Ahoi Ashtami: जानिये अहोई अष्टमी का शुभ समय और इसकी महिमा के बारे में

अहोई अष्टमी भारत में काफी मशहूर व्रत हैं जो सभी माताएं अपने बच्चों के लिए रखती हैं और तारों को देखकर खोलती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी अहोई अथवा आठें कहलाती है। यह व्रत दीपावली से ठीक एक हफ्ते पहले आता है।

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Priya Singh
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Ahoi Ashtami

Ahoi Ashtami Importance (Image Credit - The Quint)

Ahoi Ashtami Importance: अहोई अष्टमी भारत में काफी मशहूर व्रत है जो सभी माताएं अपने बच्चों के लिए रखती हैं और तारों को देखकर खोलती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी अहोई अथवा आठें कहलाती है। यह व्रत दीपावली से ठीक एक हफ्ते पहले आता है। हफ्ते पहले आता है। अधिकतर जिस दिन की अहोई अष्टमी होती है, उसके एक हफ्ते के बाद दिवाली मनाई जाती है। कहा जाता है इस व्रत को वह महिलाएं रखती हैं जिनके कोई संतान हो। यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और मंगलकामना के लिए करती हैं। परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए अहोई माता का व्रत रखा जाता है और विधि विधान से उनकी पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन अहोई देवी के चित्र के साथ सेई और सेई के बच्चों का चित्र बनाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

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Ahoi Ashtami 2024: जानिये अहोई अष्टमी का शुभ समय और इसकी महिमा के बारे में

कब मनाई जायेगी अहोई अष्टमी

इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर के दिन है। कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी को यह त्यौहार  सम्पूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है। 

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अहोई अष्टमी की कथा

पुराने समय में एक शहर में एक साहूकार के 7 लड़के रहते थे। साहूकार की पत्नी दिवाली पर घर लीपने के लिए अष्टमी के दिन मिटटी लेने गई। जैसे ही मिट्टी खोदने के लिए उसने कुदाल चलाई वह सेह की मांद में जा लगी। जिससे कि सेह का बच्चा मर गया। साहूकार की पत्नी को इसे लेकर काफी पश्चाताप हुआ। इसके कुछ दिन बाद ही उसके एक बेटे की मौत हो गई। इसके बाद एक-एक करके उसके सातों बेटों की मौत हो गई। इस कारण साहूकार की पत्नी शोक में रहने लगी। एक दिन साहूकार की पत्नी ने अपनी पड़ोसी औरतों को रोते हुए अपना दुख की कथा सुनाई। जिस पर औरतों ने उसे सलाह दी कि यह बात साझा करने से तुम्हारा आधा पाप कट गया है। अब तुम अष्टमी के दिन सेह और उसके बच्चों का चित्र बनाकर मां भगवती की पूजा करो और क्षमा याचना करो। भगवान की कृपा हुई तो तुम्हारे पाप नष्ट हो जाएंगे। ऐसा सुनकर साहूकार की पत्नी हर साल कार्तिक मास की अष्टमी को मां अहोई की पूजा व व्रत करने लगी। माता रानी कृपा से साहूकार की पत्नी फिर से गर्भवती हो गई और उसके कई साल बाद उसके फिर से सात बेटे हुए। तभी से अहोई अष्टमी का व्रत चला आ रहा है। कहा जाता है की हर माँ अपनी संतान की लम्बी उम्र और मंगलकामना के लिए यह व्रत करती है।

यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और मंगलकामना के लिए करती हैं।

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