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ब्रेस्ट कैंसर क्या है? जानें इसके 5 कारण और 10 लक्षणों के बारें में

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Swati Bundela
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ब्रेस्ट या स्तन कैंसर आज के समय की एक गंभीर बीमारी बन चुका है। महिलाओं को मौत के दरवाजे तक ले जाने वाली यह बीमारी बहुत ही खतरनाक है। भारत की हर 8 महिलाओं में से एक महिला इस बीमारी के चपेट में है। हालांकि यह कैंसर पुरुषों को भी होता है लेकिन इसकी संभावना काफी कम होती है। ब्रेस्ट कैंसर में कैंसर सेल्स ब्रेस्ट के टिश्यूज में बनती हैं। ब्रेस्ट के सेल्स से शुरू होकर ब्रेस्ट कैंसर आसपास के टिश्यूज और पूरे शरीर में फैल सकता है और मौत का कारण भी बन सकता है। डॉ तान्या अनुसार यदि समय रहते इस बीमारी का पता चलने पर ठीक से इलाज करवा लिया जाए तो इससे बचा भी जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि परफ्यूम के यूज़ से यह बीमारी होती है, लेकिन डॉ तान्या इसे गलत बताती हैं। आइए जानते हैं क्या है वज़ह।
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ब्रेस्ट कैंसर होने के कारण



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-परिवार में किसी को किसी अन्य प्रकार का कैंसर होना 



ब्रेस्ट कैंसर ही नहीं, परिवार में किसी को किसी भी अन्य प्रकार का कैंसर हो, तब भी इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है।

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-उम्र



50 साल से ज्यादा की उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है।

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-हार्मोन



फीमेल हार्मोन एस्ट्रोजन का ज्यादा बनना ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका बढ़ा देता है।

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-मोटापा



मोटापा और शराब का सेवन भी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ा देता है।

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- गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली और मीनोपॉज के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।



इसके बेहतरीन इलाज के लिए ज़रूरी है कि इसके लक्षणों को पहचान कर डॉ से मिला जाए।
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ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण



-ब्रेस्ट में सूजन



-ब्रेस्ट या निप्पल में दर्द



-निप्पल से डिस्चार्ज (ब्रेस्ट मिल्क नहीं)



-ब्रेस्ट की स्किन या निप्पल में रेडनेस



-ब्रेस्ट में निप्पल के पास या कहीं भी लंप होना।



-आर्मपिट (बगल) में लंप होना।



-ब्रेस्ट के साइज में बदलाव।



-निप्पल्स की थिकनेस में बदलाव।



-निप्पल्स से खून आना।



-हड्डी में दर्द।

इलाज



जैसा कि हर कैंसर में होता है, ब्रेस्ट कैंसर में भी इलाज इसी आधार पर तय होता है कि बीमारी का पता किस स्टेज पर चला है। इलाज में कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी होती है. अगर आप हाई रिस्क फैक्टर में हैं, तो लक्षणों की जांच करते रहें। बीमारी का जल्दी पता चलने से रिकवरी की उम्मीद ज्यादा रहती है।



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