Advertisment

इस वजह से होते है बच्चे के सिर के आकार अलग-अलग, जानिए इसका इलाज

author-image
Swati Bundela
New Update
बच्चों के सिर के आकार से जुड़ी बातें -  जन्म के समय शिशुओं के सिर का बेडौल होना या सिर का अजीब सा आकार होना एक सामान्य बात है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जन्म लेने वाले शिशु के सिर की हड्डियां लचीली एंव नर्म होती हैं और हड्डियों की परतों के बीच खोखलापन होता है। इससे कुदरती प्रसव (बिना सर्जरी/आॅपरेशन) होने पर संकरे जनन मार्ग से शिशु को बाहर निकलने में आसानी होती है।
Advertisment




कुदरती प्रसव के दौरान जब कोई बच्चा सिर की ओर से गर्भ से बाहर आता है तो इस संकरे जनन मार्ग से शिशु के सिर पर दबाब बनता है जिससे जन्म ले रहे शिशु का सिर अंडाकार हो जाता है और शिशु आसानी से बाहर आ जाता है। यही वजह है कि नये पैदा होने वाले शिशुओं का सिर अक्सर थोड़ा लंबा या फिर टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है। इस प्रक्रिया को डाॅक्टरी बोलचाल में मोल्डिंग कहा जाता है।

Advertisment

कब चिंता करने की जरूरत है? बच्चों के सिर के आकार से जुड़ी बातें



हालांकि बहुत कम मामलों में शिशु के सिर के बेडौल होने के पीछे अन्य वजहें होती हैं लेकिन फिर भी आपको लगता है कि आपके शिशु के सिर का आकार बेडौल है तो आप डाॅक्टर की सलाह ले सकती हैं।

Advertisment

शिशुओं के सिर में असमानता का कारण और इलाज



क्रैनियोसिनोस्टोसिस

Advertisment


शिशु को सिर के असमान होने की ज्यादातर शिकायतें आमतौर पर उसके पैदा होने के बाद ही मिलती हैं पर क्रैनियोसिनोस्टोसिस वह समस्या है जो गर्भ के अंदर भी हो सकती है। जब नये पैदायशी शिशु के सिर की नरम हड्डियों के रेशेदार तंतु जल्दी विकसित होकर आपस में जुड़ कर कठोर हो जाते हैं तो शिशु के सिर का आकार असमान हो जाता है। इसे ही क्रैनियोसिनोस्टोसिस कहा जाता है।

क्रैनियोसिनोस्टोसिस के लक्षण

Advertisment


1.शिशु के सिर का असमान आकार का लम्बे समय तक खत्म न होना

Advertisment


2.सिर मे किसी खास जगह पर गुम्मड़/उभार होना



3.शिशु के
Advertisment
शरीर के विकास के साथ उसके सिर में कम या बिल्कुल बढ़त न होना जो शिशु के दिमाग के आकार के बढ़ने पर असर करता है।

क्रैनियोसिनोस्टोसिस का इलाज (bacchon ke sir ke aakar se judi baatein)



क्रैनीओसिनोस्टोसिस का इलाज केवल सर्जरी के जरिए ही मुमकिन है जिससे यह तय हो सके कि शिशु सिर के अंदर मुनासिब जगह हो और शिशु को दिमाग अच्छे से बढ़ सके। सर्जरी के जरिए समय से पहले जुड़ कर कठोर हो चुके खोपड़ी के रेशेदार तंतुओं को खोल दिया जाता है जिससे शिशु की खोपड़ी का आकार बढ़ने लगता है और यह दिमागी बढ़त पर होने वाले दबाब को भी खत्म कर देता है।

पोजीशनल प्लैगियोसेफली (सिर में चपटापन)









    1. जन्म के बाद शिशु के सिर के आकार को लेकर जो परेशानी सबसे आम है, वो है फ्लैट हैड या सिर का चपटा होना जिसे डाॅक्टरी भाषा में पोजीशनल प्लैगियोसेफली भी कहा जाता है।


    2. शिशु के सिर में चपटापन खासतौर पर उसके लेटने के गलत तरीके की वजह से होता है। कुछ मामलों में शिशु के समय से पहले जन्म लेने या गर्भ में जुड़वा बच्चों के होने पर भी पैदायशी शिशु के सिर में चपटेपन की शिकायत हो सकती है। इसकी वजह से शिशु की खोपड़ी या दिमागी बढ़त पर असर होने जैसी परेशानियां नहीं होती सिवाय सिर का बेडौल होने या असमान आकार होने के.








पोजीशनल प्लैगियोसेफली का इलाज



आमतौर पर शिशु के सिर के चपटेपन में सुधार लाने के लिए किसी तरह के डाॅक्टरी इलाज की जरूरत नहीं होती बल्कि इसे कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर ठीक किया जा सकता है जैसे-



  • सोते समय शिशु को लम्बे समय तक एक ही स्थिति में लेटे रहने से बचाएं और कुछ समय बाद उसकी करवट बदलते रहें।


  • शिशु के सिर के नीचे राई/सरसों के तकिये का इस्तेमाल करें।


  • हालांकि सिर के चपटेपन को सुधारने के लिए कुछ डाॅक्टरी उपाय भी मौजूद हैं पर इनकी जरूरत बहुत खास परिस्थितियों में ही होती है जैसे कि फिजियोथैरेपी या हैलमेट थैरेपी।






ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि शिशुओं के सिर का आकार हमेशा बेडौल नहीं रहता। लगभग 9-18 माह के होने तक सभी शिशुओं में सिर की हड्डियों के बीच की खोखली जगह भर जाती है, हड्डियां आपस में जुड़ जाती हैं और वहां मांस आ जाता है जिससे शिशु के सिर का आकार सुडौल और गोल हो जाता है।
पेरेंटिंग बच्चों के सिर के आकार से जुड़ी बातें
Advertisment