Live In Relationship: इंडिया की परंपरा है की एक लड़का और लड़की एक दूसरे के साथ तभी रह सकते है जब उनकी शादी हो जाए। एक कपल जिनकी शादी न हुई हो वे साथ में रहे तो समाज में अपराध की तरह माना जाता है। ऐसे लोगो का विरोध किया जाता है और चरित्रहीन भी कहा जाता है।
क्या लिव इन रिलेशनशिप इंडिया में लीगल है?
प्रेमी जोड़े का शादी किए बिना लंबे समय तक एक घर में साथ रहना लिव-इन रिलेशनशिप कहलाता है। लिव इन रिलेशनशिप की कोई कानूनी परिभाषा अलग से कहीं नहीं लिखी गई है। आसान भाषा में इसे दो व्यस्कों का अपनी मर्जी से बिना शादी किए एक छत के नीचे साथ रहना कह सकते हैं। कई कपल इसलिए लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं, ताकि यह तय कर सकें कि दोनों शादी करने जितना compatible हैं या नहीं। कुछ इसलिए रहते हैं क्योंकि उन्हें पारंपरिक विवाह व्यवस्था कोई दिलचस्पी नहीं होती है। लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भारतीय समाज का नजरिया पॉजिटिव नहीं रहा है। समाज में आज भी लिव इन रिलेशनशिप को लेकर एक गलत नजरिए से देखा जाता है। यदि आज कोई भी व्यक्ति लिव इन रिलेशनशिप में पाया जाता है तो उससे समाज के अधिकतम चीजों से वंचित रखा जाता है।
क्या कहता है कानून?
लिव-इन रिलेशनशिप की जड़ कानूनी तौर पर संविधान के Article 21 में मौजूद है। अपनी मर्जी से शादी करने या किसी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की आजादी और अधिकार को अनुच्छेद 21 से अलग नहीं माना जा सकता। कोई भी कानून ऐसे संबंधों की अनुमति या खंडन नहीं करता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार बद्री प्रसाद बनाम उप के मामले में लिव-इन रिलेशनशिप को वैध माना। अदालत ने माना कि हालांकि लिव-इन रिलेशनशिप को अनैतिक माना जाता है, यह कानून के तहत अपराध नहीं है। ऐसे विभिन्न केस हुए हैं जहां हमारे कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप पर कोई आपत्ति नहीं दिखाई एवं उनका सपोर्ट किया है।
एक नया नजरिया
इससे हमें यह पता चलता है कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने न्यायिक रूप से गलत नहीं है एवं हमें सामाजिक तौर पर भी इसे अपना भाग बना लेना चाहिए। यदि हम ऐसा सोचे कि लिव इन रिलेशनशिप में रहने से दो व्यक्तियों की आपस में कंपैटिबिलिटी बढ़ती है तो लिव इन रिलेशनशिप गलत नहीं है।
लिव इन रिलेशनशिप में रहने से दोनों व्यक्तियों को एक दूसरे के बारे में ज्यादा पता चलता है एवं वह इस बात का भी पता लगा सकते हैं कि क्या वह शादी के लिए तैयार हैं? अब यदि हम सभी ब्रॉडमाइंड से लिव इन रिलेशनशिप को देखें तो उसमें सामाजिक तौर पर कोई भी गलती या दिक्कत नहीं है। हमें एक चीज और समझनी होगी यदि हम आज अपने यंगर जेनरेशन को खोजने एवं खुद की अभिव्यक्ति का मौका नहीं देंगे तो ऐसे में वे कुछ गलत कदम भी उठा सकते हैं। हमें बस लिव इन रिलेशनशिप को आम रिश्ते की तरह देखते उसे समान भाव से ट्रीट करना चाहिए