Women in Politics: पॉलिटिक्स यानि राजनीती में एक महिला का योगदान पुराने वक्त से था। यहाँ तक ही हमारे देश के संविधान बनाने में भी महिलाओं का बहुत योगदान रहा है। लेकिन ये राजनीति भी कभी किसी महिला के लिए आसान नहीं रहा है। क्योंकि इसमें भी एक महिला होने के नाते कई सारे चुनौतियों का डट कर सामना करना पड़ता है। चलिए हम आपको बताते हैं कि राजनीती में ऐसी कौन सी चुनौती हैं जिसे एक महिला लीडर फेस करती है।
इन चुनौतियों से गुजरती हैं एक महिला लीडर
1. सेक्शुअल वॉयलेंस
एक महिला होने के नाते वो कही भी जाए सेक्शुअल वॉयलेंस का डर हमेशा उसके साथ रहता हैं और पॉलिटिक्स जैसे फिल्ड में जहा कोई किसी का सगा नहीं वह ये खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता हैं। एक महिला को सबसे आगे आने के लिए कई बार सेक्शुअल हैरासमेंट तक का सामना करना पड़ता हैं। कई बार काबिल होकर भी एक महिला लीडर नहीं बन पाती क्योंकी वहा मौजद पुरुष उसे कई तरह से हैरास करते हैं जिसे कारण कई पीछे हट जाती हैं।
2. राजनीतिक बाधा
कई बार एक महिला होने के कारण कोई पार्टी उन्हें अपना सपोर्ट भी नहीं देती कितने बार तो महिला होने के कारण फाइनेंशियल सपोर्ट और फंडिंग भी नहीं मिलती साथ ही कितने बार महिला होने के कारण इनको अपने कनेक्शन भी बनाने में बाधा आती है। कोई भी इनपर ट्रस्ट करने से कई बार सोचता है साथ ही इन्हें सहीं गाइडेंस भी नहीं मिलती ताकि वो राजनीति में अपनी सही जगह बना सके क्योंकी राजनीती हमेशा से एक मेल डॉमिनेट फिल्ड रहीं है।
3. सामाजिक बाधा
सबसे बड़ी बाधा अगर एक महिला फेस करती हैं तो वो हैं निरक्षरता क्योंकी जागरूकता न होने के कारण उन्हें राजीनति के बारे कोई ज्ञान नहीं होता है। समाज के मान्यताओं की माने तो हमेशा एक महिला को एक पुरुष से कम आखा गया हैं। जिस कारण एक महिला एक पुरुष के मुक़ाबले कम पढ़ी- लीगी है। साथ ही भारत में बहुत कम महिला के पास कोई प्रॉपर्टी हैं और उन्हें अपने माता पिता के प्रॉपर्टी में भी कोई हिस्सा नहीं मिलता हैं। समाज की इसी खोखले पन के कारण एक महिला पॉलिटिक्स में आन इसे कतराती हैं।
4. भेद - भाव
एक महिला होने के नाते उन्हें कई सारे जगह पुरुषों के निचे रखा जाता हैं। योग्य होने के बावजूद भी एक महिला के जगह पुरुष को चुना जाता हैं। वैसे तो ये कई जगह होता हैं पर राजनीती में बहुत ज्यादा होता हैं। एक महिला अगर आगे आती भी हैं तो उन्हें उसके कास्ट के वजह से चुप करा दिया जाता हैं। मीटिंग्स में उनके ओपिनियन को जगह नहीं दी जाती, कई बार दलित महिला को अगर एक लीडर के तौर पर रख भी लिया जाता हैं तो उसे उस पद से निकलने की धमकिया दी जाती हैं और उनके सर पर एक लीडर होने के नाते बाहर के काम तो होते ही हैं साथ ही उन्हें उनका घर संभालने का भी बोझ रहता है।
वैसे देखा जाए तो और कई सारे बाधाओं का एक महिला को सामना करना पड़ता है पर इस बार सरकार ने महिला आरक्षण बिल लाया है। जिसके वजह से महिलाओं को पार्लियामेंट में 33% आरक्षण मिलेगा। सरकार द्वार लाया गया ये बिल आने वाले समय में कई महिलाओं को आगे बढ़ने और एक सक्षम लीडर बनकर देश की सेवा करने में काफी मदद करेगा पर अब इंतजार है इसके लागू होने का ताकी जल्द से जल्द एक महिला को मौका मिले और वो हर फील्ड के तरह इसमें भी बहुत आगे बढ़ सकें।