क्या आप भी समाज में बढ़ते ब्यूटी मापदंडों को लेकर चिंतित है? लेकिन क्या आपने कभी सोचा है इन मापदंडों को एक आधार बनाने वाला आखिर कौन है? क्या वह हमारा समाज और हम भी तो नहीं हैं जिन्होंने मिलकर लड़कियों के जीवन को दूभर कर दिया है। हर दिन बाजार में देखा जाता है कि ढेर सारे ब्यूटी उत्पाद बढ़ते ही जा रहे हैं, वजन कम करने की ढेर सारी दवाईयां चलन में है।
आखिर क्या कारण है जिसकी वजह से लड़कियों को सुंदर दिखने की वासना रहती है?
उनके घर वाले उनके अपने खुद उन्हें पग पग पर दिख लाते हैं कि वे समाज के खूबसूरती के मापदंडों पर खरी नहीं उतरती है और इसी वजह से उनकी शादी होना भी मुश्किल हो जाती है। लोग एक लड़की के रंग रूप और शरीर को उत्पाद की तरह देखते हैं, वे चाहते हैं कि लड़की का रंग गोरा हो, उसका कद लंबा हो और कमर पतली हो। न जाने इन मापदंडों की वजह से कितने ही रिश्ते टूट जाते हैं, कितने ही लड़के पढ़ी-लिखी एवं समझदार लड़कियों को खो बैठते हैं।
इतना ही नहीं आज के दिन लड़की के परिवार को ब्यूटी मापदंडों पर खरा न उतरने पर अधिक दहेज भी देना पड़ता है। अब उसी समाज से सवाल यह है कि आखिर कब तक एक लड़की को उसके त्वचा के रंग से, उसकी लंबाई से तो तू उसके वजन से मापा जाता रहेगा?
इन बेतुके मापदंडों को कैसे खत्म किया जा सकता है?
• सबसे पहले हमें बचपन से एक उभरते हुई सोच एवं मानसिकता को हेल्दी बनाना होगा जहां हम एक बच्चे को बता सके कि किसी की सुंदरता उसके शरीर से नहीं उसके चेहरे से भी नहीं बल्कि उसके अपने कर्मों से होती है।
• लड़कियों को अपने लिए खुद स्टैंड लेना होगा। उन्हें अपने ही शरीर में चाहे वह मोटा है, पतला है, काला है गोरा है, उसी में सहज होना होगा।
• हमें बदलाव पूरे समाज से नहीं बल्कि अपने आप से लाना होगा इसके लिए सबसे पहले हमें अपनी खुद की सोच बदलनी होगी अगर एक व्यस्क अपने खुद के घर में रंग रूप पर ध्यान नहीं देता है तो उसके आसपास के लोग भी धीरे-धीरे उसी वातावरण में ढल जाएंगे।
• लड़कियों को किसी के बहकावे में न आकर अपने आप को नहीं बदलना चाहिए। आजकल के युवा प्रेम प्रसंग के नाम पर एक दूसरे को ब्यूटी पैमाने पर ही जांचते हैं।
अगर उसी जगह वे एक दूसरे के विचारों को प्राथमिकता दें तो उनका संबंध कहीं ज़्यादा स्टेबल बनेगा।