Paraya Dhan: बेटी पराया धन नहीं हैं

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Monika Pundir
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भारत में अक्सर बेटियों को ‘पराया धन’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है की बेटी को ‘अपना’ नहीं बल्कि अपने पति का या अपने ससुराल का मन जाता है। चाहे माता-पिता अपनी बेटी बहुत प्यार करते हो, मगर उनके यह कहने से बेटियों को लगता है की वे  अपने घर में ही मेहमान है।

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बेटियों को पराया धन कहने के पीछे कुछ वजह है, जैसे की:

  1. शादी के बाद ससुराल में रहने का रिवाज़: भारतीय समाज अधिकतर पैट्रिआर्कल परिवारों से बनी है। इसका मतलब है की परिवार का उम्र में सबसे बड़ा पुरुष परिवार का हेड होता है। केवल नॉर्थ-ईस्ट इंडिया और साउथ इंडिया में कुछ एरिया में मैट्रिआर्केल(महिला हेड) परिवार होती हैं। जो परिवार का हेड है, अक्सर सारे फैसले उसके प्रतिकूल होती है। अर्थात, क्योंकि आम तोर पर पुरुष प्रधान समाज होते हैं, इसलिए ज़्यादातर सयुंक्त (जॉइंट) परिवार में, औरत को अपना घर छोड़ कर अपने ससुराल जाना पड़ता है। इस कारण लड़की के माता पिता कोशिश करते हैं की बेटी को उनके घर से ज़्यादा लगाव न हो जाये और वह ख़ुशी ख़ुशी ससुराल चली जाये।
  2. दहेज का रिवाज़: दहेज़ का रिवाज़ कुछ डिकेड पहले ही इललीगल हुई है। भारत के परम्परा बहुत पुरानी है, इसलिए दहेज़ का रिवाज़ भी लोगो के मैं में दबी हुई है। सोसिओलॉजिस्ट कहते हैं कि दहेज प्रथा के कारण कई माता पिता, खास कर जो आर्थिक रूप से गरीब होते हैं, वे अपनी बेटी को बोझ के रूप में देखते हैं, और जल्द से जल्द इस “बोझ” को उतारना चाहते हैं। दहेज़ की लेन देन गुनाह है, पर फिर भी आज भी ऐसे केस पाए जाते हैं।
  3. औरत को किसी का डिपेंडेंट मानना: कई समाज में औरत को ‘धन’ या कमोडिटी के तरह देखा जाता है, जिसका मालिक बदला जा सकता है। माना जाता है की शादी से पहले औरत का मालिक उसका पिता है, और शादी के बाद उसका पति। वह पिता या पति के अनुमति के बिना कुछ नहीं कर सकती। यह असल में बहुत ही ख़राब सच है, और शुक्र है की आज कल यह सोच बदल रही है।


बेटी को पराया धन मानने के प्रभाव:

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  • अक्सर बेटी को पराया धन मानने के कारण माता पिता बार बार बेटे की आशा में बच्चे पैदा करते रहते हैं जब तक उनकी बेटी न हो जाये।
  • अगर किसी परिवार में बेटा और बेटी दोनों हैं, तो देखा गया है की बेटे को हर रूप में फेवर किया जाता है। खास कर रूरल परिवारों में पाया गया है की हर समय बेटे को अधिक पढ़ने का अवसर, बेहतर खाना, आदि दिया जाता है, और बेटी को प्रायोरिटी नहीं दिया जाता।
  • लड़कियों के मेन्टल हेल्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अगर किसी बच्चे को अपने माता पिता पर ही भरोसा न हो, तो उसके मेंटल हेल्थ पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। उसे साडी ज़िन्दगी रिश्ते जोड़ने और भरोसा करने में कठिनाई होती है। बेटी को ‘पराया धन’ कहने से उसे कैसे अपने माता पिता पर भरोसा हो पायेगा?
  • अगर शादी के बाद लड़की के साथ डोमेस्टिक वायलेंस या अब्यूस होता है, या वो रिश्ते में खुश नहीं है, फिर भी वह चुप चाप सेहती है क्योंकि वह सोचती है की उसके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है। वह सोचती है कि वह अपने घर वापस नहीं जा सकती। इसका पूरे समाज पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

बेटी पराया धन क्यों नहीं है?

  • बेटियां भी कमाती हैं और बुढ़ापे में अपने माता पिता का ध्यान रखती है, अगर उससे समान मौका दिया जाये ।
  • बेटियां अपने माता पिता से उतना ही प्यार करती हैं जितना की बेटे।
  • हिन्दू सक्सेशन एक्ट के अनुसार एक बेटी को अपने माता पिता के सम्पत्ति पर उतना ही अधिकार है जितना की उसके भाइयों का।
  • शादी पुराने रिश्ते तोड़ता नहीं है, बल्कि दो परिवारों को मिलता है। शादी के बाद भी बेटी पराई नहीं होती, परिवार में एक नया बेटा जुड़ जाता है।
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आशा है की आगे से लोग बेटी को पराया धन बोलना बंद कर दे, और बेटे-बेटी में फर्क न करें।