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COVID की थर्ड वेव से नहीं होगा बच्चों को ज़्यादा खतरा: एम्स-डब्लूएचओ स्टडी

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Swati Bundela
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ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (एम्स) और वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्लूएचओ) ने भारत में होने वाली कोविड की थर्ड वेव के ऊपर एक कंबाइंड स्टडी की है। इस स्टडी में उन्होंने ये पाया है की भारत में जब भी कोविड की तीसरी वेव आएगी इससे बच्चों और माइनर्स को ज़्यादा खतरा नहीं होगा। इस स्टडी में ये बात सामने आई है की बच्चों और मिनर्स में सेरोपॉसिटिविटी की लेवल बहुत हाई है जिसका मतलब उनके पास कोविड से बचने के लिए हाई क्वांटिटी में एंटीबॉडीज मौजूद है। इस कारण उन्हें कोविड या फिर कोई मेजर इन्फेक्शन जल्दी नहीं हो सकता है।

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बच्चों के इन्फेक्शन की थी चिंता



एम्स-डब्लूएचओ के द्वारा किये गए इस स्टडी से अब उन लोगों को थोड़ी राहत की सांस मिली है जो बच्चों के इन्फेक्शन रेट को लेकर कंसर्न्ड थे। इनिशियल फेज में कई लोगों का यही मानना था की कोविड के थर्ड वेव में सबसे ज़्यादा बच्चें ही अफेक्टेड होंगे पर एम्स-डब्लूएचओकी इस स्टडी से अब ये बात भी गलत साबित हो गई है।

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क्या कहता है ये स्टडी?



एम्स के इन्सिटिटूशनल एथिक्स समिति द्वारा अप्रूव किए गए इस स्टडी में और भी कई इंस्टीटूशन्स ने भाग लिया था। 5 राज्यों में हुए इस स्टडी में कुल 10,000 सैंपल को टेस्ट किया गया था। टोटल 4509 पार्टिसिपेंट्स में से 700 माइनर थे और 3809 लोग 18 या उससे ज़्यादा उम्र के थे। इन सैम्पल्स की मीडियन ऐज 11 से लेकर 14 वर्ष थी और इस स्टडी को दिल्ली अर्बन, दिल्ली रूरल, भुवनेश्वर, गोरखपुर और अगरतला में कैर्री किया गया था।

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मार्च में हुआ था डेटा कलेक्शन



इस डेटा का कलेक्शन इस साल 15 मार्च से लेकर 10 जून के बीच किया गया था। इस स्टडी का कंक्लूशन यही निकला की "SARS-CoV-2" को लेकर बच्चों और मिनर्स में एडल्ट्स के मुकाबले सेरोपॉसिटिविटी बहुत ज़्यादा है। इसलिए बच्चों को अलग से कोविड की थर्ड वेव में ज़्यादा खतरा नहीं होना चाहिए।
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डेल्टा प्लस वैरियंट



निति आयोग के एक हेल्थ मेंबर डॉ वी के पॉल ने भारत में कोविड के एक नए वैरियंट डेल्टा प्लस के डिटेक्शन की पुष्टि की है और ये इस साल के मार्च से ही यूरोप में मिल चुका है। इस बारे में महाराष्ट्र के हेल्थ डिपार्टमेंट ने पहले ही चिंता व्यक्त की है और इस कारण भारत में तीसरे वेव की आशंका भी जताई है।
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