भाई दूज का पर्व भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक होता है और हर साल भाई दूज का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। यह त्यौहार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष के द्वितीय तिथि में मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को टीका करती हैं, उन्हें सुखा नारियल भेंट करती हैं और साथ ही उनकी लंबी उम्र और सुख समृद्धि की कामना करती हैं। यह पर्व यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह पर्व दिवाली के दो दिन बाद ना होकर गुरूवार 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।
भाई को तिलक करने के लिए इस बार मिलेंगे चार शुभ मुहूर्त-
इस बार भाई दूज के पर्व पर खास योग बन रहे हैं। यह पर्व गुरूवार 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा है और भाई को तिलक करने के लिए इस बार चार खास शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। पहला मुहूर्त गुरुवार सुबह 8:06 बजे से शुरू होगा और सुबह 10:24 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त को वृश्चिक लग्न कहा गया है।
इसके बाद दूसरा मुहूर्त दोपहर 11:24 बजे से शुरू होकर 12:36 बजे तक रहेगा जिसे विशिष्ट अभिजीत मुहूर्त कहा गया है। तीसरा मुहूर्त दोपहर 2:10 बजे से शुरू होकर 3:58 बजे तक कुंभ लग्न मुहूर्त रहेगा। चौथा मुहूर्त शाम 6:36 बजे से शुरू होगा और शाम 8:35 तक वृषभ लग्न मुहूर्त रहेगा। यह चारों मुहूर्त भाई को टीका करने के लिए बहुत शुभ रहेंगे। इन मुहूर्त में अपने भाइयों को टीका करें, उनकी लंबी उम्र और उनके जीवन में सुख
समृद्धि की कामना करें।भाई दूज की थाली कैसे करें तैयार?
भाई दूज के पर्व पर भाई दूज की थाली भी बहुत खास तरीके से तैयार की जाती है। इस थाली में बहुत सी चीजों को सम्मिलित किया जाता है। भाई दूज की थाली में कलावा, सूखा नारियल, मिठाई, कुमकुम, पान, सुपारी और चावल के दानों को रखा जाता है। फिर भाई की आरती करके उसको टीका करके मिठाई खिलाई जाती है और नारियल भेट में दिया जाता है।
इसके बदले भाई अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं साथ ही कुछ उपहार भी देते हैं। जो बहने भाई दूज के पर्व पर अपने भाई से दूर हैं और उन्हें टीका नहीं कर सकती हैं ऐसे में वह सूखे नारियल को टीका कर सकती हैं और भाई से मिलने पर उस नारियल को उन्हें भेट कर सकते हैं।