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Dev Uthani Ekadashi कब है? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधनी एकादशी या देवउठनी ग्यारस भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है।

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Vaishali Garg
15 Nov 2023 एडिट Nov 22, 2023 15:38 IST
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Diwali 2023(Freepik)

(Image Credit - Freepik)

Dev Uthani Ekadashi 2023: देव उठानी एकादशी, जिसे प्रबोधनी एकादशी या देवउठनी ग्यारस भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के शयन के बाद जागते हैं और सृष्टि का संचालन करने लगते हैं।

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Dev Uthani Ekadashi 2023: तिथि और शुभ मुहूर्त

2023 में देव उठानी एकादशी 23 नवंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन की तिथि 22 नवंबर को रात 11 बजकर 03 मिनट से शुरू होगी और 23 नवंबर को रात 09 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के आधार पर देव उठानी एकादशी का व्रत 23 नवंबर को रखा जाएगा।

Dev Uthani Ekadashi 2023: पूजा विधि

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देव उठानी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर, भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठें और उन्हें पुष्प, फल, मिठाई, और धूप-दीप से अर्पित करें। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।

Dev Uthani Ekadashi 2023: व्रत के नियम

देव उठानी एकादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन निराहार रहना चाहिए। केवल फलाहार और दूध का सेवन किया जा सकता है। शाम को, भगवान विष्णु की आरती के बाद व्रत का पारण किया जाता है।

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Dev Uthani Ekadashi 2023: महत्व

देव उठानी एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।

Dev Uthani Ekadashi 2023: इतिहास

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देव उठानी एकादशी का उल्लेख कई पुराणों में मिलता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीने के शयन के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जागते हैं। इस दिन को देव उठानी एकादशी कहा जाता है।

Dev Uthani Ekadashi 2023: कथा

एक प्राचीन कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के पुत्र प्रह्लाद का अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यप द्वारा सताया जाता था। प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे और वे हिरण्यकश्यप के अत्याचारों को सहन करते रहे। अंत में, भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार में चार महीने तक शयन किया। देव उठानी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का शयन समाप्त होता है और वे जागते हैं।

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