/hindi/media/media_files/SOwjF65KBZz94ncg1jYd.png)
Image Credit: LinkedIn
Period Leave: चाय सुट्टा बार के संस्थापक अनुभव दुबे ने हाल ही में लिंक्डइन पर एक पोस्ट लिखकर Period Leave के मुद्दे पर फिर से बहस छेड़ दी है। इस बहस की वजह केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का ये कहना था कि मासिक धर्म किसी "विकलांगता" के अंतर्गत नहीं आता, जिसके लिए अलग से सवैतनिक छुट्टी की जरूरत हो। दुबे ने अपने पोस्ट में बताया कि कैसे उन्होंने चाय सुट्टा बार में "Period Leave" लागू की और उनकी महिला टीम के सदस्यों ने इस पर कैसा रिएक्ट किया। कुछ ने कहा कि उनकी जरूरत नहीं है, जबकि कुछ ने मासिक दर्द की वजह से इसे बहुत जरूरी बताया। कंपनी में एक रचनात्मक बातचीत हुई, जहां अलग-अलग अनुभवों को आपसी सम्मान के साथ सुना गया गया।
जानिए क्या कहा Period Leave पर चाय सुट्टा बार के फाउंडर अनुभव दुबे ने
दुबे कहते हैं, "मुझे लगता है कि कुछ चीजें सिर्फ महिलाएं ही समझती हैं, और हम, पुरुष, सिर्फ उनके बारे में देखते और सुनते हैं।" यह उनकी इस बात को रेखांकित करता है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं की चुनौतियों को समझना बहुत जरूरी है।
दुबे इस बात को मानते हैं कि हर महिला का शरीर अलग होता है। कुछ महिलाएं आसानी से मासिक दर्द सह लेती हैं, जबकि कुछ को इतना तेज दर्द होता है कि वह बेहोश तक हो सकती हैं। उनका कहना है कि दोनों ही अनुभव मान्य हैं और उन्हें स्वीकार करना चाहिए।
अनुभव दुबे अपने लिंक्डइन पोस्ट में कहते हैं, "मैं समझता हूं कि अगर महिलाओं के इस प्राकृतिक प्रक्रिया के लिए छुट्टी की बात करें, तो इसे खुला रखना चाहिए। हमने इस छुट्टी को लागू किया है, क्योंकि जो इसे जरूरी समझते हैं उनके लिए इसकी अहमियत को समझते हैं।" यह चाय सुट्टा बार के मासिक छुट्टी पर रुख को दिखाता है।
दुबे इस प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया के लिए छुट्टी देने के लिए खुले दिमाग के नजरिए की वकालत करते हैं। वह महिलाओं के अलग-अलग अनुभवों और दर्द को समझने की जरूरत पर जोर देते हैं। चाय सुट्टा बार में पीरियड लीव लागू करना सिर्फ एक ट्रेंड नहीं है, बल्कि उन लोगों की जरूरतों को समझने और उनका समर्थन करने का एक सोच-समझकर लिया गया फैसला है।
जिस समय कार्यस्थल में सबको शामिल करने और अलग-अलग जरूरतों को समझने पर ध्यान दिया जा रहा है, अनुभव दुबे का नजरिया Period Leave के इस बहस में एक अहम पहलू जोड़ता है। उनकी बातें महिलाओं के अलग-अलग अनुभवों को ध्यान में रखकर ऐसी नीतियों के लिए वकालत करती हैं जो सहानुभूति और सहयोग का वातावरण बनाएं। पीरियड लीव पर बहस अभी जारी है, और दुबे के शब्द इस बात को याद दिलाते हैं कि कार्यस्थल की नीतियों को बदलते समय कर्मचारियों की अलग-अलग जरूरतों को ध्यान में रखना कितना जरूरी है।
/hindi/media/agency_attachments/zkkRppHJG3bMHY3whVsk.png)
Follow Us