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कोरोना वेव में की थी ट्रांसजेंडर्स ने मदद
31 वर्षीया प्रिंसेस राउरकेला की पहली ट्रांसजेंडर फ्रंटलाइन वर्कर थी। इस बारे में उन्होंने बताया की वो लोगों की परेशानियां देख कर स्तब्ध थी और प्रशाशन के साथ मिलकर उनकी तकलीफ को दूर करना चाहती थी। प्रिंसेस कंप्यूटर एप्लीकेशन में डिप्लोमा होल्डर हैं और बीजू पटनायक यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी में बने कोविड सेंटर में एक डेटा ऑपरेटर के रूप में काम किया। इसके साथ ही उन्होंने वहां के नर्सेज और डॉक्टर्स के साथ काम करके लोगों तक राहत पहुंचाने में अपना योगदान दिया।
क्या बताया अंशुमान रथ ने?
साउथ ईस्ट के जोनल डिप्टी कमिश्नर अंशुमान रथ ने बताया की आज भुवनेश्वर में कुल 500 ट्रांसजेंडर लोग रहते हैं और उनके लिए विशेष इस कैंप का आयोजन किया गया है। उन्होंने ये भी बताया की पहला जैब उनको दिया जायेगा जो किसी तरह का आइडेंटिटी प्रूफ नहीं दिखा सकते हैं।
सेंट्रल गवर्नमेंट ने किसी भी डिस्क्रिमेंशन को बढ़ावा देने के लिए मना किया था
पिछले महीने सेंट्रल गवर्नमेंट ने वैक्सीनशन ड्राइव में ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के तरफ किसी भी तरह के डिस्क्रिमशन को बढ़ावा देने से मना किया था। इसके साथ ही साथ सेंटर ने कम्युनिटी के उन लोगों को 1500 रूपए भी देने का एलान किया है जो कोरोना के इस महामारी के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इस कम्युनिटी के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट ने मोबाइल वैक्सीनशन सेंटर बनाने की भी घोषणा की थी।
कम्युनिटी ने माना आभार
ट्रांसजेंडर रागिनी दास ने वैक्सीन लेने के बाद बताया की वो लोग भुवनेश्वर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के आभारी हैं की उन्होंने उन तक वैक्सीन पहुंचाई और उन्हें "नार्मल इंसानों की तरह ट्रीट किया"। सम्पूर्ण कम्युनिटी के लिए की गई ये अपनेआप में एक अनोखी पहल है।