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Image: (Freepik)
Can Drinking Too Much Tea and Coffee Harm Your Hormones? चाय और कॉफी भारतीय महिलाओं की दिनचर्या का अहम हिस्सा होती हैं। हम सभी के घरों में सुबह की शुरुआत चाय के गर्म प्याले से होती है और कामकाज या घर के काम करने के बाद दिन भर की थकान मिटाने के लिए महिलाओं को कॉफी पीने की आदत जरूर होती है। ये आदतें अब सिर्फ स्वाद तक सीमित नहीं रही हैं बल्कि एनर्जी ड्रिंक की तरह ली जाती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये कैफीन से भरपूर ड्रिंक आपके शरीर में हार्मोनल संतुलन को किस तरह प्रभावित कर सकती हैं?
महिलाओं का शरीर बहुत संवेदनशील होता है और हर महीने कितने ही अलग प्रोसेस का हिस्सा भी, खासकर जब बात हार्मोन की हो। ऐसे में अगर कैफीन का सेवन लिमिट से ज़्यादा हो जाए तो यह संतुलन बिगड़ सकता है। जानिए, ज़्यादा चाय-कॉफी पीना आपके शरीर और मन दोनों पर ही किस तरह असर डालता है।
कैफ़ीन का महिलाओं पर प्रभाव
एस्ट्रोजेन हार्मोन में गड़बड़
एस्ट्रोजेन महिलाओं का मुख्य प्रजनन हार्मोन होता है और यही हार्मोन आपके मूड, पीरियड्स और त्वचा तक को प्रभावित करता है। ऐसे में एक्सपेरिमेंट्स और रिपोर्ट्स यह बताती हैं कि ज्यादा मात्रा में कैफीन का सेवन करने से शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर असामान्य रूप से बढ़ता या घटता हैजिससे महिलाओं को थकावट, चिड़चिड़ापन और अनियमित पीरियड्स जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
पीरियड्स साइकिल में बदलाव
हर महिला की पीरियड्स साइकिल अलग होती है और उसके शरीर की स्टेबिलिटी और तंदुरुस्ती का संकेत भी देती है। लेकिन अगर कैफीन का सेवन ज्यादा हो तो यह शरीर में कोर्टिसोल (stress hormone) की मात्रा बढ़ा देता है। इससे पीरियड्स देर से आना, इस दौरान ज़्यादा दर्द होना, मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन या स्पॉटिंग जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक असर
जो महिलाएं मां बनने की योजना बना रही हैं उन्हें कैफीन का सेवन कम कर करना चाहिए। विषयों के अनुसार ज्यादा कैफीन आपके यूट्रस की लाइनिंग को पतला कर सकता है और भ्रूण के इम्प्लांटेशन में बाधा आ सकती है। साथ ही पुरुषों के स्पर्म काउंट की तरह ही ज्यादा कैफ़ीन के सेवन से महिलाओं की ओव्यूलेशन प्रक्रिया पर भी गलत असर पड़ता है।
मूड स्विंग्स और एंग्ज़ायटी
कैफीन दिमाग को एक्टिव करता है लेकिन महिलाएं, जो पहले से ही PMS, थकान या तनाव जैसी समस्याओं से जूझती हैं, उनके लिए कैफीन चिंता, घबराहट और तेज़ हार्टबीट जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। कई महिलाएं यह महसूस नहीं कर पातीं कि उनका बढ़ा हुआ तनाव चाय-कॉफी की बढ़ती आदत का नतीजा हो सकता है।
हड्डियों की सेहत पर असर
महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ बने डेंसिटी कम होती जाती है और मेनोपॉज के बाद उनमें ओस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही ज़्यादा कैफीन शरीर से कैल्शियम के अवशोषण को कम कर देता है जिससे हड्डियाँ कमज़ोर होने लगती हैं। खासकर वे महिलाएं जो पहले से ही दूध या कैल्शियम की कमी से जूझ रही हैं उन्हें ज़्यादा कैफीन के सेवन से बचना चाहिए।
मेनोपॉज़ के समय बढ़ती हैं दिक्कतें
मेनोपॉज़ के समय हार्मोनल उतार-चढ़ाव अपने पीक पर होता है। इस दौरान कैफीन महिलाओं में फ्लशिंग, हॉट फ्लैशेस और नींद की कमी जैसी तकलीफों को और भी ज्यादा बढ़ा सकता है। इस उम्र में शरीर को शांत और बैलेंस रहने की ज़रूरत होती है और ऐसे में अगर आप कैफीन का सेवन करती है तो यह उसे और असंतुलित कर सकते हैं।
थायरॉइड रोगियों के लिए खतरा
थायरॉइड की समस्या आज के समय में महिलाओं में आम होती जा रही है। ऐसे में कैफीन शरीर में थायरॉइड हार्मोन के एब्जॉर्बशन में बाधा डालता है, खासकर अगर आप थायरॉइड की दवाएं लेती हैं और उसके बाद भी सुबह-सुबह चाय या कॉफी पीती है तो यह खतरनाक हो सकता है। इससे दवा का असर कम हो जाता है और हार्मोन असंतुलन लंबे समय तक बना रहता है।