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Dev Diwali 2022: जानिए देव दीपावली का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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Vaishali Garg
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Rangoli For Diwali

Dev Deepawali

Dev Diwali 2022: इस साल देव दीपावली पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन अभिजीत मुहूर्त व रवि योग समेत कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।

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Dev Diwali 2022: शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 4.53am से 05:45 am 

अभिजित मुहूर्त- 11:43am से 12:26pm

विजय मुहूर्त- 01:54 pm से 02:37 pm 

गोधूलि मुहूर्त- 05:32 pm से 05 :58 pm 

अमृत काल- 05:15 pm से 06:54 pm

रवि योग- 06:37 am से 12:37 am , नवम्बर 08।

Dev Diwali 2022: देव दीपावली पर दीपदान का महत्व

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देव दीपावली पर दीपदान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने व दीपदान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। घर में सुख - समृद्धि व खुशहाली आती है।

Dev Diwali 2022: पूजा का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि 07 नवंबर को शाम 04 बजकर 15 मिनट से शुरू और 8 नवंबर को शाम 04 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। देव दीपावली पर पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 14 मिनट से शाम 07 बजकर 49 मिनट तक है। पूजन की कुल अवधि 2 घंटे 32 मिनट की है।

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Dev Diwali 2022: पौराणिक कथा

त्रिपुरासुर का वध : पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कार्तिकेय द्वारा तारकासुर का वध करने के बाद उसके तीनों पुत्रों ने देवताओं से बदला लेने का प्रण कर लिया। उन्होंने कठोर तप करके ब्रह्माजी से वरदान मांगा। हे प्रभु ! आप हमारे लिए तीन पुरियों का निर्माण कर दें और वे तीनों पुरियां जब अभिजित् नक्षत्र में एक पंक्ति में खड़ी हों और कोई क्रोधजित् अत्यंत शांत अवस्था में असंभव रथ और असंभव बाण का सहारा लेकर हमें मारना चाहे, तब हमारी मृत्यु हो। ब्रह्माजी ने कहा तथास्तु!

इसके बाद तीनों ने अपने आतंक से पूरी 10 पाताल , धरती और स्वर्ग लोक में सभी को त्रस्त कर दिया था। देवता, ऋषि और मुनि भगवान शिव से सहायता मांगने गए और उनसे राक्षस का अंत करने की प्रार्थना की। इसके बाद भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कर दिया। राक्षस के अंत की खुशी में सभी देवता प्रसन्न होकर भोलेनाथ की नगरी काशी पहुंचे और इस दौरान उन्होंने काशी में लाखों दीए जलाकर खुशियां मनाई। जिस दिन ये हुआ, उस दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि थी। तभी से आज तक कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी में बड़े रूप में देव दीपावली मनाई जाती है।

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Dev Diwali 2022: पूजा विधि

षोड्शोपचार पूजन करें। गौघृत का दीप करें, चंदन की धूप करें, अबीर चढ़ाएं, खीर पूड़ी, गुलाब के फूल चढ़ाएं। चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं और बर्फी का भोग लगाएं। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें- ' ऊं देवदेवाय नम शुभ एवं कल्याणकारी।

Dev Deepawali 2022: देव दीपावली का महत्व

धर्म शास्त्र के मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान शिव से त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। इसी कारण इस दिन को खुशियों के रूप में मनाया जाता है। इस राक्षस के वध होने पर देवी - देवताओं ने खुशियां मनाई थी और काशी के तट पर एवं अन्य नदियों के तट पर दीपक जलाए थे। इसी कारण हर साल इस दिन दीपदान और नदी में स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

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