इंडिया में सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्क को दी लीगल मान्यता दे दी है। कोर्ट के मुताबित एक सेक्स वर्कर को भी बर्बर इज़्ज़त का अधिकार होता है। इसके अलावा इनको लॉ का भी अधिकार कि इनको सुरक्षा दी जाए। कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 21 के हिसाब से हर एक नागरिक को अधिकार है कि गरिमामय अस्तित्व दिया जाए चाहे उसका प्रोफेशन कुछ भी क्यों न हो।
Australia/ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में सेक्स वर्क एक्ट 1992 लागु होने के बाद से ही सेक्स वर्क यहाँ लीगल कर दिया गया है। इस एक्ट का नाम Anna's Law भी है। इसके लिए वैश्यालय और सेक्स वर्कर के काम करने के लिए आपको खुद को रजिस्टर करना अनिवार्य होगा। यह लॉ अलग अलग रीजन के हिसाब से अलग अलग होता है। जैसे कि पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में सेक्स वर्क लीगल है लेकिन वैश्यालय चलाना नहीं है।
Bangladesh/बांग्लादेश
बांग्लादेश में मेल सेक्स वर्क प्रतिषिद्ध है लेजिन बाकि कोई भी सेक्स से रिलेटेड काम में कोई रोक नहीं है। बांग्लादेश में मानव तस्करी के खिलाफ बहुत कड़े कानून हैं। यहाँ सेक्स वर्कर को एक एफिडेविट साइन करना होता है जिस में लिखा है कि यह अपनी मर्जी से सेक्स वर्क के प्रोफेशन में जा रहे हैं क्योंकि यह और कोई काम नहीं ढूंढ पा रहे हैं।
Belgium/बेल्जियम
बेल्जियम में सेक्स वर्क लीगल है लेकिन याचना और दलाली नहीं है। यहाँ मानव तस्करी और लोगों के शोषण करने पर 30 साल तक की सजा हो सकती है।
Columbia/कोलंबिया
कोलंबिया में सेक्स वर्क लीगल और इसके अलावा वैश्यालय खोलना एक लीगल वे मेंभी अनुमत है। इसके लिए अलग से सहिष्णुता क्षेत्र दिए गए हैं। इसके अलावा कोलोम्बिया में सेक्स वर्कर का रेगुलर हेल्थ चेकअप कराना जरुरी है।
Netherlands/नेदरलैंड्स
नेदरलैंड्स में सेक्स वर्क कानूनी और नियंत्रित है। नेदरलैंड्स का एम्स्टर्डम रेड लाइट एरिया का सबसे जाना माना और बड़ा डिस्ट्रिक्ट है। नेदरलैंड्स में कस्टमर को सजा दी जाती यह अगर वो किसी भी गलत काम के शक में आते हैं। यह लॉ 2022 में आया था।
इंडिया में सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्क के लॉ में क्या क्या बदलाव लाया है?
कोर्ट ने कहा “basic protection of human decency and dignity extends to sex workers and their children.”
कोर्ट ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि पुलिस का व्यव्हार सेक्स वर्कर के प्रति ख़राब ही रहता है। एक सेक्स वर्कर के साथ बुरा व्यव्हार नहीं करना चाहिए और उनकी कम्प्लेन को भी सीरियस लेना चाहिए। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि सेक्स वर्कर के केस के बारे में रिपोर्ट करते वक़्त मीडिया को बहुत ध्यान रखना चाहिए और उनकी आइडेंटिटी बाहर न आये इसका ध्यान रखना चाहिए।
जस्टिस राव ने कहा कि किसी भी प्राधिकारी को सेक्स वर्कर को शेल्टर में रहने के लिए मजबूर नहीं करना चाहिए। अब अगली सुनवाई के वक़्त 27 जुलाई कोर्ट ने इन सब मामले में सेण्टर को अपना फैसला सुनाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बहुत ही एहम और अच्छा फैसला सुनाया है। इन्होंने सभी पुलिस ऑफिसर्स को कहा कि अगर सेक्स एक सेक्स वर्कर की मर्जी से होता है तो आप दखलंदाज़ी न करें।