसका कड़े शब्दों में विरोध करना होगा, ऐसा बहुत बार देखा जाता है कि हमारा समाज इन चीजों को बहुत नॉर्मलाईज कर देता है एवं ऐसे में एसिड अटैक सरवाइवर के मन एवं कॉन्फिडेंस को बहुत ठेस पहुंचती है। यदि हमारे देश में कड़े कानून होंगे तो अपराधियों कि ऐसा घिनौना काम करने की हिम्मत ही नहीं होगी।

Survivors Acid Attack Acid Attack Survivors in India
Advertisment