Delta Plus Variant Information : जानिए वैरिएंट से जुडी सभी जानकारी

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Swati Bundela
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डेल्टा वैरिएंट क्या होता है ?


डेल्टा वैरिएंट इस लिए इतना खतरनाक है क्योंकि ये कोविद वायरस के स्पाइक प्रोटीन में पाया जाता है। यही प्रोटीन इंसान के सेल्स में जाकर घुसता है। स्टडीज में आया है कि ये आसानी से फैलता है, बढ़ता जल्दी है और लंग सेल्स पर स्ट्रॉन्ग्ली असर करता है। दिल्ली के रिसरचर्स के कहना है कि दिल्ली में हुए इन्फेक्शन्स में तीन चौथाई में ये वैरिएंट पाया गया। ये इन्फेक्शन उन लोगों में हुए जो पहले से ही वैक्सीन ले चुके हैं। इस में से 8% लोगों को कप्पा वैरिएंट और 76% को डेल्टा वैरिएंट हुआ था।

डेल्टा वैरिएंट की वैक्सीन को लेकर क्यों दिक्कत हो रही है ?


इस तरीके के म्यूटेशन होने के कारण हो सकता है कि ये इम्यून सिस्टम को पीछे छोड़ दे और इस से बच जाये। डेल्टा के ऊपर वैक्सीन का असर भी कम होता है। एक वैक्सीन के सिंगल डोज़ से तो इसके खिलाफ बहुत कम प्रोटेक्शन ही होता है। दूसरे डोज़ से इतना प्रोटेक्शन हो सकता है कि आप सीरियस नहीं होंगे। हमें ये याद रखने की जरुरत है कि कोरोना की वैक्सीन हमें पूरी तरीके से बीमारी से नहीं बचती है बस बीमारी को गंभीर होने से बचाती है।

डेल्टा वैरिएंट के ऊपर वैक्सीन कितनी असरदार है ?


Pfizer वैक्सीन का पहला डोज़ कोरोना के खिलाफ 33 % इफेक्टिव है और दूसरा डोज़ 88 % इफेक्टिव। इसके बाद AstraZeneca वैक्सीन पहले डोज़ के बाद 33 % और दूसरे के बाद 60 % तक इफेक्टिव है।

अभी फिल्हाल जो वैक्सीन इंडिया में इस्तेमाल की जा रही है उनके खिलाफ भी ये इसी तरीके से असरदार होगा। वैक्सीन और डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर अभी सब जगह स्टडीज चल रही हैं।
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