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छोटी दिवाली पर लोग अपने घरों को दीयों और मोमबत्तियों से सजाते हैं। इस दिन लोग अपने घर और दुकानों में भी धन और सुख की प्राप्ति के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इसे छोटी दीपावली इसलिए कहा जाता है क्योंकि दीपावली से एक दिन पहले, रात के वक्त उसी प्रकार दीए की रोशनी से रात के अँधेरे को रौशनी से दूर भगा दिया जाता है.
नरक चतुर्दशी के पीछे की कथा
मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर नाम के राक्षस का वध किया. प्रचलित कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था। इसलिए इस चतुर्दशी का नाम नरक चतुर्दशी पड़ा।
नरकासुर का वध किसी स्त्री के हाथों ही हो सकता था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बना लिया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया । नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था। नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को मुक्त करवाया। इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा इसलिए वह कोई ऐसा उपाय करें जिससे उन्हें फिर से समाज में सम्मान प्राप्त हो।
समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया.। नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के मुक्त होने के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी के दिन दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई।